औरंगजेब की दरगाह पर क्यों पहुंचे प्रकाश आंबेडकर? क्या होगा इसका नफा नुकसान h3>
मुंबई: औरंगजेब को लेकर महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में तनाव और लाठीचार्ज की खबरें थमी नहीं थीं कि दलित नेता प्रकाश आंबेडकर औरंगाबाद स्थित विवादित शहंशाह के मजार पर पहुंच गए। वे बाबासाहेब आंबेडकर के पोते हैं और उनकी पार्टी बहुजन विकास महासंघ ने कुछ महीनों पहले उद्धव ठाकरे के शिवसेना गुट के साथ औपचारिक समझौते की घोषणा की थी। सत्ताधारी बीजेपी और शिवसेना (शिंदे) को उनके इस कदम से जैसे संजीवनी मिल गई। दोनों पार्टियों ने इस कदम के बाद उद्धव ठाकरे के ‘हिंदुत्व’ को ललकारते हुए उनसे इस मुद्दे पर सफाई मांगी है।औरंगजेब के नाम पर महाराष्ट्र में राजनीति गर्म
मराठवाडा इलाके के छोटे से शहर में कुछ युवकों ने अपने वॉट्सऐप पर औरंगजेब का प्रोफाइल लगाकर महाराष्ट्र भर में राजनीति गरमा दी थी। इसके बाद कई शहरों में तनाव के हालात पैदा हुए और कोल्हापुर में औरंगजेब को बढ़ावा देने का विरोध कर रही भारी भीड़ पर पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विपक्ष पर ‘औरंग्या’ (औरंगजेब का बिगड़ा हुआ नाम) को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। वहीं, विपक्षी महा विकास आघाडी ने उलटकर उन्हीं पर कर्नाटक की हार के बाद दंगे भड़काकर वोट बैंक बढ़ाने का आरोप लगा दिया। शिवसेना के सहयोगियों कांग्रेस और एनसीपी को सफाई देनी पड़ी है कि औरंगज़ेब उनके लिए कोई मुद्दा ही नहीं हैं। प्रकाश आंबेडकर के औरंगजेब की मजार पर जाने को इस मुद्दे पर निशाना बनाए जा रहे मुस्लिम वोटों को मजबूत करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
उद्धव ठाकरे की पार्टी के सामने परेशानी
समस्या यह है कि खुद को अब भी ‘हिंदुत्व’ की रक्षक बताने वाली उद्धव ठाकरे की पार्टी के लिए ऐसी घटनाएं परेशानी पैदा करती हैं। इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर पर निशाना साधा था तो इसे लेकर बीजेपी के हमले उद्धव को घायल कर गए थे। आखिर उद्धव की पार्टी के अनुरोध पर राहुल को सावरकर का मुद्दा टालने के लिए मानना पड़ा था।
देखिए किसने क्या कहा?
मैं पर्यटन स्थल के तौर पर यहां आया हूं। औरंगज़ेब के नाम पर जिस तरह लड़ाइयां लगाने का काम चल रहा है, उनसे मैं कहना चाहता हूं, 50 साल औरंगज़ेब ने राज किया, यह किसी को मिटाते नहीं बनेगा।
प्रकाश आंबेडकर, पूर्व सांसद
प्रकाश आंबेडकर ने पापी औरंगज़ेब की कब्र पर जाकर सलाम ठोका है, यह धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज के बलिदान का अपमान है। काश बाबासाहेब आंबेडकर की पुस्तक ‘थाट्स ऑन पाकिस्तान’ पढ़ी होती।
अजित चव्हाण, प्रवक्ता बीजेपी
प्रकाश आंबेडकर के इस कदम पर कोई आश्चर्य नहीं है। इससे पहले वे ‘औरंगज़ेबी’ पार्टी एआईएमआईएम के सहयोगी रहे हैं। वे ऐसा ही करते रहे, तो बचे-खुचे समर्थक भी उन्हें छोड़कर चले जाएंगे।
कृष्णा हेगडे, प्रवक्ता शिवसेना (शिंदे)
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मराठवाडा इलाके के छोटे से शहर में कुछ युवकों ने अपने वॉट्सऐप पर औरंगजेब का प्रोफाइल लगाकर महाराष्ट्र भर में राजनीति गरमा दी थी। इसके बाद कई शहरों में तनाव के हालात पैदा हुए और कोल्हापुर में औरंगजेब को बढ़ावा देने का विरोध कर रही भारी भीड़ पर पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विपक्ष पर ‘औरंग्या’ (औरंगजेब का बिगड़ा हुआ नाम) को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। वहीं, विपक्षी महा विकास आघाडी ने उलटकर उन्हीं पर कर्नाटक की हार के बाद दंगे भड़काकर वोट बैंक बढ़ाने का आरोप लगा दिया। शिवसेना के सहयोगियों कांग्रेस और एनसीपी को सफाई देनी पड़ी है कि औरंगज़ेब उनके लिए कोई मुद्दा ही नहीं हैं। प्रकाश आंबेडकर के औरंगजेब की मजार पर जाने को इस मुद्दे पर निशाना बनाए जा रहे मुस्लिम वोटों को मजबूत करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
उद्धव ठाकरे की पार्टी के सामने परेशानी
समस्या यह है कि खुद को अब भी ‘हिंदुत्व’ की रक्षक बताने वाली उद्धव ठाकरे की पार्टी के लिए ऐसी घटनाएं परेशानी पैदा करती हैं। इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर पर निशाना साधा था तो इसे लेकर बीजेपी के हमले उद्धव को घायल कर गए थे। आखिर उद्धव की पार्टी के अनुरोध पर राहुल को सावरकर का मुद्दा टालने के लिए मानना पड़ा था।
देखिए किसने क्या कहा?
मैं पर्यटन स्थल के तौर पर यहां आया हूं। औरंगज़ेब के नाम पर जिस तरह लड़ाइयां लगाने का काम चल रहा है, उनसे मैं कहना चाहता हूं, 50 साल औरंगज़ेब ने राज किया, यह किसी को मिटाते नहीं बनेगा।
प्रकाश आंबेडकर, पूर्व सांसद
प्रकाश आंबेडकर ने पापी औरंगज़ेब की कब्र पर जाकर सलाम ठोका है, यह धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज के बलिदान का अपमान है। काश बाबासाहेब आंबेडकर की पुस्तक ‘थाट्स ऑन पाकिस्तान’ पढ़ी होती।
अजित चव्हाण, प्रवक्ता बीजेपी
प्रकाश आंबेडकर के इस कदम पर कोई आश्चर्य नहीं है। इससे पहले वे ‘औरंगज़ेबी’ पार्टी एआईएमआईएम के सहयोगी रहे हैं। वे ऐसा ही करते रहे, तो बचे-खुचे समर्थक भी उन्हें छोड़कर चले जाएंगे।
कृष्णा हेगडे, प्रवक्ता शिवसेना (शिंदे)
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