एमपी में बीएसपी किन-किन क्षेत्रों में है ताकतवर? जहां बढ़ी रहती है बीजेपी-कांग्रेस की टेंशन h3>
भोपाल: राज्य में नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव (MP Election News) प्रस्तावित है। सभी राजनीतिक दलों ने प्रत्याशियों को खोजना शुरू कर दिया है। वहीं, कई नेता भी टिकट की जुगत में लगे हुए हैं। इस बीच, बीएसपी ने 7 विधानसभा सीटों में प्रत्याशी उतारकर मध्यप्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। खास बात यह है कि यह सभी प्रत्याशी बहुत दमखम रखते हैं। कोई पूर्व में अधिकारी रहा है तो कोई प्रसिद्ध व्यवसायी। वहीं, कमाल की बात यह है कि जिन सीटों में पार्टी ने प्रत्याशी घोषित किए हैं, यह सभी दलित मतदाताओं की बाहुल्य वाली सीटें हैं। बीएसपी का जन आधार इन सीटों में खास रहता है। मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी का कितना प्रभाव है? और किन सीटों में पार्टी की क्या स्थिति है आइए जानते हैं…
मध्यप्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 143, कांग्रेस ने 71 और बसपा ने सात सीटें जीती थीं। तब बीजेपी का वोट शेयर 37 प्रतिशत और कांग्रेस का 32 प्रतिशत था। बसपा ने 9 प्रतिशत वोट हासिल किए थे।
अब तक के इतिहास में यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था अब बहुजन समाज पार्टी प्रदेश की 29 सीटों पर जीत के लिए बाजी लगाने जा रही है। दरअसल, मध्य प्रदेश के ग्वालियर, चंबल, बुंदेलखंड के साथ ही बघेलखंड क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी का काफी प्रभाव है। इन क्षेत्रों में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी कई बार दूसरी और तीसरी स्थिति में रहे हैं। उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे हुए मध्य प्रदेश की विधानसभा सीटों में बहुजन समाज पार्टी काफी दमखम रखती है।
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भिंड विधानसभा और दमोह जिले की पथरिया विधानसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी के विधायक जीत कर आए थे। बाद में भिंड विधायक संजीव सिंह बीजेपी में शामिल हो गए। संजीव सिंह भले ही बीजेपी में शामिल हो गए हो, लेकिन भिंड क्षेत्र में आज भी बहुजन समाज पार्टी अपना प्रभुत्व रखती है।
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पथरिया विधायक रामबाई सिंह परिहार भी काफी प्रभावशाली चेहरा मानी जाती हैं, लेकिन साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस से उनकी नजदीकियां देखी गई थी। इसके बाद बहुजन समाज पार्टी ने उनसे थोड़ी दूरी बना ली है। यही कारण है कि हाल में ही जारी हुई सूची में अभी पथरिया सीट को लेकर कोई भी प्रत्याशी तय नहीं किया गया है। आपको बता दें कि 2018 में ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में अधिकांश सीटों पर बसपा दूसरे या तीसरे नंबर पर रही थी।
सतना जिले की रामपुर बघेलान, मुरैना जिले की दिमनी, निवाड़ी, राजनगर विधानसभा सीट, सतना की रैगांव, रीवा की सिमरिया, रीवा जिले की सिरमौर बहुजन समाज पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण सीटें हैं। रामपुर बघेलान में साल 2008 और 1993 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी चुनाव जीत चुकी हैं। प्रदेश की 65 सीटों पर बसपा का वोट बैंक 10 प्रतिशत तक रहा है। 2018 के विस चुनाव में भाजपा को 41.6 प्रतिशत और बसपा को 5.1 प्रतिशत वोट मिले थे। आपको बता दें कि 2020 में 28 सीटों के उपचुनाव में भाजपा ने 19 सीटें और 49.46 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। बसपा का खाता नहीं खुला, लेकिन 5.75 प्रतिशत वोट मिले थे। 2003, 2008 और 2013 के विस चुनावों में औसतन 69 सीट पर पार्टी का वोट शेयर 10 प्रतिशत से अधिक रहा है।
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मध्यप्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 143, कांग्रेस ने 71 और बसपा ने सात सीटें जीती थीं। तब बीजेपी का वोट शेयर 37 प्रतिशत और कांग्रेस का 32 प्रतिशत था। बसपा ने 9 प्रतिशत वोट हासिल किए थे।
अब तक के इतिहास में यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था अब बहुजन समाज पार्टी प्रदेश की 29 सीटों पर जीत के लिए बाजी लगाने जा रही है। दरअसल, मध्य प्रदेश के ग्वालियर, चंबल, बुंदेलखंड के साथ ही बघेलखंड क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी का काफी प्रभाव है। इन क्षेत्रों में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी कई बार दूसरी और तीसरी स्थिति में रहे हैं। उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे हुए मध्य प्रदेश की विधानसभा सीटों में बहुजन समाज पार्टी काफी दमखम रखती है।
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भिंड विधानसभा और दमोह जिले की पथरिया विधानसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी के विधायक जीत कर आए थे। बाद में भिंड विधायक संजीव सिंह बीजेपी में शामिल हो गए। संजीव सिंह भले ही बीजेपी में शामिल हो गए हो, लेकिन भिंड क्षेत्र में आज भी बहुजन समाज पार्टी अपना प्रभुत्व रखती है।
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पथरिया विधायक रामबाई सिंह परिहार भी काफी प्रभावशाली चेहरा मानी जाती हैं, लेकिन साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस से उनकी नजदीकियां देखी गई थी। इसके बाद बहुजन समाज पार्टी ने उनसे थोड़ी दूरी बना ली है। यही कारण है कि हाल में ही जारी हुई सूची में अभी पथरिया सीट को लेकर कोई भी प्रत्याशी तय नहीं किया गया है। आपको बता दें कि 2018 में ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में अधिकांश सीटों पर बसपा दूसरे या तीसरे नंबर पर रही थी।
सतना जिले की रामपुर बघेलान, मुरैना जिले की दिमनी, निवाड़ी, राजनगर विधानसभा सीट, सतना की रैगांव, रीवा की सिमरिया, रीवा जिले की सिरमौर बहुजन समाज पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण सीटें हैं। रामपुर बघेलान में साल 2008 और 1993 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी चुनाव जीत चुकी हैं। प्रदेश की 65 सीटों पर बसपा का वोट बैंक 10 प्रतिशत तक रहा है। 2018 के विस चुनाव में भाजपा को 41.6 प्रतिशत और बसपा को 5.1 प्रतिशत वोट मिले थे। आपको बता दें कि 2020 में 28 सीटों के उपचुनाव में भाजपा ने 19 सीटें और 49.46 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। बसपा का खाता नहीं खुला, लेकिन 5.75 प्रतिशत वोट मिले थे। 2003, 2008 और 2013 के विस चुनावों में औसतन 69 सीट पर पार्टी का वोट शेयर 10 प्रतिशत से अधिक रहा है।