कम हो रही दुनिया के सबसे मेहनती जानवरों की संख्या, जानें, कौनसे हैं यह मेहनती जानवर ? | The number of hardworking animals of the world is decreasing# | Patrika News

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कम हो रही दुनिया के सबसे मेहनती जानवरों की संख्या,  जानें, कौनसे हैं यह मेहनती जानवर ? | The number of hardworking animals of the world is decreasing# | Patrika News

कम हो रही दुनिया के सबसे मेहनती जानवरों की संख्या, जानें, कौनसे हैं यह मेहनती जानवर ? | The number of hardworking animals of the world is decreasing# | Patrika News

दुनिया के सबसे मेहनती जानवर में शुमार गधे और खच्चरों की संख्या तेजी से घट रही है। 7 सालों में माल ढुलाई में इस्तेमाल होने वाले पशुओं की आबादी में तकरीबन 70 फीसदी की कमी आई है। यही नहीं पशुओं की कुल आबादी में भी कमी आई है।

जयपुर

Updated: April 18, 2022 06:01:35 pm

कम हो रही दुनिया के सबसे मेहनती जानवरों की संख्या
गधे, खच्च्चरों की संख्या में आई कमी
ऊंट के बाद अब घोड़े, सूअर भी हो रहे हैं कम
जयपुर।
दुनिया के सबसे मेहनती जानवर में शुमार गधे और खच्चरों की संख्या तेजी से घट रही है। 7 सालों में माल ढुलाई में इस्तेमाल होने वाले पशुओं की आबादी में तकरीबन 70 फीसदी की कमी आई है। यही नहीं पशुओं की कुल आबादी में भी कमी आई है। 20वीं पशुगणना के ये आंकड़े बेहद चिताजनक हैं। पारिस्थितिक तंत्र को बेहतर बनाए रखने में पशु-पक्षी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं लेकिन पशुओं की संख्या साल दर साल घटती जा रही है। वर्ष 2012 की पशुगणना के अनुसार राजस्थान में 5 करोड़ 77 लाख 32 हजार 204 पशु थे जबकि 20वीं पशुगणना में इनकी संख्या 5 करोड़ 68 हजार 945 रह गई। सबसे ज्यादा गिरावट गधों, खच्चर, ऊंट और सूअर की संख्या में दर्ज हुई। गौरतलब है कि देश में हर छह साल में पशुओं की गणना होती है। पशुगणना 2019 के मुताबिक प्रदेश में 68 हजार 392 घोड़े, ट्टटू, गधे और खच्चर हैं जिनकी संख्या पशुगणना 2012 में 1 लाख 22 हजार 619 थी। यानी पिछले सात साल में संख्या 54 हजार 772 कम हो गई।
चर्चा में गधी का दूध, लेकिन गधे हो रहे कम
जानकारी के मुताबिक गधी के दूध में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी एजीन तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर में कई गंभीर बीमारियों से लडऩे की क्षमता विकसित करते हैं लेकिन गधे की संख्या में कमी आ रही है। 2012 की तुलना में इनकी संख्या में 71.31 फीसदी की कमी हुई है। इसी प्रकार सूअर की संख्या 34.97 फीसदी, ऊंट की संख्या 34.69 फीसदी, खच्चर की संख्या में 60.33 फीसदी, घोड़े की संख्या में 10.85 फीसदी, बकरी की संख्या में 3.81 फीसदी, भेड़ की संचया में 12.95 फीसदी की कमी दर्ज की गई है।
इसलिए कम हो रही पशुओं की संख्या
पशुओं की संख्या कम होने का एक कारण आधुनिकता की चकाचौंध व मशीनी युग के कारण लोगों में पशु प्रेम की भावना का कम होना भी माना जा रहा है। बढ़ते मशीनीकरण, आधुनिक वाहन और ईंट भट्टे में काम नहीं मिलने की वजह से लोगों ने इन्हें पालना बंद कर दिया है। पहले ईंट भट्टों पर काम मिल जाता था लेकिन अबवहां भी अधिकतर ट्रैक्टर ट्रॉली का इस्तेमाल होता है। इसके अलावा लगातार कम हो रही चारागाह की जमीन और महंगे चारे की वजह से भी लोग अब इनको पालने में कतराने लगे हैं।
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पशु……… 2012……………….2019………….. अंतर प्रतिशत में
कैटल……..13324462………13937630……………..4.60
भैंस………..12976095……….13693316……………5.53
भेड़…………9079702………….7903857…………….माइनस 12.95
बकरी……….21665939…………..20840203……..माइनस 3.81
घोड़े और ट्टटू…37776…………………33679…………माइनस 10.85
खच्चर………..3375……………………..11339…………माइनस 60.33
गधे…………81468…………………….23374………………….माइनस 71.31
ऊंट…………………325713……………..212739……………..माइनस 34.69
सूअर…………..237674………………..154808……………. माइनस 34.87
कुल……………57732204………………56800945…………..माइनस 1.61

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