कमलनाथ को महाराष्ट्र में कांग्रेस की नैय्या बचाने की जिम्मेदारी, गांधी परिवार के ‘सकंट मोचक’ का स्ट्राइक रेट जानें

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कमलनाथ को महाराष्ट्र में कांग्रेस की नैय्या बचाने की जिम्मेदारी, गांधी परिवार के ‘सकंट मोचक’ का स्ट्राइक रेट जानें

कमलनाथ को महाराष्ट्र में कांग्रेस की नैय्या बचाने की जिम्मेदारी, गांधी परिवार के ‘सकंट मोचक’ का स्ट्राइक रेट जानें

भोपाल : महाराष्ट्र में महाअघाड़ी सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। खबर है कि शिवसेना के बाद कांग्रेस के भी कुछ विधायक लापता हैं। इसके बाद कांग्रेस आलाकमान (kamalnath as a observer in maharashtra) ने अपने संकट मोचक को मैदान में उतार दिया है। मुश्किल वक्त में कांग्रेस और गांधी परिवार के लिए हमेशा खड़े रहने वाले एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ के कंधों पर महाराष्ट्र को बचाने की जिम्मेदारी दी गई है। महाराष्ट्र में चल रहे सियासी खींचतान के बीच कांग्रेस ने कमलनाथ को वहां के ऑब्जर्वर बनाया है।


कमलनाथ को ऑब्जर्वर बनाए जाने की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसके बाद कमलनाथ महाराष्ट्र जा सकते हैं। खबर है कि वहां जाने के बाद कमलनाथ नाराज विधायकों से बात करने की कोशिश करेंगे। हाल के दिनों में कांग्रेस पर जब-जब बड़ा संकट आया है, तब-तब गांधी परिवार ने कमलनाथ पर ही भरोसा जताया है। अपनी सरकार बचाने में असफल रहे कमलनाथ का स्ट्राइक रेट कांग्रेस को मुसीबत से निकालने में बेहतर रहा है।

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एमपी में कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद ऐसी ही स्थिति राजस्थान में उत्पन्न हुई थी। सचिन पायलट अपने समर्थकों को लेकर जयपुर से चले गए थे। तब कयास लगाए जा रहे थे कि राजस्थान में सरकार गिर जाएगी। पार्टी के तमाम दिग्गज नेता राजस्थान सरकार को बचाने की कोशिश में लगे थे। कुछ दिन बाद पार्टी की अध्यक्षा सोनिया गांधी ने कमलनाथ को जिम्मेदारी सौंपी थी। पार्टी के अंदर कमलनाथ के संबंध सभी नेताओं से अच्छे हैं।

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सियासी जानकारी मानते हैं कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट में समझौता करवाने में कमलनाथ ने बड़ी भूमिका निभाई थी। दोनों से उनके संबंध अच्छे हैं। पार्टी से नाराज रहने के बावजूद सचिन पायलट कमलनाथ के आग्रह पर एमपी में कई बार चुनाव प्रचार के लिए आए हैं।

जी-23 के नेताओं को भी मानने की कोशिश
कुछ महीने पहले जी-23 के नेता नाराज चल रहे थे। पत्र के जरिए उन नेताओं ने नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। इस बीच कमलनाथ और सोनिया गांधी की मुलाकात दो बार हुई। इसके बाद कमलनाथ ने मोर्चा संभाला था। कुछ हद तक वह जी-23 के नेताओं को मनाने में सफल भी रहे। इस दौरान उन्होंने भोपाल में कहा था कि किसी की कोई नाराजगी नहीं है। सभी हमारे अपने लोग हैं। उनलोगों से हमारी बातचीत हुई है।

गांधी परिवार से सबसे भरोसेमंद
कहा जाता है कि आज की तारीख में कमलनाथ गांधी परिवार के सबसे भरोमंद लोगों में शामिल हैं। कमलनाथ जब एमपी में सरकार की कमान संभाल रहे थे, तब बहुत लोगों की नाराजगी थी। कइयों ने जाकर आलाकमान से मुलाकात की लेकिन कमलनाथ ने जो चाहा, वही हुआ। भले ही उन्हें सरकार गंवानी पड़ी लेकिन झुके नहीं। इसके बावजूद गांधी परिवार का भरोसा नहीं टूटा।

एमपी में सरकार जानें की बात छोड़ दें तो संगठन की जिम्मेदारियों को कमलनाथ ने बखूबी निभाया। इसमें उनका स्ट्राइक रेट काफी अच्छा रहा है। एमपी में 15 साल से जब कांग्रेस सत्ता के लिए संघर्ष कर रही थी, तब सोनिया गांधी ने कमलनाथ को 2018 में प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एमपी भेजा था। उम्र अधिक होने के बावजूद उन्होंने संघर्ष किया और पार्टी सत्ता में आई।
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10 विधायक छोड़ सकते हैं पार्टी
वहीं, महाराष्ट्र से खबर आ रही है कि वहां 10 विधायक पार्टी छोड़ सकते हैं। वह दूसरे खेमे के लोगों के संपर्क में है। खबर मिलने के बाद महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक में खलबली है। उन्हें मनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है।

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