कनाडा ने माना खालिस्तानी भारत के लिए खतरा: फिर भी 4 साल में 1045 को दी शरण, दावा- निज्जर हत्याकांड के पीछे भारत h3>
भारत हमेशा से सवाल उठाता रहा है कि कनाडा खालिस्तानी आतंकियों को पनाह देता है। कनाडा भी ये मानता है कि खालिस्तानी आतंकी भारत के लिए खतरा हैं। हालांकि, 28 जनवरी 2025 को जारी कनाडा के फॉरेन इंटरफेरेंस कमीशन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि खालिस्तान स
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भारत के नजरिए से देखें तो इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जो भारत में खालिस्तान मूवमेंट चलाने के लिए टेरर फंडिंग कर रहे हैं।
दैनिक NEWS4SOCIALको कनाडा सरकार के इमिग्रेशन एंड रिफ्यूजी बोर्ड के डेटा से पता चला है कि कनाडा ने 2021 से 2024 के बीच 1045 सिख मिलिटेंट्स को शरण दी है। कनाडा जिन्हें सिख मिलिटेंट्स कह रहा है, असल में ये खालिस्तानी आतंकी ही हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार की भूमिका रही है। हालांकि, इसे साबित करने के लिए ठोस सबूत नहीं है। कनाडा ने ये बात सिर्फ विश्वसनीय आरोपों के आधार पर कही है और आज भी अपने दावे पर कायम है।
इमिग्रेशन एंड रिफ्यूजी बोर्ड के डेटा में और क्या है, कनाडा सरकार की फॉरेन इंटरफेरेंस कमीशन की रिपोर्ट में क्या लिखा है, ये जानने के लिए दैनिक NEWS4SOCIALने इसकी पड़ताल की। साथ ही कनाडा में रह चुके राजनयिक दीपक बोहरा से भी बात की।
2022 में सबसे ज्यादा 428 सिख मिलिटेंट्स को कनाडा में शरण मिली सबसे पहले बात कनाडा में खालिस्तानी आतंकियों को आसानी से मिलने वाली एंट्री की। इस पर इमिग्रेशन एंड रिफ्यूजी बोर्ड ने एक डेटा तैयार किया है। इसकी रिपोर्ट दैनिक NEWS4SOCIALके पास है। रिपोर्ट से पता चलता है कि 2021 से लेकर अगस्त 2024 तक 1045 खालिस्तानी आतंकियों को कनाडा में शरण मिली है। इस दौरान 1874 संदिग्ध लोगों ने कनाडा में शरण लेने के लिए आवेदन किया था।
रिपोर्ट की खास बातें…
- 2019 और 2020 में खालिस्तान से जुड़े लोगों ने शरण के लिए आवेदन किया था, लेकिन कनाडा ने एंट्री रोक दी। इमिग्रेशन एंड रिफ्यूजी बोर्ड की रिपोर्ट में लिखा है कि 2019 में 34 और 2020 में 28 लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन उन्हें एंट्री नहीं मिली।
- 2021 में 141 लोगों ने आवेदन किया। इनमें से 36 लोगों को शरण दे दी गई और ये कनाडा में रहने लगे। 2022 में 801 लोगों ने आवेदन किया और 428 लोगों को शरण दी गई।
- 2023 में ये संख्या कम होकर 364 हो गई। जनवरी से अगस्त तक 428 लोगों ने अप्लाय किया था। कनाडा सरकार ने इसमें 246 एप्लिकेशन मंजूर कर लीं। सितंबर से दिसंबर 2023 तक 190 लोगों ने आवेदन किया और 118 को शरण मिली।
- 2024 की जनवरी से मार्च तक कुल 119 लोगों ने आवेदन किया था। इनमें से 78 लोगों को एंट्री मिल गई। अप्रैल से अगस्त 2024 तक कुल 195 सिख मिलिटेंट्स ने कनाडा में शरण लेने के लिए आवेदन किया। इनमें से 139 लोगों को मंजूरी मिल गई।
- रिपोर्ट में खालिस्तान उग्रवादी कौन हैं और उन्हें शरण देने की वजह के बारे में कनाडा के इमिग्रेशन एंड रिफ्यूजी बोर्ड ने एक जानकारी दी है। उसके अनुसार, सिख मिलिटेंट्स के तौर पर जिसे पेश किया जा रहा है, वो खतरे में हैं। अपने ही देश में उनका उत्पीड़न किया जा रहा है, इसलिए उन्हें शरण चाहिए।
कनाडा सरकार के इमिग्रेशन एंड रिफ्यूजी बोर्ड ने डेटा तैयार किया है, जिससे पता चला है कि कनाडा ने 4 साल यानी 2021-24 के बीच 1045 सिख मिलिटेंट्स को शरण दी है।
कनाडा ने माना कि खालिस्तान भारत के लिए खतरा अब बात कनाडा सरकार की रिपोर्ट की। ये रिपोर्ट कनाडा सरकार के फॉरेन इंटरफेरेंस कमीशन ने करीब एक साल में तैयार की है। इस कमीशन को कमिश्नर मेरी जोसी हॉग ने लीड किया था। लीड काउंसिल शांतोना चौधरी समेत 20 से ज्यादा मेंबर इसमें शामिल थे।
रिपोर्ट के 4 वॉल्यूम जारी किए गए हैं। इसमें कनाडा के दूसरे देशों से रिश्तों के बारे में भी डिटेल जानकारी है। रिपोर्ट के वॉल्यूम नंबर-4 में भारत से जुड़ी जानकारियां हैं। रिपोर्ट में जिक्र है कि 1985 में एअर इंडिया हादसे के बाद से ही भारत परेशान है। भारत ने कनाडा में रहने वाले सिखों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने को लेकर वहां की सरकार पर दबाव बनाया। कनाडा में रहने वाले 8 लाख प्रवासी सिख टारगेट पर हैं।
CSIS (Canadian Security Intelligence Service) की रिपोर्ट के आधार पर दावा है कि भारत ने कुछ सबूतों के आधार पर कनाडा में पनप रहे खालिस्तान उग्रवाद से खतरे का अंदेशा जताया है। ये भी कहा है कि कुछ खालिस्तानी उग्रवादी कनाडा में रहकर भारत को टारगेट कर रहे हैं। वे खासतौर पर टेरर फंडिंग कर रहे हैं।
हालांकि, भारत के इस दावे पर कनाडा की इंटेलिजेंस सर्विस का मानना है कि खालिस्तान का समर्थन करने वाले ज्यादातर शांतिपूर्ण तरीके से रहते हैं।
इस लाइन का मतलब क्या है? ये पूछने पर कनाडा में राजनयिक रह चुके दीपक बोहरा कहते हैं, ‘वे भारत के टेरर फंडिंग के दावे को सीधे स्वीकार नहीं कर रहे हैं। ये जरूर कह रहे हैं कि ज्यादातर खालिस्तानी शांतिपूर्ण तरीके से रहते हैं। मतलब कुछ खालिस्तानी समर्थक हैं, जो भारत के खिलाफ टेरर फंडिंग कर रहे हैं या टेरर एक्टिविटी में शामिल हैं।‘
बोहरा आगे कहते हैं, ‘कनाडा ने रिपोर्ट में खुद लिखा है कि भारत ने Legitimate Basis (कानूनी आधार) पर खालिस्तानी आतंकी के दावे किए हैं। यानी भारत ने इसके वैध आधार दिए हैं। जबकि कनाडा ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के लिंक को लेकर सिर्फ आरोप लगाए हैं। ये अपने आप में कनाडा की पोल खोलता है।‘
कनाडा की फॉरेन इंटरफेरेंस कमीशन की रिपोर्ट में भी दावा किया गया है कि खालिस्तानी भारत के लिए खतरा हैं।
निज्जर की हत्या पर कनाडा का दावा बरकरार फॉरेन इंटरफेरेंस कमीशन की रिपोर्ट के पहले और तीसरे वॉल्यूम में हरदीप सिंह निज्जर के मर्डर का जिक्र है। हाल में कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि कनाडा ने पहली बार माना है कि निज्जर की हत्या में कोई बाहरी देश शामिल नहीं है। यानी कनाडा के PM ने भारत सरकार के इन्वॉल्वमेंट को लेकर पिछले दिनों जो दावा किया था, उसे ये रिपोर्ट झूठा साबित करती है।
हालांकि, ऐसा नहीं है। दैनिक NEWS4SOCIALकी पड़ताल में पता चला है कि कनाडा ने निज्जर हत्याकांड में भारत सरकार पर ही सवाल उठाए हैं। असल में निज्जर की हत्या के बाद कई इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स में भारत सरकार की भूमिका संदिग्ध बताई गई थी। कनाडा की इंटेलिजेंस एजेंसी ने ये जांच इसलिए शुरू की थी कि कहीं इस गलत सूचना (Disinformation) में किसी दूसरे देश का हाथ तो नहीं।
कनाडा ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि किसी दूसरे देश से कोई निश्चित संबंध साबित नहीं किया जा सका। (though again no definitive link to a foreign state could be proven)’। यानी इस सूचना को फैलाने में किसी बाहरी देश की भूमिका नहीं मिली है।
कनाडा सरकार के इसी दावे को कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये बताया गया कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में किसी फॉरेन स्टेट की भूमिका नहीं मिली है। यानी भारत सरकार को कनाडा ने क्लीनचिट दे दी है, जबकि ऐसा नहीं है।
निज्जर की हत्या में भारत का लिंक, सबूत नहीं सिर्फ विश्वसनीय आरोप का हवाला आखिर रिपोर्ट में निज्जर की हत्या पर भारत के बारे में क्या लिखा है, हमने इसकी पड़ताल की। पहले वॉल्यूम के पेज-41 पर इसका जिक्र मिला। रिपोर्ट में लिखा है- ‘कनाडा लगातार भारत के साथ अपने संबंध बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा था। हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंट्स के लिंक की संभावना है।’
‘इसे लेकर कनाडा का विश्वसनीय आरोप (Credible Allegation) है। हालांकि, भारत सरकार ने बार-बार इन आरोपों का खंडन किया है।’
इस दावे पर कनाडा में राजनयिक रहे दीपक बोहरा कहते हैं, ‘कोई भी देश जब दूसरे देश पर संगीन आरोप लगाता है, तो उसके पुख्ता सबूत देता है। कनाडा ने अपने आरोप के पीछे क्रेडिबल एलिगेशन की बात कही है। ये हैरान करने वाली बात है।‘
‘मुझे हंसी आती है कि कब से आरोप भी विश्वसनीय होने लगे। कनाडा ने अपनी रिपोर्ट में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के लिंक होने का बार-बार दावा किया है। कूटनीति में आरोप लगाने के लिए पुख्ता सबूत होने चाहिए, जो कनाडा के पास नहीं हैं।‘
कनाडा सरकार निज्जर मर्डर केस को लेकर अब भी अपने दावे पर कायम है। वो विश्वसनीय आरोपों के आधार अब भी मर्डर के लिए भारत को जिम्मेदार मानता है।
अजीत डोभाल से मीटिंग में भी कनाडा ने उठाया था निज्जर का मुद्दा रिपोर्ट के वॉल्यूम-4 के पेज नंबर-103 पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का जिक्र है। इसमें लिखा है कि जैसे निज्जर की हत्या हुई, वैसे अफवाहें उड़ीं कि इसमें भारत सरकार की भूमिका हो सकती है।
हालांकि, कनाडा की इंटेलिजेंस और सिक्योरिटी एजेंसियों की ऐसी कोई शुरुआती राय नहीं थी। यानी कनाडा इंटेलिजेंस ने शुरुआती अफवाहों पर गंभीरता नहीं दिखाई। इसके बाद तमाम मीडिया में भी खबरें आईं।
मीडिया में कहा गया कि रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या का बदला लेने के लिए भारत सरकार ने निज्जर की हत्या कराई है। कनाडा की खुफिया एजेंसी ने अपनी जांच के आधार पर दावा किया कि हत्या में भारत सरकार शामिल थी। उस समय CSIS के डायरेक्टर डेविड विग्राल्ट ने तुरंत राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया सलाहकार थॉमस को सूचना दी थी। इसकी ब्रीफ जानकारी कनाडा के प्रधानमंत्री को भी दी गई थी।
कनाडा की नेशनल सिक्योरिटी इंटेलिजेंस एडवाइजर जॉडी थॉमस ने अगस्त 2023 में अजीत डोभाल के साथ मीटिंग की थी। ये पहले से तय फॉर्मल मीटिंग थी। इसमें हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की भी चर्चा हुई थी। कनाडा के अधिकारी इसमें ये जताने की कोशिश करते रहे कि निज्जर हत्याकांड में वो सही कदम उठा रहे हैं। हालांकि भारत ने हमेशा इस दावे का विरोध किया।
कनाडा में भारत के बढ़ते प्रभाव को रोक रहा पाकिस्तान कनाडा ने इस रिपोर्ट में माना है कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते खराब हैं। ये भी दावा किया है कि कनाडा के विदेश मामलों में पाकिस्तान लगातार दखल दे रहा है। पाकिस्तान ऐसा इसलिए कर रहा है, ताकि उसके देश में स्थिरता रहे। वहीं विदेश नीति में भारत के बढ़ते प्रभाव को रोका जा सके।
पाकिस्तान कनाडा के कई समुदायों को टारगेट कर रहा है। वो कनाडा सरकार के कामकाज में भी दखल दे रहा है। पाकिस्तान का टारगेट लोकल लोग ही हैं।
इसे लेकर विदेश मामलों के जानकार दीपक बोहरा से हमने पूछा कि आखिर पाकिस्तान कैसे कनाडा में दखल करके भारत को नुकसान पहुंचा रहा है। जवाब में वो कहते हैं, ‘पाकिस्तान मुस्लिम कम्युनिटी में काफी दखल रखता है। वहां की सरकार कई बार वोट बैंक के लिए पाकिस्तान का सपोर्ट करती है।‘
‘यही वजह है कि इस रिपोर्ट में भी माना गया है कि पाकिस्तान कनाडा के लोकल लोगों और सोसाइटी को टारगेट कर रहा है। मैं पूरे दावे के साथ कहता हूं कि कनाडा में कई बड़ी आतंकी घटनाओं के पीछे भी पाकिस्तान की भूमिका रही है, इसलिए भारत इसका विरोध करता रहा है।‘
रिपोर्ट के इस हिस्से में भारत और पाकिस्तान के खराब रिश्तों का जिक्र है।
भारत ने खारिज की कनाडा की रिपोर्ट कनाडा की इस रिपोर्ट पर विदेश मंत्रालय के मुख्य प्रवक्ता रणधीर जायसवाल का एक बयान भी सामने आया था। उन्होंने X पर लिखा- ‘एक रिपोर्ट देखी है। दरअसल, कनाडा ही भारत के आंतरिक मामलों में लगातार दखल देता रहा है। इसी वजह से अवैध तरीके से माइग्रेशन और संगठित आपराधिक गतिविधियों का माहौल भी तैयार हुआ है।’
‘हम कनाडा की इस रिपोर्ट के हवाले से भारत पर लगाए गए आरोपों को खारिज करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि अवैध प्रवासन को सपोर्ट करने वाले सिस्टम को आगे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’ ……………………………….
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‘कनाडा में जो भी गलत रास्ते से आते हैं, मैंने हमेशा उन्हें डिपोर्ट करने की बात कही है। हम उन्हें डिपोर्ट करेंगे। यहां आने के बहुत सारे लीगल रास्ते हैं।’ डॉ. रूबी ढल्ला भारतीय मूल की कनाडाई सिटिजन हैं। प्रधानमंत्री पद की दावेदार हैं। अगर जीतीं, तो कनाडा में भारतीय मूल की पहली प्रधानमंत्री होंगी। दैनिक NEWS4SOCIALने उनसे बात की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू…