एमपी में नेता पुत्रों की आएगी चांदी… अमित शाह ने दिए बड़े संकेत

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एमपी में नेता पुत्रों की आएगी चांदी… अमित शाह ने दिए बड़े संकेत

एमपी में नेता पुत्रों की आएगी चांदी… अमित शाह ने दिए बड़े संकेत

भोपाल: एमपी में बीजेपी (Nepotism In BJP) की पहली सूची आ गई है। पहली ही लिस्ट में कई नेताओं के परिवार को जगह मिली है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल में परिवारवाद पर जमकर हमला बोला है। साथ ही अपनी पार्टी में कथित रूप से योग्य नेता पुत्रों के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। भोपाल में पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि परिवारवाद देश और लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए जहर हैं। उन्होंने परिवारवाद पर कई पार्टियों का उदाहरण भी दिया है। साथ ही कहा कि बीजेपी में परिवारवाद नहीं है।

शाह ने परिवारवाद पर पूछे गए सवाल पर इसका परिभाषा समझाया है। उन्होंने कहा कि परिवारवाद वह होता है, जिसमें किसी परिवार विशेष की पार्टी और सरकार पर एकाधिकार होता है। उन्होंने इसके लिए समाजवादी पार्टी, शिवसेना, डीएमके और कांग्रेस के नाम लिए हैं। अमित शाह ने कहा कि इन दलों को देखकर परिवारवाद का अंदाजा लागाया जा सकता है। शाह ने कहा कि आप कह सकते हैं कि एमपी में बीजेपी किसी परिवार की है। उन्होंने दूसरे दलों का उदाहरण दिया और कहा कि मैं उनका नाम नहीं लूंगा।

बीजेपी में परिवारवाद पर कहा कि कहीं इक्का-दुक्का के किसी के परिवार में योग्यता के आधार पर टिकट दे दिया जाता है तो उसे परिवारवाद नहीं कहेंगे। इसको परिवारवाद से मत जोड़िए। अमित शाह ने कहा कि परिवारवाद जहर है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां परिवारवाद नहीं है। अटल जी किसके बेटे थे? मोदी जी किसके बेटे हैं? राजनाथ सिंह किसके बेटे हैं? अमित शाह ने कहा कि मैं पार्टी का अध्यक्ष बना, मेरे परिवार से कोई भी व्यक्ति राजनीति में नहीं था। जेपी नड्डा पार्टी के अध्यक्ष हैं, उनका कोई बैकग्राउंड नहीं है? शिवराज सिंह चौहान का क्या बैकग्राउंड है?

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अमित शाह ने कहा कि घुमा फिराकर भ्रांति खड़ी मत करिए। परिवारवाद का मतलब स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि परिवारवाद का मतलब है कि पार्टी और सत्ता की मिल्कियत एक परिवार के हाथ में हो। इसको परिवारवाद कहते हैं।

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नेता पुत्रों के रास्ते हो गए साफ

केंद्रीय गृह मंत्री के बयान से एमपी में नेता पुत्रों के रास्ते साफ हो गए हैं। शाह ने कहा कि एकध योग्य लोगों को टिकट मिलते रहते हैं। ऐसे में इस बार मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में कई बड़े नेताओं के पुत्र लाइन में लगे हैं। अगर उनकी दावेदारी मजबूत रही तो उनका रास्ता साफ हो सकता है। इस बार के चुनाव में बीजेपी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है।
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2018 के विधानसभा चुनाव में नेता पुत्रों को पार्टी ने टिकट नहीं दिए थे। अगर जिन जगहों पर दिए थे, वहां उनके परिवार के दूसरे सदस्य को सीट छोड़नी पड़ी थी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण कैलाश विजयवर्गीय हैं। कैलाश विजयवर्गीय चुनाव नहीं लड़े तो उनके बेटे को टिकट मिला था। इस बार शाह के बयान के बाद कुछ नेता पुत्रों के लिए संभावना बन रही है।

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