करौली का ऐतिहासिक परकोटा जर्जर: कई जगह से टूटा, स्कूल के पास भी खतरा; प्रशासन की अनदेखी से लोग परेशान – Karauli News h3>
रियासतकाल से चली आ रही विरासत परकोटा आज जर्जर हालत में पहुंच गया है।
करौली के रियासतकाल से चली आ रही विरासत परकोटा आज जर्जर हालत में पहुंच गया है। शहर की सुरक्षा के लिए बनाया गया यह परकोटा अब खुद एक बड़ा खतरा बन गया है। कई स्थानों पर इसकी दीवारें टूट चुकी हैं और कुछ जगहों पर तो इसका अस्तित्व ही समाप्त हो गया है।
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बजीरपुर गेट से हिण्डौन गेट तक के मार्ग पर परकोटे की स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है। कायस्थ खिड़कियां के पास परकोटे में गंभीर दरारें आ चुकी हैं और पत्थर बाहर निकल आए हैं। मासलपुर गेट के पास स्थिति और भी गंभीर है, जहां एक स्कूल परकोटे से सटा हुआ है। पिछले कुछ सालों में बारिश के कारण परकोटे का काफी हिस्सा धराशायी हो चुका है और बचा हुआ हिस्सा भी किसी भी समय गिर सकता है।
कुछ साल पहले सरकार ने परकोटे की मरम्मत के लिए धन आवंटित किया था, लेकिन केवल सीमित क्षेत्रों में ही काम हुआ। वर्तमान में कई स्थानों पर अतिक्रमण की समस्या भी बढ़ गई है। स्थानीय निवासी लगातार इस खतरे के साये में जी रहे हैं, लेकिन प्रशासन और नगर परिषद की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते इस ऐतिहासिक धरोहर की मरम्मत नहीं की गई, तो यह न केवल विरासत के नुकसान का कारण बनेगा, बल्कि जान-माल का भी बड़ा खतरा उत्पन्न कर सकता है। इसी प्रकार बैठा हनुमान मंदिर के पास भी पिछले वर्षों में भी बारिश के चलते परकोटे का बड़ा हिस्सा ढहा था, वो हिस्सा तो दुरुस्त नहीं हुआ है। इस बीच इसके पास ही फिर से परकोटा ढहा है।
करौली शहर के चारों ओर बना परकोटा करीब 3 किलोमीटर लंबाई का है। परकोटे के बाहर आवाजाही के लिए छह दरवाजे और 12 खिड़कियों का निर्माण किया गया था, लेकिन परकोटे में बने दरवाजे और खिड़कियां भी क्षतिग्रस्त होने के कारण वहां से गुजरने वाले राहगीर और वाहन ड्राइवरों पर भी खतरा मंडराता रहता है। ये दरवाजे और खिड़कियां ही शहर के आंतरिक भाग और बाहरी भाग में आने जाने के प्रमुख मार्ग हैं।
8 जनवरी को नगर परिषद कार्यालय में जनसुनवाई के दौरान पार्षदों की ओर से जिला कलेक्टर को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा था। जिसमें बताया था कि ऐतिहासिक परकोटा शहर की धरोहर है, जो जीर्ण शीर्ण होकर कई जगह से गिर चुका है और अतिक्रमण भी हो रहे हैं। ऐसे में परकोटे का जीर्णोद्धार जरूरी है। साथ ही परकोटे में बने शहर के प्रवेश द्वारों की भी मरम्मत की मांग की गई थी।