एलएसी पर भले ही कुछ डिसइंगेजमेंट हुआ है लेकिन खतरा कम नहीं हुआ है : आर्मी चीफ h3>
हाइलाइट्स
- दोनों तरफ की सहमति के बाद ही हल होगा मसला- आर्मी चीफ
- एलएसी पर बड़ी संख्या में तैनाती की तभी तनाव की स्थिति- नरवणे
- सैनिकों को एलएसी से थोड़ा पीछे इनडेप्थ एरिया में वापस भेज सकते हैं- आर्मी चीफ
नई दिल्ली
ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर स्थिति के बारे में इंडियन आर्मी चीफ जनरल एम एम नरवणे ने कहा कि भले ही कुछ जगहों पर डिसइंगेजमेंट (सैनिक आमने-सामने से पीछे गए हैं) हुआ है लेकिन लेकिन खतरा कम नहीं हुआ है। आर्मी चीफ ने कहा कि अगर युद्ध की नौबत आई तो इंडियन आर्मी विजयी होगी और आर्मी हर स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
हम पहले से काफी मजबूत हुए- नरवणे
जनरल नरवणे ने कहा कि एलएसी पर सैनिकों की तैनाती दोनों तरफ से लगभग वही है जितने पिछले साल थी और हमारी तरफ से तैनाती बढ़ी है। उन्होंने कहा कि हम चीन से बातचीत जारी रखेंगे लेकिन हर स्थिति से निपटने के लिए हम पूरी तरह तैयार है। जनरल नरवणे ने कहा कि नॉर्दन बॉर्डर (चीन बॉर्डर) पर जो हालात पैदा हुआ उसने हमें खुद को और मजबूत करने का मौका दिया। डेढ़ साल में हम एलएसी में ज्यादा मजबूत हुए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर काफी बढ़ा है। 25 हजार अतिरिक्त सैनिकों के रहने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बना है, गोलाबारूद के लिए स्टोरेज कैपिसिटी बढ़ी है और आगे अगर ज्यादा जरूरत पड़ती है तो उस हिसाब से भी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हुआ है।
एलएसी में बड़ी संख्या में तैनाती- आर्मी चीफ
उन्होंने कहा कि चीन ने एलएसी पर बड़ी संख्या में तैनाती की तभी तनाव की स्थिति बनी। चीन ने बहुत सारा इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया है। यह देखना होगा कि क्या यह परमानेंट छावनी हैं या फिर आने वाले वक्त में चीन इसे हटाएगा। जनरल नरवणे ने कहा कि विवाद के पॉइंट से पहले डिसइंगेजमेंट होना है यानी दोनों देश के सैनिक जो आमने सामने हैं उन्हें पीछे करना है।
दोनों तरफ की सहमति के बाद ही हल होगा मसला- आर्मी चीफ
जब यह होगा तभी डिएस्केलेशन के बारे में सोच सकते हैं यानी सैनिकों को एलएसी से थोड़ा पीछे इनडेप्थ एरिया में वापस भेज सकते हैं। जब इस तरह का भरोसा बनेगा उसके बाद ही सैनिकों की तैनाती वहां से हटाने के बारे में सोचा जा सकता है। जब भरोसा बहाल होगा तब दोनों तरफ से सहमति के आधार पर तैनाती कम की जाएगी। क्या भारत-चीन के बीच विवाद ज्यादा बढ़ भी सकता है?
सिचुएशन अभी स्थिर और नियंत्रण में है- आर्मी चीफ
आर्मी चीफ ने कहा कि सिचुएशन अभी स्थिर और नियंत्रण में है। उम्मीद है कि बातचीत से हल निकल जाएगा लेकिन क्या सिचुएशन ज्यादा तनावपूर्ण होगी यह कहना मुश्किल है। लेकिन ऐसा हुआ तो युद्ध आखिरी विकल्प है। युद्ध की नौबत आती है तो हम जीत के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि बॉर्डर एरिया में इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट में हम चीन से पीछे नहीं हैं।
हाइलाइट्स
- दोनों तरफ की सहमति के बाद ही हल होगा मसला- आर्मी चीफ
- एलएसी पर बड़ी संख्या में तैनाती की तभी तनाव की स्थिति- नरवणे
- सैनिकों को एलएसी से थोड़ा पीछे इनडेप्थ एरिया में वापस भेज सकते हैं- आर्मी चीफ
ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर स्थिति के बारे में इंडियन आर्मी चीफ जनरल एम एम नरवणे ने कहा कि भले ही कुछ जगहों पर डिसइंगेजमेंट (सैनिक आमने-सामने से पीछे गए हैं) हुआ है लेकिन लेकिन खतरा कम नहीं हुआ है। आर्मी चीफ ने कहा कि अगर युद्ध की नौबत आई तो इंडियन आर्मी विजयी होगी और आर्मी हर स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
हम पहले से काफी मजबूत हुए- नरवणे
जनरल नरवणे ने कहा कि एलएसी पर सैनिकों की तैनाती दोनों तरफ से लगभग वही है जितने पिछले साल थी और हमारी तरफ से तैनाती बढ़ी है। उन्होंने कहा कि हम चीन से बातचीत जारी रखेंगे लेकिन हर स्थिति से निपटने के लिए हम पूरी तरह तैयार है। जनरल नरवणे ने कहा कि नॉर्दन बॉर्डर (चीन बॉर्डर) पर जो हालात पैदा हुआ उसने हमें खुद को और मजबूत करने का मौका दिया। डेढ़ साल में हम एलएसी में ज्यादा मजबूत हुए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर काफी बढ़ा है। 25 हजार अतिरिक्त सैनिकों के रहने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बना है, गोलाबारूद के लिए स्टोरेज कैपिसिटी बढ़ी है और आगे अगर ज्यादा जरूरत पड़ती है तो उस हिसाब से भी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हुआ है।
एलएसी में बड़ी संख्या में तैनाती- आर्मी चीफ
उन्होंने कहा कि चीन ने एलएसी पर बड़ी संख्या में तैनाती की तभी तनाव की स्थिति बनी। चीन ने बहुत सारा इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया है। यह देखना होगा कि क्या यह परमानेंट छावनी हैं या फिर आने वाले वक्त में चीन इसे हटाएगा। जनरल नरवणे ने कहा कि विवाद के पॉइंट से पहले डिसइंगेजमेंट होना है यानी दोनों देश के सैनिक जो आमने सामने हैं उन्हें पीछे करना है।
दोनों तरफ की सहमति के बाद ही हल होगा मसला- आर्मी चीफ
जब यह होगा तभी डिएस्केलेशन के बारे में सोच सकते हैं यानी सैनिकों को एलएसी से थोड़ा पीछे इनडेप्थ एरिया में वापस भेज सकते हैं। जब इस तरह का भरोसा बनेगा उसके बाद ही सैनिकों की तैनाती वहां से हटाने के बारे में सोचा जा सकता है। जब भरोसा बहाल होगा तब दोनों तरफ से सहमति के आधार पर तैनाती कम की जाएगी। क्या भारत-चीन के बीच विवाद ज्यादा बढ़ भी सकता है?
सिचुएशन अभी स्थिर और नियंत्रण में है- आर्मी चीफ
आर्मी चीफ ने कहा कि सिचुएशन अभी स्थिर और नियंत्रण में है। उम्मीद है कि बातचीत से हल निकल जाएगा लेकिन क्या सिचुएशन ज्यादा तनावपूर्ण होगी यह कहना मुश्किल है। लेकिन ऐसा हुआ तो युद्ध आखिरी विकल्प है। युद्ध की नौबत आती है तो हम जीत के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि बॉर्डर एरिया में इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट में हम चीन से पीछे नहीं हैं।