कभी पानी से जले थे दिये इसलिए नाम पड़ गया चिराग दिल्ली, पढ़िए इस इलाके की रोचक कहानी
क्यों पड़ा चिराग दिल्ली नाम?
चिराग दिल्ली इलाके का नाम हजरत निजामुद्दीन औलिया के प्रिय शिष्य नसीरुद्दीन महमूद के नाम पर पड़ा है। आज भी चिराग दिल्ली में उनकी दरगाह है। दरअसल, हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह में एक बावली बनाई जा रही है लेकिन उस वक्त के सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक ने कारीगरों को काम करने से मना कर दिया। ऐसे में कारीगर तेल के दिए जलाकर चोरी-छिपे रात में बावली बनाने लगे। जब इसके बारे में बादशाह को पता चला तो उसने तेल बेचने पर भी रोक लगा दी। कई दिनों तक बावली का का रुक गया। बताया जाता है कि इसके बाद हजरत निजामुद्दीन औलिया के अपने शिष्य नसीरुद्दीन महमूद को पानी से दिए जलाने का आशीर्वाद दिया। नसीरुद्दीन ने बावली का पानी घड़ों में भरा और उससे दिया जला दिया। इस घटना के बाद हजरत निजामुद्दीन औलिया ने उन्हें ‘चिराग-ए-दिल्ली’ का नाम दे दिया।
अपनी दरगाह की जगह खुद चुनी थी
चिराग-ए-दिल्ली की प्रसिद्धि धीरे-धीरे दुनियाभर में फैलने लगी। चिराग-ए-दिल्ली की दरगाह के खादिम पीरजादा जमीर अहमद बताते हैं कि चिराग-ए-दिल्ली ने अल्लाह से मिली जो विशेष शक्तियां थीं उसे अपने जीते जी किसी को नहीं दी थीं। चिराग-ए-दिल्ली ने अपनी दरगाह के लिए एक खास जगह चुनी जो चारों तरफ से दीवारों से घिरी हुई थी। उनकी दरगाह पर आज भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं। चिराग-ए-दिल्ली के नाम पर ही उनकी दरगाह वाले गांव का नाम चिराग दिल्ली पड़ गया।
कैसे पहुंचे चिराग दिल्ली?
अगर आप कभी चिराग दिल्ली इलाके में जाते हैं, तो यहां के पार्क में घूमकर आ सकते हैं। ये पार्क लाल बहादुर शास्त्री मार्ग पर स्थित हैं। इसके अलावा चिराग दिल्ली के हनुमान मंदिर पर भी कई लोग घूमने जाते हैं। अगर आप चिराग दिल्ली जाना चाहते हैं तो दिल्ली मेट्रो की मदद से आप आसानी से यहां पहुंच पाएंगे। चिराग दिल्ली मेट्रो स्टेशन DMRC की मेजेंटा लाइन पर है। गुरुवार को चिराग दिल्ली में बनी नसीरुद्दीन महमूद की दरगाह पर काफी भीड़ रहती है।