ऑल टाइम हाई पर सोना: आगे और बढ़ सकते हैं दाम, गोल्ड ETF के जरिए करें निवेश; एक साल में दिया 29% तक का रिटर्न h3>
नई दिल्ली10 घंटे पहले
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गोल्ड 85,000 रुपए प्रति 10 ग्राम का लेवल पार करके 85,207 रुपए के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया है। IBJA के अनुसार इस साल अब तक सोने के दाम 19,045 रुपए बढ़ चुके हैं। 31 दिसंबर को सोना 76,162 रुपए पर था, जो अब 85,207 रुपए प्रति 10 ग्राम पहुंच गया है।
एक्सपर्ट के अनुसार इस साल के आखिर तक सोना 1.10 लाख रुपए तक जा सकता है। अगर आप भी सोने में निवेश करने का मन बना रहे हैं तो गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड यानी गोल्ड ETFs में निवेश एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। इसने बीते 1 साल में 29% तक का रिटर्न दिया है। ऐसे में यहां हम आपको गोल्ड ETF के बारे में बता रहे हैं…
सोने के गिरते-चढ़ते भावों पर बेस्ड होते हैं ETF एक्सचेंज ट्रेडेड फंड सोने के गिरते-चढ़ते भावों पर बेस्ड होते हैं। एक गोल्ड ETF यूनिट का मतलब है कि 1 ग्राम सोना। वह भी पूरी तरह से प्योर। गोल्ड ETFs की खरीद-बिक्री शेयर की ही तरह BSE और NSE पर की जा सकती है। हालांकि, इसमें आपको सोना नहीं मिलता। आप जब इससे निकलना चाहें तब आपको उस समय के सोने के भाव के बराबर पैसा मिल जाएगा।
गोल्ड ETF में निवेश करने के 5 फायदे
- कम मात्रा में भी खरीद सकते हैं सोना: ETF के जरिए सोना यूनिट्स में खरीदते हैं, जहां एक यूनिट एक ग्राम की होती है। इससे कम मात्रा में या SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए सोना खरीदना आसान हो जाता है। वहीं भौतिक (फिजिकल) सोना आमतौर पर तोला (10 ग्राम) के भाव बेचा जाता है। ज्वेलर से खरीदने पर कई बार कम मात्रा में सोना खरीदना संभव नहीं हो पाता।
- मिलता है शुद्ध सोना: गोल्ड ETF की कीमत पारदर्शी और एक समान होती है। यह लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन का अनुसरण करता है, जो कीमती धातुओं की ग्लोबल अथॉरिटी है। वहीं फिजिकल गोल्ड अलग-अलग विक्रेता/ज्वेलर अलग-अलग कीमत पर दे सकते हैं। गोल्ड ETF से खरीदे गए सोने की 99.5% शुद्धता की गारंटी होती है, जो कि सबसे उच्च स्तर की शुद्धता है। आप जो सोना लेंगे उसकी कीमत इसी शुद्धता पर आधारित होगी।
- नहीं आता ज्वेलरी मेकिंग का खर्च: गोल्ड ETF खरीदने में 1% या इससे कम की ब्रोकरेज लगती है, साथ ही पोर्टफोलियो मैनेज करने के लिए सालाना 1% चार्ज देना पड़ता है। यह उस 8 से 30% मेकिंग चार्जेस की तुलना में कुछ भी नहीं है, जो ज्वेलर और बैंक को देना पड़ता है, भले ही आप सिक्के या बार खरीदें।
- सोना रहता है सुरक्षित: इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड डीमैट अकाउंट में होता है, जिसमें सिर्फ सालाना डीमैट चार्ज देना होता है। साथ ही चोरी होने का डर नहीं होता। वहीं फिजिकल गोल्ड में चोरी के खतरे के अलावा उसकी सुरक्षा पर भी खर्च करना होता है।
- व्यापार की आसानी: गोल्ड ETF को बिना किसी परेशानी के तुरंत खरीदा और बेचा जा सकता है। गोल्ड ETF को लोन लेने के लिए सिक्योरिटी के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसमें कैसे कर सकते हैं निवेश? गोल्ड ETF खरीदने के लिए आपको अपने ब्रोकर के माध्यम से डीमैट अकाउंट खोलना होता है। इसमें NSE पर उपलब्ध गोल्ड ETF के यूनिट आप खरीद सकते हैं और उसके बराबर की राशि आपके डीमैट अकाउंट से जुड़े बैंक अकाउंट से कट जाएगी। आपके डीमैट अकाउंट में ऑर्डर लगाने के दो दिन बाद गोल्ड ETF आपके अकाउंट में डिपॉजिट हो जाते हैं। ट्रेडिंग खाते के जरिए ही गोल्ड ETF को बेचा जाता है।
सोने में सीमित निवेश फायदेमंद एक्सपर्ट के अनुसार, भले ही आपको सोने में निवेश करना पसंद हो तब भी आपको इसमें सीमित निवेश ही करना चाहिए। कुल पोर्टफोलियो का सिर्फ 10 से 15% ही सोने में निवेश करना चाहिए। किसी संकट के दौर में सोने में निवेश आपके पोर्टफोलियो को स्थिरता दे सकता है, लेकिन लंबी अवधि में यह आपके पोर्टफोलियो के रिटर्न को कम कर सकता है।
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गोल्ड 85,000 रुपए प्रति 10 ग्राम का लेवल पार करके 85,207 रुपए के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया है। IBJA के अनुसार इस साल अब तक सोने के दाम 19,045 रुपए बढ़ चुके हैं। 31 दिसंबर को सोना 76,162 रुपए पर था, जो अब 85,207 रुपए प्रति 10 ग्राम पहुंच गया है।
एक्सपर्ट के अनुसार इस साल के आखिर तक सोना 1.10 लाख रुपए तक जा सकता है। अगर आप भी सोने में निवेश करने का मन बना रहे हैं तो गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड यानी गोल्ड ETFs में निवेश एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। इसने बीते 1 साल में 29% तक का रिटर्न दिया है। ऐसे में यहां हम आपको गोल्ड ETF के बारे में बता रहे हैं…
सोने के गिरते-चढ़ते भावों पर बेस्ड होते हैं ETF एक्सचेंज ट्रेडेड फंड सोने के गिरते-चढ़ते भावों पर बेस्ड होते हैं। एक गोल्ड ETF यूनिट का मतलब है कि 1 ग्राम सोना। वह भी पूरी तरह से प्योर। गोल्ड ETFs की खरीद-बिक्री शेयर की ही तरह BSE और NSE पर की जा सकती है। हालांकि, इसमें आपको सोना नहीं मिलता। आप जब इससे निकलना चाहें तब आपको उस समय के सोने के भाव के बराबर पैसा मिल जाएगा।
गोल्ड ETF में निवेश करने के 5 फायदे
- कम मात्रा में भी खरीद सकते हैं सोना: ETF के जरिए सोना यूनिट्स में खरीदते हैं, जहां एक यूनिट एक ग्राम की होती है। इससे कम मात्रा में या SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए सोना खरीदना आसान हो जाता है। वहीं भौतिक (फिजिकल) सोना आमतौर पर तोला (10 ग्राम) के भाव बेचा जाता है। ज्वेलर से खरीदने पर कई बार कम मात्रा में सोना खरीदना संभव नहीं हो पाता।
- मिलता है शुद्ध सोना: गोल्ड ETF की कीमत पारदर्शी और एक समान होती है। यह लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन का अनुसरण करता है, जो कीमती धातुओं की ग्लोबल अथॉरिटी है। वहीं फिजिकल गोल्ड अलग-अलग विक्रेता/ज्वेलर अलग-अलग कीमत पर दे सकते हैं। गोल्ड ETF से खरीदे गए सोने की 99.5% शुद्धता की गारंटी होती है, जो कि सबसे उच्च स्तर की शुद्धता है। आप जो सोना लेंगे उसकी कीमत इसी शुद्धता पर आधारित होगी।
- नहीं आता ज्वेलरी मेकिंग का खर्च: गोल्ड ETF खरीदने में 1% या इससे कम की ब्रोकरेज लगती है, साथ ही पोर्टफोलियो मैनेज करने के लिए सालाना 1% चार्ज देना पड़ता है। यह उस 8 से 30% मेकिंग चार्जेस की तुलना में कुछ भी नहीं है, जो ज्वेलर और बैंक को देना पड़ता है, भले ही आप सिक्के या बार खरीदें।
- सोना रहता है सुरक्षित: इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड डीमैट अकाउंट में होता है, जिसमें सिर्फ सालाना डीमैट चार्ज देना होता है। साथ ही चोरी होने का डर नहीं होता। वहीं फिजिकल गोल्ड में चोरी के खतरे के अलावा उसकी सुरक्षा पर भी खर्च करना होता है।
- व्यापार की आसानी: गोल्ड ETF को बिना किसी परेशानी के तुरंत खरीदा और बेचा जा सकता है। गोल्ड ETF को लोन लेने के लिए सिक्योरिटी के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसमें कैसे कर सकते हैं निवेश? गोल्ड ETF खरीदने के लिए आपको अपने ब्रोकर के माध्यम से डीमैट अकाउंट खोलना होता है। इसमें NSE पर उपलब्ध गोल्ड ETF के यूनिट आप खरीद सकते हैं और उसके बराबर की राशि आपके डीमैट अकाउंट से जुड़े बैंक अकाउंट से कट जाएगी। आपके डीमैट अकाउंट में ऑर्डर लगाने के दो दिन बाद गोल्ड ETF आपके अकाउंट में डिपॉजिट हो जाते हैं। ट्रेडिंग खाते के जरिए ही गोल्ड ETF को बेचा जाता है।
सोने में सीमित निवेश फायदेमंद एक्सपर्ट के अनुसार, भले ही आपको सोने में निवेश करना पसंद हो तब भी आपको इसमें सीमित निवेश ही करना चाहिए। कुल पोर्टफोलियो का सिर्फ 10 से 15% ही सोने में निवेश करना चाहिए। किसी संकट के दौर में सोने में निवेश आपके पोर्टफोलियो को स्थिरता दे सकता है, लेकिन लंबी अवधि में यह आपके पोर्टफोलियो के रिटर्न को कम कर सकता है।
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