ओबीसी, दलित और महिला… राज्यसभा चुनाव में दो टिकट से बीजेपी ने तीन तबको को साधा, दिग्गजों के हाथ निराशा

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ओबीसी, दलित और महिला… राज्यसभा चुनाव में दो टिकट से बीजेपी ने तीन तबको को साधा, दिग्गजों के हाथ निराशा

ओबीसी, दलित और महिला… राज्यसभा चुनाव में दो टिकट से बीजेपी ने तीन तबको को साधा, दिग्गजों के हाथ निराशा

भोपाल : एमपी में बीजेपी कोटे से राज्यसभा (madhya pradesh rajyasabha election nomination) की दो सीटें खाली हो रही हैं। प्रदेश के कई दिग्गज नेताओं के नामों की चर्चा इन सीटों के लिए थी। साथ ही कई लोग दिल्ली से लेकर भोपाल तक फील्डिंग भी सजा रहे थे। इसके बावजूद बीजेपी नेतृत्व ने एमपी से दो ऐसे उम्मीदवारों को मौका दिया है, जिनके नाम की चर्चा तक नहीं थी। साथ ही टिकट पाने वाली महिलाओं को उम्मीद भी नहीं थी कि उन्हें राज्यसभा जाने का मौका मिलेगा। एमपी में निकाय और ग्राम पंचायत के चुनावों से पहले बीजेपी अपनी चाल से ओबीसी, एससी और महिला वोटरों को एक ही झटके में साध लिया है।


बीजेपी ने एमपी से राज्यसभा के लिए कविता पाटीदार और सुमित्रा बाल्मीकि को उम्मीदवार बनाया है। दोनों महिला हैं। बीजेपी पहली बार एमपी से दोनों सीटों पर महिला को राज्यसभा भेज रही है। इसके जरिए पार्टी ग्राम पंचायत और निकाय चुनाव में महिला वोटरों को साधने की कोशिश कर रही है। विधानसभा चुनावों महिलाओं ने बढ़ चढ़कर वोटिंग की थी। इस बार ग्राम पंचायत के चुनाव में भी एक करोड़ 90 लाख 62 हजार 749 महिला वोटर हैं। बीजेपी इन्हीं वोटरों को साधने के लिए महिला उम्मीदवारों पर दांव लगाया है।

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ओबीसी को भी किया खुश

एमपी की राजनीति में अभी ओबीसी एक बड़ा मुद्दा है। पिछली बार ओबीसी आरक्षण की वजह से ही पंचायत और निकाय चुनाव टल गया था। मामला सुप्रीम कोर्ट में गया। इसके बाद ओबीसी को आरक्षण देने का फैसला हुआ है। ओबीसी आरक्षण के साथ एमपी में पंचायत और निकाय के चुनाव हो रहे हैं। बीजेपी इसे अपनी बड़ी जीत बता रही हैं। वहीं, कांग्रेस भी श्रेय लेने में लगी। इस बीच ओबीसी वर्ग से आने वाली कविता पाटीदार को बीजेपी ने राज्यसभा उम्मीदवार बनाकर बड़ा दांव चला।

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प्रदेश में ओबीसी वोटरों की आबादी 50 फीसदी से अधिक है। बीजेपी ने निकाय चुनाव से पहले कविता पाटीदार के नाम की घोषणा कर एक बड़ा खेल खेला है। इसे पार्टी अब बड़े पैमाने पर भूनाने की कोशिश कर रही है। अभी प्रदेश में सीएम भी ओबीसी वर्ग से ही आते हैं। ओबीसी वर्ग एमपी के चुनाव में गेम चेंजर की भूमिका में होते हैं। निकाय चुनावों में बीजेपी अगर अपने प्लान में सफल होती है। मिशन 2023 को भी इससे बड़ा फायदा होगा।

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एससी वर्ग को भी साधा

एमपी के सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज थी कि ओबीसी वर्ग को खुश करने के चक्कर में बीजेपी एससी-एसटी वर्ग को नाराज कर रही है। राज्यसभा की दूसरी सीट के लिए यह चर्चा शुरू हो गई थी कि पार्टी किसी दलित या आदिवासी को उच्च सदन में भेज सकती है। दिल्ली में मंथन के बाद सोमवार की रात दलित चेहरा सुमित्रा बाल्मीकि के नाम पर मुहर लग गई। बाल्मीकि बीजेपी में प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। एमपी में एससी वोटरों की आबदी 17 फीसदी से अधिक है। बीजेपी सुमित्रा बाल्मीकि को राज्यसभा भेजकर इस वर्ग को भी साधने में जुटी है।

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अगर बीजेपी का प्रयोग सफल रहा तो 2023 की राहें आसान हो जाएंगी। एमपी में बीजेपी ने राज्यसभा की दो सीटों से तीन तबके को साधने की कोशिश की है। इसके बाद कांग्रेस के सामने चुनौती बढ़ गई है। इन वर्गों को साधने के लिए कांग्रेस के पास फिलहाल कोई विकल्प नहीं है। ये संभव है कि बीजेपी के प्लान की काट में कांग्रेस निकाय और ग्राम पंचायत के चुनावों में ज्यादा से ज्यादा ओबीसी और एससी वर्ग के लोगों को टिकट दे सकती है।

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