कलेक्टरों को जानकारी भेजने के दिए निर्देश: मप्र में 22 हजार मंदिर और मठ में कितने गैर हिंदू प्रबंधन संभाल रहे?.. लिस्ट तैयार करा रही सरकार – Bhopal News h3>
प्रदेश के 22 हजार सरकारी नियंत्रण वाले मठ, मंदिर, देवस्थान और धर्मशालाओं में पूजा-पाठ, प्रबंधन, सुरक्षा और केयरटेकर का जिम्मा संभाल रहे गैर हिंदुओं की जानकारी जुटा रही है। इसमें पुजारी, स्थानीय ट्रस्ट, प्रबंधन समिति, सरकारी कर्मचारियों सहित वे सभी लो
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धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग ने इस संबंध में सभी कलेक्टरों को पत्र जारी कर भौतिक सत्यापन के साथ जानकारी भेजने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश में सरकार के अधीन 22 हजार मंदिर हैं, जिनमें से 107 मंदिरों को तीर्थ स्थल का दर्जा प्राप्त है। कई मंदिरों का संचालन धार्मिक न्यास, ट्रस्ट या कलेक्टर की अध्यक्षता वाली मंदिर प्रबंधन समितियों द्वारा किया जाता है।
प्रदेश के 107 मंदिरों को तीर्थ स्थल का दर्जा प्राप्त है…
1585 मंदिरों में लगते हैं धार्मिक मेले
- लोक आस्था से जुड़े 1585 मंदिर ऐसे हैं जहां नियमित रूप से धार्मिक मेले होते हैं। राज्य के 20 प्रमुख मंदिर ऐसे हैं, जिनका संचालन ट्रस्ट, प्रबंधन समितियों या सीधे कलेक्टर की अध्यक्षता वाली समितियां करती हैं।
- अधिकांश मंदिरों में परंपरागत रूप से स्थानीय पुजारी नियुक्त किए जाते हैं, जिन्हें सरकार मानदेय देती है। मंदिरों की संपत्तियों जैसे धर्मशालाएं, दुकानें, कृषि भूमि आदि का प्रबंधन कलेक्टर करते हैं और आवश्यकता अनुसार जिम्मेदार व्यक्ति नियुक्त करते हैं।
प्रदेश की मुख्य मंदिर प्रबंधन समितियां
- महाकालेश्वर मंदिर समिति, उज्जैन
- सलकनपुर देवी मंदिर समिति, सीहोर
- शारदा देवी मंदिर समिति, मैहर
- खजराना गणपति मंदिर प्रबंध समिति, इंदौर
- भूतपूर्व भोपाल रियासत की मंदिर समिति,
- लक्ष्मण बाग समिति, रीवा
- ओंकारेश्वर मंदिर प्रबंध समिति, खंडवा
- भूतपूर्व ग्वालियर रियासत का औकाफ न्यासी मंडल
- मां बगुलामुखी मंदिर, नलखेड़ा (आगर-मालवा)
- रामराजा सरकार मंदिर, ओरछा (निवाड़ी)
- रतनगढ़ माता मंदिर, दतिया
मूर्ति के नाम पर जमीन… सरकार के संरक्षण में आने वाले इन मंदिरों की जमीन भू-अभिलेखों में मंदिर की मूर्ति के नाम पर दर्ज है। शासन इन्हें संधारित मंदिर मानता है। प्रबंधक जिला कलेक्टर होता है।