एन. रघुरामन का कॉलम: फायदा कमाने के लिए मिर्ची तो लगानी ही होगी! h3>
49 मिनट पहले
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
आपने कुली नं.1 फिल्म का ये गाना सुना होगा, ‘तुझको मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं…’। यह शायद कैजुअल डाइनिंग रेस्टोरेंट ‘चिलीज़’ (मिर्ची) के चीफ एग्जीक्यूटिव केविन होचमैन का पसंदीदा गाना होगा क्योंकि जब पूरा अमेरिका, सोशल मीडिया पर फास्ट-फूड महंगा होने की शिकायत कर रहा था, तब केविन को अवसर नजर आया।
उन्होंने तुरंत चिलीज़ बर्गर की तुलना मैक्डॉनल्ड से शुरू कर दी, जो इस कैटगरी में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल है। उन्होंने दो अलग काम किए। कोई छोटी कंपनी, पैसे वाली बड़ी कंपनी से पंगा नहीं लेती लेकिन केविन ने ऐसा किया। दूसरी बात, ऐसा रेस्टोरेंट जहां बैठकर खाना खाते हैं, वह मैक्डॉनल्ड जैसे रेस्टोरेंट से तुलना नहीं करता, जो खाना पैक कराकर ले जाने (टेक-अवे) का विकल्प देता है।
उनकी कंपनी ने विज्ञापन में कहा, ‘कॉम्बो मील की कीमत में, बिग मैक जैसा बर्गर पाएं, लेकिन टेबल पर, वह भी अनलिमिटेड चिप्स और सोडा के साथ’। यह विज्ञापन कारगर साबित हुआ। इसमें कहा गया, ‘क्वार्टर पाउंडर से 85% ज्यादा बड़ी पैटी, चीज़ के साथ, सिर्फ $10.99 में।’ इसमें इशारा मैक्डॉनल्ड के एक सिग्नेचर बर्गर की ओर था।
पिछले सितंबर, चिलीज़ का एक लाइन का विज्ञापन काफ़ी चर्चा में रहा, ‘हमारा बर्गर खाएं या ड्राइव-थ्रू में मिलने वाले किसी बर्गर से संतोष कर लें।’ इन विज्ञापनों ने लोगों को चिलीज़ रेस्टोरेंट में बार-बार जाने के लिए प्रेरित किया और उसकी बिक्री 15% बढ़ गई। चिलीज़ की पैरेंट कंपनी के शेयर की कीमतें भी तीन गुना हो गईं।
वैश्विक स्तर पर, ग्राहक और फूड कंपनियां, दोनों महंगाई से परेशान हैं। लेकिन चिलीज़ ने महंगाई को मार्केटिंग में बदल दिया। दिलचस्प है कि चिलीज़ ने कभी अपने उत्पाद, प्रतिस्पर्धी से कम कीमत पर नहीं बेचे। बल्कि यह संदेश दिया कि आपका फास्ट फूड बर्गर पहले ही महंगा है, तो क्यों न उसे अच्छी जगह खाएं और साथ में ज्यादा चीजें पाएं। बचत प्रेमियों को यह बात पसंद आई क्योंकि थोड़ी ज्यादा कीमत देने पर, बहुत कुछ मिल रहा था।
चिलीज़ अपने कर्मचारियों को ‘चिली हेड्स’ कहता है। उनका मोटो है, ‘अपनी नौकरी को गंभीरता से लें, खुद को नहीं।’ मैनेजमेंट स्टडी में मैंने इस कंपनी के बारे में जाना, जो शादी और मैरिज एनिवर्सरी के बजाय वर्क एनिवर्सरी धूमधाम से मनाते हैं। कर्मचारी ‘चिलीज़ क्लब’ के आजीवन सदस्य भी बनते हैं। कंपनी के 1200 आउटलेट में 72000 कर्मचारी हैं। ये सुनिश्चित करते हैं कि पूरे अमेरिका में चिलीज़ का स्वाद और गुणवत्ता एक जैसी रहे।
दो टीनएजर के पिता केविन, कैजुअल कपड़ों में अपने किसी भी रेस्टोरेंट में पहुंच जाते हैं और वहीं खाते हैं। वे यहां दोस्तों को पार्टियां देते हैं, जिससे ग्राहक और मैनेजर का फीडबैक मिल जाता है। जब कंपनी का शीर्ष व्यक्ति, देश में कहीं भी कंपनी में पहुंचता है, जो इससे गंभीर वर्ककल्चर बनता है और बेहतर नतीजे मिलते हैं।
कैलोरी घटाने के लिए, केविन रोजाना पांच किमी दौड़ते हैं। वे दोस्तों से कहते हैं, ‘मैं खाने के लिए दौड़ता हूं।’ हैरानी नहीं कि केविन ने पिज्जा हट, टाको बेल, यम ब्रांड्स, पेप्सिको और सेवन-इलेवन जैसी बड़ी फूड चेन के अधिकारियों को आकर्षित किया है।
मार्केट रिसर्च फर्म का अनुमान है कि महंगाई के कारण रेस्टोरेंटों में भीड़ 3.3% घटेगी। यही फर्म मानती हैं कि चिलीज़ के स्टोर की बिक्री इस तिमाही में 26% बढ़ेगी और सालभर स्थिर रहेगी, जब तक कीमतें न बदलें।
फंडा यह है कि अगर बतौर कंपनी आप ज्यादा लाभ कमाना और कुछ अलग करना चाहते हैं, तो आपको पंगा लेना ही होगा, जिससे प्रतिस्पर्धी को थोड़ी मिर्ची लग सके।
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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
आपने कुली नं.1 फिल्म का ये गाना सुना होगा, ‘तुझको मिर्ची लगी तो मैं क्या करूं…’। यह शायद कैजुअल डाइनिंग रेस्टोरेंट ‘चिलीज़’ (मिर्ची) के चीफ एग्जीक्यूटिव केविन होचमैन का पसंदीदा गाना होगा क्योंकि जब पूरा अमेरिका, सोशल मीडिया पर फास्ट-फूड महंगा होने की शिकायत कर रहा था, तब केविन को अवसर नजर आया।
उन्होंने तुरंत चिलीज़ बर्गर की तुलना मैक्डॉनल्ड से शुरू कर दी, जो इस कैटगरी में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल है। उन्होंने दो अलग काम किए। कोई छोटी कंपनी, पैसे वाली बड़ी कंपनी से पंगा नहीं लेती लेकिन केविन ने ऐसा किया। दूसरी बात, ऐसा रेस्टोरेंट जहां बैठकर खाना खाते हैं, वह मैक्डॉनल्ड जैसे रेस्टोरेंट से तुलना नहीं करता, जो खाना पैक कराकर ले जाने (टेक-अवे) का विकल्प देता है।
उनकी कंपनी ने विज्ञापन में कहा, ‘कॉम्बो मील की कीमत में, बिग मैक जैसा बर्गर पाएं, लेकिन टेबल पर, वह भी अनलिमिटेड चिप्स और सोडा के साथ’। यह विज्ञापन कारगर साबित हुआ। इसमें कहा गया, ‘क्वार्टर पाउंडर से 85% ज्यादा बड़ी पैटी, चीज़ के साथ, सिर्फ $10.99 में।’ इसमें इशारा मैक्डॉनल्ड के एक सिग्नेचर बर्गर की ओर था।
पिछले सितंबर, चिलीज़ का एक लाइन का विज्ञापन काफ़ी चर्चा में रहा, ‘हमारा बर्गर खाएं या ड्राइव-थ्रू में मिलने वाले किसी बर्गर से संतोष कर लें।’ इन विज्ञापनों ने लोगों को चिलीज़ रेस्टोरेंट में बार-बार जाने के लिए प्रेरित किया और उसकी बिक्री 15% बढ़ गई। चिलीज़ की पैरेंट कंपनी के शेयर की कीमतें भी तीन गुना हो गईं।
वैश्विक स्तर पर, ग्राहक और फूड कंपनियां, दोनों महंगाई से परेशान हैं। लेकिन चिलीज़ ने महंगाई को मार्केटिंग में बदल दिया। दिलचस्प है कि चिलीज़ ने कभी अपने उत्पाद, प्रतिस्पर्धी से कम कीमत पर नहीं बेचे। बल्कि यह संदेश दिया कि आपका फास्ट फूड बर्गर पहले ही महंगा है, तो क्यों न उसे अच्छी जगह खाएं और साथ में ज्यादा चीजें पाएं। बचत प्रेमियों को यह बात पसंद आई क्योंकि थोड़ी ज्यादा कीमत देने पर, बहुत कुछ मिल रहा था।
चिलीज़ अपने कर्मचारियों को ‘चिली हेड्स’ कहता है। उनका मोटो है, ‘अपनी नौकरी को गंभीरता से लें, खुद को नहीं।’ मैनेजमेंट स्टडी में मैंने इस कंपनी के बारे में जाना, जो शादी और मैरिज एनिवर्सरी के बजाय वर्क एनिवर्सरी धूमधाम से मनाते हैं। कर्मचारी ‘चिलीज़ क्लब’ के आजीवन सदस्य भी बनते हैं। कंपनी के 1200 आउटलेट में 72000 कर्मचारी हैं। ये सुनिश्चित करते हैं कि पूरे अमेरिका में चिलीज़ का स्वाद और गुणवत्ता एक जैसी रहे।
दो टीनएजर के पिता केविन, कैजुअल कपड़ों में अपने किसी भी रेस्टोरेंट में पहुंच जाते हैं और वहीं खाते हैं। वे यहां दोस्तों को पार्टियां देते हैं, जिससे ग्राहक और मैनेजर का फीडबैक मिल जाता है। जब कंपनी का शीर्ष व्यक्ति, देश में कहीं भी कंपनी में पहुंचता है, जो इससे गंभीर वर्ककल्चर बनता है और बेहतर नतीजे मिलते हैं।
कैलोरी घटाने के लिए, केविन रोजाना पांच किमी दौड़ते हैं। वे दोस्तों से कहते हैं, ‘मैं खाने के लिए दौड़ता हूं।’ हैरानी नहीं कि केविन ने पिज्जा हट, टाको बेल, यम ब्रांड्स, पेप्सिको और सेवन-इलेवन जैसी बड़ी फूड चेन के अधिकारियों को आकर्षित किया है।
मार्केट रिसर्च फर्म का अनुमान है कि महंगाई के कारण रेस्टोरेंटों में भीड़ 3.3% घटेगी। यही फर्म मानती हैं कि चिलीज़ के स्टोर की बिक्री इस तिमाही में 26% बढ़ेगी और सालभर स्थिर रहेगी, जब तक कीमतें न बदलें।
फंडा यह है कि अगर बतौर कंपनी आप ज्यादा लाभ कमाना और कुछ अलग करना चाहते हैं, तो आपको पंगा लेना ही होगा, जिससे प्रतिस्पर्धी को थोड़ी मिर्ची लग सके।
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