एन. रघुरामन का कॉलम: काम का मतलब समर्पण है, ‘चलता है’ नहीं

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एन. रघुरामन का कॉलम:  काम का मतलब समर्पण है, ‘चलता है’ नहीं

एन. रघुरामन का कॉलम: काम का मतलब समर्पण है, ‘चलता है’ नहीं

2 मिनट पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

इसी साल मार्च की बात है। एक व्यक्ति एटीएम से पैसे निकाल रहा था, तभी दूसरा व्यक्ति अंदर गया और उससे पांच हजार रुपए छीनकर भाग गया। पीड़ित ने उसका पीछा किया। 74 वर्षीय अनुराधा कुलकर्णी वहीं ट्रैफिक संभाल रही थीं और उन्होंने यह सब देखा।

उन्होंने तुरंत अपनी बाइक स्टार्ट की, पीड़ित को लिफ्ट दी और चोर का पीछा करते हुए देखा कि वह टाटा कॉलोनी नामक एक रिहायशी इलाके में घुस रहा है। उनके तेज दिमाग को पता था कि कॉलोनी का केवल एक ही एग्जिट पॉइंट है, इसलिए उन्होंने पुलिस को सूचित कर गेट पर पीड़ित के साथ इंतजार किया।

एक घंटे बाद, आरोपी भागने की कोशिश कर रहा था, तभी पुलिस ने उसे पकड़ लिया और पैसे बरामद कर लिए। दो महीने पहले एक व्यक्ति सड़क पार करते समय ट्रक से कुचलकर मारा गया। सड़क के बीचों-बीच खड़ी हुई अनुराधा ने देखा कि पीड़ित की चप्पल डिवाइडर में फंस गई थी, जिससे वह चलते ट्रक के सामने गिर गया था।

गुस्साए स्थानीय लोग ट्रक ड्राइवर पर हमला करने लगे। अनुराधा ने तुरंत एक्शन लिया और गवाही दी कि यह ड्राइवर की गलती नहीं थी। वह इस चल रहे मामले में मुख्य गवाह हैं। लगभग छह महीने पहले एक सोसाइटी के चौकीदार का मोबाइल फोन चोरी हो गया था। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर स्थानीय पुलिस ने अनुराधा से आरोपी की पहचान करने में मदद मांगी।

उन्होंने तीन दिनों में मोबाइल चुराने वाले सफाईकर्मी की पहचान की, जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और मोबाइल फोन बरामद कर लिया। आप सोच रहे होंगे कि यह 74 वर्षीय महिला हमेशा सड़क के बीच में क्या करती रहती हैं? हर दिन वह बाइक पर घूमती हैं, जहां भी ट्रैफिक नजर आता है, वहां उतरकर ट्रैफिक संभालती हैं, एंबुलेंस को तेजी से जाने में मदद करती हैं और स्कूली बच्चों को सड़क पार कराती हैं।

लगभग 30 साल पहले की बात है, एक बार उन्होंने देखा कि मुंबई में सांताक्रूज में एक स्कूल के पास लोग गलत लेन में आ रहे थे, तभी उन्होंने अकेले ही लोगों को वहां से आने से रोक दिया था। एक पुलिस अधिकारी ने उन्हें ऐसा करते देखा और उन्हें ट्रैफिक वार्डन के रूप में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया।

उन्होंने मुंबई के बायकला में ट्रैफिक ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में अपनी ट्रेनिंग के बाद लिखित और मौखिक परीक्षा पास की। तब से, वह मुंबई के पश्चिमी उपनगरीय इलाके जुहू-विले पार्ले-सांताक्रूज में स्वेच्छा से यह काम कर रही हैं। उनके एक फोन कॉल पर पुलिस तुरंत कार्रवाई में जुट जाती है क्योंकि वह केवल तभी कॉल करती हैं जब वह स्थिति को संभाल नहीं पातीं, चाहे वह ट्रैफिक की समस्या हो या कोई असामाजिक गतिविधि।

साल 2014 में बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर ने उनके उत्कृष्ट काम के लिए उन्हें सम्मानित किया था और उन्होंने कोविड के दौरान कोरोना पॉजिटिव लोगों को भोजन पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह इन उपनगरों में सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं क्योंकि ट्रैफिक जाम होने पर किसी को उन्हें बुलाने की जरूरत नहीं पड़ती। वह खुद पहुंच जाती हैं और ट्रैफिक वार्डन का काम करती हैं।

ट्रैफिक सुचारू होने के बाद, वह अपनी बाइक लेती हैं और अगले स्थान पर चली जाती हैं, जहां उनकी जरूरत होती है। ठेले वाले से लेकर दुकानदार तक, वहां के सभी लोकल लोग इस शहर को ट्रैफिक जाम से मुक्त रखने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की सराहना करता है।

बैंक में काम करने वाले उनके पति का बहुत पहले निधन हो चुका है और उनकी सास ने उन्हें एक घर दिया है, जिसके किराए से और समय-समय पर रिश्तेदारों की मदद से उनकी जरूरतें पूरी होती रहती हैं। इसलिए वह मुंबई ट्रैफिक पुलिस के लिए फ्री में काम करते हुए अपना सारा समय बिताती हैं।

फंडा यह है कि जो लोग किसी भी काम के प्रति प्रतिबद्ध होते हैं, फिर चाहे वह स्वप्रेरणा से हो या उसके एवज में कोई पैसा मिले, ऐसे लोगों को हमेशा पहचान और सराहना मिलती है। इसलिए कहीं भी काम करें, काम के प्रति समर्पण और प्रतिबद्धता को सबसे ऊपर रखें क्योंकि इससे आपको पैसा मिलता है या प्रशंसा और ज्यादातर मामलों में तो दोनों।

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