कच्ची घानी से नहीें निकल रहा तेल, पिपलानी-बरखेड़ा की दुकानें भी ठप | Oil is not coming out of raw water, shops also stalled | Patrika News

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कच्ची घानी से नहीें निकल रहा तेल, पिपलानी-बरखेड़ा की दुकानें भी ठप | Oil is not coming out of raw water, shops also stalled | Patrika News

कच्ची घानी से नहीें निकल रहा तेल, पिपलानी-बरखेड़ा की दुकानें भी ठप | Oil is not coming out of raw water, shops also stalled | Patrika News

संस्था में हुए चुनाव के बाद चुनकर आए संचालक मंडल द्वारा संस्था को लाभ पहुंचाने के लिए तरह- तरह के प्रयोग किए जाने लगे। इसके पहले चरण में कुछ दिनों तक कॉफी हाउस चलाया गया। इसके बाद इसमें किराना दुकान खोली गई। मजे की बात यह है कि भेल उपभोक्त भंडार द्वारा रंग-रोगन करने के साथ ही दुकानों को संचालित करने के लिए भी मदद के तौर पर राशि दी गई। लेकिन इसके कर्ताधर्ता ही संस्था को चूना लगाते रहे।

गौरतलब है कि वर्ष 2019 में संस्था का चुनाव कराया गया था। इसमें चुनकर आए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संचालक मंडल से सोसायटी में कार्यरत कर्मचारियों को उम्मीद जगी थी कि अब कुछ बेहतर होगा। लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। कर्मचारियों को समय पर वेतन और सुविधाएं मिल सकेंगी। पर यह भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी और समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। संस्था में कार्यरत कर्मचारियों को दो-तीन महीने में वेतन मिल रहा है।

ऐसे में जब तक वेतन मिलता है दो महीने का बकाया चढ़ जाता है। इस संबंध में संस्था अध्यक्ष मनोज बुद्धिराजा का कहना है कि अध्यक्ष का पदभार संभालने के बाद हमने संस्था में काफी बदलाव किया है। इससे पुरानी पेंडिग कुछ हद तक खत्म हुई है। संस्था के तहत विभिन्न विभागों और संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों को समय पर वेतन भुगतान के लिए पहल की है। गैस सिलेंडर में 1600 की पेंडिंग थी, जो आज 135 बची है।

कर्मचारियों को मौका मिले तो पद छोड़ देंगे
अध्यक्ष बुद्धिराजा का कहना है हमारी पहली प्राथमिकता कर्मचारियों को समय पर वेतन मिले, ताकि उनका घर परिवार चल सके। अध्यक्ष ने कहा कि संस्था में युवा कर्मचारियों को सदस्य बनाएंगे इसके लिए जल्द प्रक्रिया शुरू करेंगे। उन्होंने कहा, हमारा मन है कि संस्था को भेल कर्मचारी चलाएं। हम आगामी बैठक में इस बात को रखेंगे। बोर्ड के संचालक और सदस्य तैयार होते हैं तो पद से इस्तीफा देकर चुनाव कराने की पहल करेंगे।

काफी हाउस
को-ऑपरेटिव सोसायटी द्वारा संचालित कॉफी हाउस को संस्था के डायरेक्टर जितेंद्र कुमार सक्सेना द्वारा संचालित किया जा रहा था। इसमें संस्था द्वारा करीब तीन लाख की पूंजी खर्च की गई थी। करीब नौ महीने बाद कॉफी हाउस को बंद कर दिया गया। यहां कार्यरत कर्मचारियों का 40 से 50 हजार रुपए का भुगतान भी संस्था द्वारा किया गया। फिर किराना दुकान शुरू की गई। इसके लिए संस्था द्वारा पांच लाख रुपए की राशि दी गई। इसके कर्ताधर्ता संस्था के संचालक विमल कुमार साहू थे। एक साल बाद दुकान बंद हो गई और संस्था द्वारा लगाई गई पूंजी भी डूब गई।

इसके बाद दुकान को किराए पर दे दिया गया। यही हाल बरखेड़ा काफी हाउस का भी रहा। इसे भी बंद कर किराना दुकान संचालित करने के लिए किराए पर दे दिया गया। दुकान के पीछे खाली पड़ी जमीन पर भेल नगर प्रशासन के बिना अनुमति के टीन शेड लगा दिया गया। सूत्रों की माने तो इसके रंग रोगन सहित अन्य कार्यों में लाखों रुपए की राशि खर्च की गई। किराए पर दी गई दुकान के लिए शर्त थी कि दुकानदार बिजली का बिल और सामान की बिक्री का तीन प्रतिशत लाभ संस्था को देगा। लेकिन इसमें भी झोल हो गया। दुकानदार संस्था को धता बताते हुए खुद के खाते में ऑनलाइन भुगतान करवा रहा था। जिससे पता ही नहीं चल पा रहा था कि कितने रुपए का सामान बिक्री किया गया। इस तरह संस्था को यहां भी चूना लगा। दुकान करीब 10 महीने बाद बंद कर दी गई।

कच्ची घानी एवं ऑयल स्पेलर
सोसायटी द्वारा पिपलानी पोस्ट ऑफिस के पास कच्ची घानी ऑयल स्पेलर लगाया गया। इसका मकसद भेल कर्मचारियों को घानी का निकाला हुआ शुद्ध तेल उपलब्ध कराने के साथ ही संस्था की भी सेहत सुधारना था। संस्था द्वारा ढाई लाख की मशीन के साथ ही करीब 50 हजार रुपए भवन के रंग-रोगन आदि में खर्च किए गए। दो साल से चल रही इस घानी से भेलकर्मियों की सेहत में भले ही सुधार हुआ हो पर संस्था की सेहत को नुकसान हो रहा है। अब तक कोई लाभ अर्जित नहीं हुआ। करीब 4 हजार रुपए महीने बिजली का बिल अलग से जमा करना पड़ रहा है।

कच्ची घानी स्पेलर के साथ ही पिपलानी और बरखेड़ा की दुकानों पर संस्था द्वारा राशि खर्च की गई। पर इससे बचत के नाम पर संस्था को कुछ भी राशि नहीं मिल रही है।
रमेश यादव, मैनेजर, भेल उपभोक्ता भंडार

किराना दुकान में दुकानदार खुद के खाते में ऑनलाइन पेमेंट करा रहा था, जिसकी शिकायत मिलने पर दुकान बंद करा दी गई। कच्ची घानी स्पेलर से दो कर्मचारियों के वेतन से ज्यादा की आमदनी हो रही है।
मनोज बुद्धिराजा, अध्यक्ष भेल उपभोक्ता भंडार



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