कच्चे माल के बढ़ते दाम के बीच क्या डीएपी पर सब्सिडी बढ़ाना एकमात्र विकल्प था?

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कच्चे माल के बढ़ते दाम के बीच क्या डीएपी पर सब्सिडी बढ़ाना एकमात्र विकल्प था?


कच्चे माल के बढ़ते दाम के बीच क्या डीएपी पर सब्सिडी बढ़ाना एकमात्र विकल्प था?

हाइलाइट्स:

  • खाद बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी इफको ने पिछले महीने दाम बढ़ाने का एलान किया था।
  • फिर विरोध के बाद इफको ने दाम बढ़ाने के अपने फैसले को वापस ले लिया था।
  • खाद बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल महंगे होने के बाद कंपनियों ने बढ़ाए थे दाम।

नई दिल्ली
सरकार ने डीएपी खाद पर सब्सिडी बढ़ा दी है। इससे केंद्र सरकार पर 14,775 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। सरकार पहले से राजकोषीय घाटे के दबाव का सामना कर रही है। ऐसे में उसकी मुश्किल और बढ़ेगी। सवाल है कि क्या डीएपी पर सब्सिडी बढ़ाना सरकार के लिए एकमात्र विकल्प था।

कच्चे माल की कीमतें 60 से 70 फीसदी तक बढ़ीं
पिछले कुछ महीनों में डीएपी सहित दूसरे खादों के कच्चे माल की कीमतों में तेज बढ़ोतरी हुई है। डीएपी में इस्तेमाल होने वाले फॉस्फोरिक एसिड (PhosPhoric Acid), अमोनिया (Amonia) आदि की कीमतें 60 से 70 फीसदी तक बढ़ गई हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तैयार डीएपी की कीमतें भी बढ़ी हैं।

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इफको ने अप्रैल में कीमतें बढ़ाने का ऐलान किया था
कच्चे माल की कीमतों में तेज वृद्धि के बावजूद पिछले महीने तक कंपनियों ने भारत में डीएपी की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की थी। लेकिन, कुछ दिन पहले डीएपी सहित कुछ खादों की कीमतें बढ़ा दी गईं। 8 अप्रैल को खबर आई थी कि इफको ने डीएपी और एनपीके उर्वरक की कीमत बढ़ा दी है. यह भी कहा गया कि बढ़ी कीमतें 1 अप्रैल से ही प्रभावी मानी जाएगी। फिर, सोशल मीडिया पर तो नए रेट लिखे उर्वरक के कट्टों की तस्वीरें वायरल होना शुरू हो गईं। इसके बाद दोपहर में इफको की तरफ से बयान आया कि किसानों को पुरानी कीमत पर ही उर्वरक मिलेगा।

इफको ने मूल्य वृद्धि का फैसला वापस ले लिया था
दरअसल, तब पश्चिम बंगाल सहित पांच राज्यों में चुनाव हो रहे थे। इनमें पश्चिम बंगाल के चुनाव को केंद्र सरकार काभी गंभीरता से ले रही थी। ऐसे में खाद की कीमतों में वृद्धि का फैसला सरकार के लिए नुकसान का सबब बन सकता था। यही वजह है कि इफको ने कीमतों में वृद्धि के एलान के बावजूद इस फैसले को वापस ले लिया था।

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किसानों के दबाव के बाद सरकार ने बढ़ाई सब्सिडी
चुनाव के नतीजे आने के बाद से खाद कंपनियों ने कीमतें बढ़ा दी। इसका चौतरफा विरोध शुरू हो गया। किसानों ने इसका विरोध किया। उधर, कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने इसके लिए सरकार पर जमकर निशाना साधा। कांग्रेस ने इसे किसानों को गुलाम बनाने की साजिश तक बता डाला। कांग्रेस ने सरकार से बढ़ी कीमतें वापस लेने की मांग की। आखिरकार सरकार ने किसानों और विपक्षी दलों के विरोध को देखते हुए डीएपी पर सब्सिडी बढ़ा दी। इससे किसानों को पुरानी दरों पर खाद मिलती रहेगी।

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