ऐंबुलेंस नहीं मिली तो पत्नी को ठेली पर अस्पताल लेकर पहुंचा पति, डॉक्टरों ने लौटाया… गाजियाबाद में मामला गरमाया h3>
गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की कोशिशें कामयाब नहीं हो पा रही हैं। शासन के कड़े निर्देशों के बाद भी जिले में ऐम्बुलेंस सेवा और स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर नहीं आ पा रही हैं। शुक्रवार को एक व्यक्ति अपनी पत्नी को सांस लेने में परेशानी होने पर ऐम्बुलेंस नहीं मिलने के कारण ठेली पर लिटाकर एमएमजी अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर पहुंचा, लेकिन डॉक्टरों ने महिला का उपचार करने से इनकार करते हुए उसे निजी अस्पताल ले जाने की सलाह दे दी। इसके अलावा एक अन्य मरीज काला पीलिया की बीमारी के चलते अस्पताल पहुंचा था, लेकिन डॉक्टरों ने उसका भी उपचार करने से इनकार दिया।
विजयनगर की सुदामापुरी कॉलोनी में रहने वाले निरंजन ठेली से बिल्डिंग मटीरियल सप्लाई करने का काम करते हैं। शुक्रवार को उनकी पत्नी सीमा (45) को सांस लेने में परेशानी होने पर उन्होंने ऐम्बुलेंस भेजने के लिए अस्पताल में फोन किया लेकिन आधे घंटे तक ऐम्बुलेंस नहीं पहुंची। जिसके बाद निरंजन पत्नी को अपनी ठेली पर ही लिटाकर एमएमजी अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर पहुंचे। वहां डॉक्टरों ने महिला का उपचार करने से इनकार कर दिया और उन्हें निजी अस्पताल ले जाने की सलाह देकर वापस भेज दिया।
इसी बीच कुछ मीडियाकर्मी महिला मरीज का फोटो खींचने लगे तो इमरजेंसी के स्टाफ में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में मरीज को वापस इमरजेंसी में ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने पहले महिला को काफी देर बैठाकर रखा और फिर इंजेक्शन लगाकर वापस भेज दिया। महिला के पति ने बताया कि गुरुवार को भी पत्नी को सांस लेने में परेशानी हो रही थी। वह गुरुवार को भी पत्नी को लेकर इमरजेंसी में आए थे लेकिन डॉक्टरों ने भर्ती करने की बजाय इंजेक्शन लगाकर वापस लौटा दिया था।
काला पीलिया के मरीज को लौटाया
विजय नगर में ही रहने वाले नकुल को काला पीलिया की शिकायत है। परिजन शुक्रवार को नकुल को लेकर एमएमजी अस्पताल की ओपीडी में पहुंचे थे, लेकिन ओपीडी में डॉक्टर ने उन्हें दवा देने और भर्ती करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद परिजन नकुल को संजय नगर स्थित कंबाइंड अस्पताल ले गए, लेकिन वहां भी इस बीमारी दवा नहीं होने की बात कहते हुए उन्हें दिल्ली रेफर करने को कहा गया। जिस पर परिजन नकुल को वापस एमएमजी अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर पहुंचे। इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने नकुल को कुछ जरूरी जांच करवाने के बाद दवा देने की बात कहकर लौट दिया।
जिला एमएमजी अस्पताल के सीएमएस डॉ. मनोज चतुर्वेदी ने कहा कि मौसम में बदलाव की वजह से अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। अभी कोई बेड खाली नहीं है। इमरजेंसी में आई महिला मरीज और युवक की स्थिति अभी भर्ती करने वाली नहीं थी इसलिए उन्हें प्राथमिक उपचार देकर वापस घर भेजा गया है।
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विजयनगर की सुदामापुरी कॉलोनी में रहने वाले निरंजन ठेली से बिल्डिंग मटीरियल सप्लाई करने का काम करते हैं। शुक्रवार को उनकी पत्नी सीमा (45) को सांस लेने में परेशानी होने पर उन्होंने ऐम्बुलेंस भेजने के लिए अस्पताल में फोन किया लेकिन आधे घंटे तक ऐम्बुलेंस नहीं पहुंची। जिसके बाद निरंजन पत्नी को अपनी ठेली पर ही लिटाकर एमएमजी अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर पहुंचे। वहां डॉक्टरों ने महिला का उपचार करने से इनकार कर दिया और उन्हें निजी अस्पताल ले जाने की सलाह देकर वापस भेज दिया।
इसी बीच कुछ मीडियाकर्मी महिला मरीज का फोटो खींचने लगे तो इमरजेंसी के स्टाफ में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में मरीज को वापस इमरजेंसी में ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने पहले महिला को काफी देर बैठाकर रखा और फिर इंजेक्शन लगाकर वापस भेज दिया। महिला के पति ने बताया कि गुरुवार को भी पत्नी को सांस लेने में परेशानी हो रही थी। वह गुरुवार को भी पत्नी को लेकर इमरजेंसी में आए थे लेकिन डॉक्टरों ने भर्ती करने की बजाय इंजेक्शन लगाकर वापस लौटा दिया था।
काला पीलिया के मरीज को लौटाया
विजय नगर में ही रहने वाले नकुल को काला पीलिया की शिकायत है। परिजन शुक्रवार को नकुल को लेकर एमएमजी अस्पताल की ओपीडी में पहुंचे थे, लेकिन ओपीडी में डॉक्टर ने उन्हें दवा देने और भर्ती करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद परिजन नकुल को संजय नगर स्थित कंबाइंड अस्पताल ले गए, लेकिन वहां भी इस बीमारी दवा नहीं होने की बात कहते हुए उन्हें दिल्ली रेफर करने को कहा गया। जिस पर परिजन नकुल को वापस एमएमजी अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर पहुंचे। इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने नकुल को कुछ जरूरी जांच करवाने के बाद दवा देने की बात कहकर लौट दिया।
जिला एमएमजी अस्पताल के सीएमएस डॉ. मनोज चतुर्वेदी ने कहा कि मौसम में बदलाव की वजह से अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। अभी कोई बेड खाली नहीं है। इमरजेंसी में आई महिला मरीज और युवक की स्थिति अभी भर्ती करने वाली नहीं थी इसलिए उन्हें प्राथमिक उपचार देकर वापस घर भेजा गया है।