कमलेश कुशवाह मुरैना भाजपा जिलाध्यक्ष बने: अब तक उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी थी, राजनीतिक समीकरणों पर पड़ेगा असर – Morena News

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कमलेश कुशवाह मुरैना भाजपा जिलाध्यक्ष बने:  अब तक उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी थी, राजनीतिक समीकरणों पर पड़ेगा असर – Morena News

कमलेश कुशवाह मुरैना भाजपा जिलाध्यक्ष बने: अब तक उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी थी, राजनीतिक समीकरणों पर पड़ेगा असर – Morena News

भाजपा ने कमलेश कुशवाह को मुरैना का नया जिला अध्यक्ष नियुक्त किया है। वह अभी जिला उपाध्यक्ष के पद पर थे। पार्टी ने बुधवार रात जिलाध्यक्ष के तौर पर उनके नाम की घोषणा की। इसके साथ ही वर्तमान अध्यक्ष योगेश पाल गुप्ता की विदाई हो गई। पार्टी के इस फैसले को

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मुरैना जिले के सुमावली क्षेत्र में कुशवाह समाज का बड़ा दबदबा है। यहां लगभग 45 हजार कुशवाह वोटर हैं, जो विधानसभा चुनावों में किसी भी उम्मीदवार की जीत-हार में अहम भूमिका निभाते हैं। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने यह कदम उठाया है।

वर्ष 2021 में बने थे भाजपा जिला उपाध्यक्ष

कमलेश कुशवाहा वर्ष 2021 में भारतीय जनता पार्टी के मुरैना जिला के उपाध्यक्ष बने थे। जिलाध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे नाम पूर्व जिला अध्यक्ष योगेश पाल गुप्ता का चल रहा था। वह नरेंद्र सिंह तोमर के खास है। उनके जिला अध्यक्ष बनने की पूरी संभावना बताई जा रही थी। पार्टी को कुशवाहा समाज का वोट बैंक चाहिए था। इसके कारण उन्हें इस समाज के किसी कद्दावर नेता को अच्छे पद पर पदस्थ करना था।

कुशवाह समाज के सम्मेलन में मिला था इशारा

तीन दिन पहले मुरैना के जोरा रोड पर आयोजित सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की उपस्थिति ने इस नियुक्ति की दिशा स्पष्ट कर दी थी। सम्मेलन में समाज को यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि भाजपा कुशवाह समाज को लेकर गंभीर है और उन्हें उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए प्रतिबद्ध है।

राजनीतिक समीकरणों पर पड़ेगा असर

कमलेश कुशवाह की नियुक्ति न केवल मुरैना जिले में बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकती है। यह निर्णय सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखकर लिया गया है। आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में कुशवाह समाज का समर्थन भाजपा को निर्णायक बढ़त दिला सकता है। यह नियुक्ति कांग्रेस के लिए भी एक चुनौती पेश कर सकती है। कुशवाह समाज का झुकाव पारंपरिक रूप से दोनों प्रमुख दलों के बीच बदलता रहता है। ऐसे में भाजपा का यह कदम कांग्रेस के कुशवाह समाज में प्रभाव को कमजोर करने की दिशा में एक रणनीति माना जा रहा है।

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