एन. रघुरामन का कॉलम: रंग खाने के लिए बुरे होते हैं, लेकिन ऑफिस प्रोडक्टिविटी के लिए नहीं

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एन. रघुरामन का कॉलम:  रंग खाने के लिए बुरे होते हैं, लेकिन ऑफिस प्रोडक्टिविटी के लिए नहीं

एन. रघुरामन का कॉलम: रंग खाने के लिए बुरे होते हैं, लेकिन ऑफिस प्रोडक्टिविटी के लिए नहीं

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7 घंटे पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

गर्मागर्म जलेबी के नारंगी पीले रंग और ऑफिस में उसी रंग की दीवार में क्या बात आम है और उनमें क्या विपरीत है? आम बात यह है कि यह रंग किसी को भी “शुगर रश’ देने के लिए काफी है। और विपरीत बात यह है कि जलेबी का चमकीला रंग शुद्ध जहर है, जबकि दीवार पर लगा ऊर्जावान रंग सामाजिकता की भावना को बढ़ावा देते हुए गर्मजोशी का अहसास कराता है।

हां, जलेबी का रंग इसलिए जहरीला है, क्योंकि यह “येलो 6′ नामक कलर से बनाया जाता है। यह पेट्रोलियम आधारित एजो डाई है, जो सिंथेटिक रंगों की श्रेणी में आती है। इसकी आणविक संरचना में नाइट्रोजन होता है, जो दुनिया में इस्तेमाल किए जाने वाले आधे से अधिक कॉमर्शियल डाई में पाया जाता है। यह उन आठ रंगों में से एक भी है, जिन्हें अमेरिका ने पिछले सप्ताह प्रतिबंधित किया है।

हाल के दशकों में जहां प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड्स की बढ़ती खपत ने कई देशों को खानपान की चीजों में इस्तेमाल किए जाने वाले रंगों पर पुनर्विचार के लिए मजबूर किया है, वहीं कई कार्यालयों ने चमकीले रंगों को अपनाया है। क्योंकि हाल के शोध ने साबित कर दिया है कि चमकीले दिखने वाले रंग लोगों में वेल-बीइंग की भावना को बढ़ा सकते हैं, वे सतर्कता में भी इजाफा कर सकते हैं जो कि किसी कर्मचारी के लिए महत्वपूर्ण होती है।

कोविड में वर्क फ्रॉम होम के बाद लोग दफ्तरों में लौट आए हैं, इसलिए अधिकांश आधुनिक दफ्तरों ने उत्पादकता बढ़ाने की उम्मीद में वर्कप्लेस के डिजाइन पर पुनर्विचार शुरू कर दिया है। कई उद्यमी और एचआर प्रमुख मनुष्य के मनोविज्ञान पर रंगों के प्रभाव के बारे में गहरी समझ विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उनकी मदद से ऑफिस में बिहेवियरल बदलाव ला सकें।

वर्क फ्रॉम होम के दौर में कर्मचारियों को वीडियो कॉल पर अन्य सहकर्मियों के घर में किए हुए ऑफिस सेटअप की झलक दिख जाती थी। वहां वे ऐसे रंगों के बीच रहना पसंद करते थे, जो उनके व्यक्तित्व को बेहतर तरीके से दर्शाते हों। और कई एचआर प्रमुखों का मानना है कि जब वे ऑफिस लौटे तो वे उस अनुभव को वहां भी ले आना चाहते थे।

शोध से पता चलता है कि सैचुरेटेड रंगों का कार्यस्थल से कर्मचारियों के जुड़ाव पर गहरा असर पड़ सकता है। सैचुरेशन कलर्स उन्हें देखने वालों को शुद्ध रंग की तरह लगते हैं, क्योंकि वे अधिक वाइब्रेंट होते हैं। वहीं कम सैचुरेशन वाले रंग काले, सफेद या ग्रे जैसे रंगों के करीब होते हैं।

उदाहरण के लिए, कार्यालय में एक छोर पर काला दरवाजा बताता है कि यह वरिष्ठ अधिकारियों के लिए विशेष डाइ​निंग रूम है और अधिकांश कर्मचारियों को वहां प्रवेश की अनुमति नहीं है। हाई सैचुरेशन वाले रंगों में हमारे श्वसन, रक्तचाप और यहां तक कि शरीर के तापमान को भी बदलने की क्षमता होती है।

सोशल मीडिया फर्श, दीवारों और छत पर समान रंगों के साथ इमर्सिव कलर कोडेड स्पेस बनाने में बहुत अच्छा है, जिसे आधुनिक दुनिया में “कलर-ड्रेंच्ड’ कहा जाता है। ऐसे कार्यस्थलों का वातावरण कर्मचारी को प्रसन्न बनाता है और इससे वह अधिक प्रोडक्टिव बनता है।

वैज्ञानिक निष्कर्षों के अनुसार, सेज ग्रीन जैसा प्रशांत रंग चिंतन-मनन के लिए आदर्श है, जबकि नारंगी और पीले रंग सामुदायिकता की भावना को प्रोत्साहित करते हैं, मीटिंग स्पेस के लिए कूल नीला रंग बेहतर है- जिसमें समय जल्दी बीतता हुआ प्रतीत होता है- व्यक्तिगत फोकस वाले स्थानों में पीकॉक ब्लू रंग होने चाहिए, और कम्युनिटी सभागृहों में विविध दृष्टिकोणों को बढ़ावा देने के लिए वॉर्म और कूल रंगतें होनी चाहिए।

यदि आप चाहते हैं कि कर्मचारी लाल रंग को अवॉइड करने पर फोकस करें, तो इसका कारण यह है कि यह रंग विश्लेषणात्मक प्रदर्शन को प्रभावित करता है। शोध से प्राप्त होने वाले ये परिणाम अधिकारियों को अपनी विशिष्टता और कर्मचारियों की उत्पादकता के बीच अंतर करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

फंडा यह है कि कार्यस्थल पर चमकीले रंगों का उपयोग करके एक नया माहौल बनाएं, क्योंकि वे विश्वास, सहयोग, परंपरा और प्रयोग जैसे मूल्यों को दर्शाते हैं, जिनसे कर्मचारियों की सहभागिता और योगदान में इजाफा होता है।

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