एन. रघुरामन का कॉलम: एक अच्छा लीडर किसी चीज का ब्लेम थोड़ा ज्यादा लेता है और क्रेडिट लेने के मामले में पीछे रहता है। h3>
- Hindi News
- Opinion
- N. Raghuraman’s Column A Good Leader Takes A Little More Blame And Holds Back On Taking Credit.
19 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
कुछ लोग उसे ‘पंजाब किंग’ कह रहे थे, तो कुछ ‘पंजाब का नया किंग’ कहते हुए जश्न मना रहे थे! और उसे भी यह सब अच्छा लग रहा था क्योंकि जब साल 2024 में केकेआर आईपीएल का खिताब जीती थी, तो उसे इसका सही श्रेय नहीं दिया गया था।
लेकिन उसका नाम पुकारे जाने के बाद भी इस मंगलवार को अहमदाबाद में हुए मैच में उसकी प्राथमिकता नहीं बदली, जब वह आईपीएल में अपने पहले शतक के करीब था। कप्तान 97 रनों पर नाबाद खड़े थे और 100 रन का वह जादुई आंकड़ा हासिल करने के लिए महज एक गेंद की जरूरत थी।
उनके पार्टनर शशांक सिंह क्रीज पर खड़े हुए थे और छह गेंद हाथ में थी। उन छह गेंदों में से वह एक गेंद उनसे उधार मांग सकते थे। लेकिन कप्तान उनके पास आए और कहा कि हर गेंद पर प्रहार करें, क्योंकि हरेक रन से उनकी टीम इस सीजन के स्कोर चार्ट में ऊपर जाएगी, क्योंकि विभिन्न कारणों से पिछले दस सालों से यह टीम उस पोजिशन पर नहीं पहुंच पाई है।
ऐसा पहली बार हुआ है, जब कप्तान ने खुद चार्ज लिया। वह एक उदाहरण पेश करना चाहते थे। वो जानते थे कि शशांक का स्ट्राइक रेट धीरे-धीरे बढ़ रहा था और कप्तान उनके पास गए और कहा कि मेरे स्कोर की फिक्र मत करो, टीम के लिए बेस्ट दो।
हालांकि तब भी पार्टनर ने उन्हें एक मौका दिया। जब शशांक गेंद को चार रनों के लिए बाउंड्री तक नहीं पहुंचा सके, तो एक रन के लिए भागे, लेकिन कप्तान दूसरे रन के लिए भागे और शशांक को स्ट्राइक दी और अंततः शशांक ने कुल खेली 16 गेंदों में 44 रन बनाए और आखिरी ओवर में 23 रन बनाए, जिसके चलते उनकी टीम इस सीजन में अभी तक का दूसरा सबसे बड़ा स्कोर खड़ा कर सकी।
और शशांक का स्ट्राइक रेट 275 रहा, जो कि हैरान करने वाला था। लेकिन कप्तान 97 पर नाबाद बने रहे और अपना पहला शतकीय रिकॉर्ड नहीं बना सके। और अंत में पंजाब किंग्स ने गुजरात टाइटंस के खिलाफ 11 रन से मैच जीत लिया, जबकि अहमदाबाद में मैच होने के कारण गुजरात टाइटंस को सपोर्ट भी था।
कॉर्पोरेट की दुनिया में लीडरशिप हमेशा से ही महिमामंडन और दोषारोपण का केंद्र रही है और क्रिकेट भी इससे अलग नहीं है। हम सबने कई बॉसेस देखे होंगे, जो जब चीजें सही चल रही होती हैं तो लाइमलाइट में रहने का मजा लेते हैं और जब हालात खराब होते हैं तो किसी को भी बलि का बकरा बना देते हैं।
लेकिन मैंने यहां जिस कप्तान श्रेयस अय्यर की बात की, वो लीडर्स की एक अलग ही बिरादरी से आते हैं, जो समझते हैं कि अपनी जिम्मेदारी से ज्यादा ब्लेम लेना और अपने काम का क्रेडिट कम लेना सिर्फ एक अच्छा लीडर होने की बात नहीं है; बल्कि यह लीडरशिप की बैकबोन भी है।
क्या आपने कभी किसी ऐसे व्यक्ति के साथ काम किया है, जो जिम्मेदारी से बचता है जैसे रजनीकांत फिल्मों में गोलियों से बचते हैं? ये निराशाजनक है, है ना? इसके उलट एेसे लीडर की कल्पना करें जो सामने आकर टीम का नेतृत्व करता है, फिर टीम के स्कोर के लिए अपनी सेंचुरी के रिकॉर्ड की बलि देकर अंतिम छह गेंदें किसी और को सौंप देता है।
ऐसे लीडर्स न सिर्फ सम्मान कमाते हैं बल्कि जवाबदेही की संस्कृति को भी बढ़ावा देते हैं। जब एक लीडर कहने के लिए तैयार होता है, “कि कैसे हम अपनी उपलब्धि से पहले टीम को रखते हैं,” तो वे एक ऐसा माहौल बनाते हैं जहां लोग अपनी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के प्रति अधिक समर्पित होते हैं।
शशांक और अय्यर ने अंतिम पांच ओवरों में 87 रन बनाकर अपनी टीम पंजाब किंग्स को इस मैदान पर इस सीजन का दूसरा उच्चतम स्कोर खड़ा किया और आईपीएल का यह सीजन लीडरशिप में नए अध्याय लिख रहा है। और उम्मीद है कि कप्तान की कोच रिकी पोंटिंग के साथ यह रीयूनियन उनके प्रदर्शन में निरंतरता बरकरार रखेगी, क्योंकि अच्छे लीडर हमेशा टीम के लिए काम करते हैं।
फंडा यह है कि एक अच्छा लीडर किसी चीज का ब्लेम थोड़ा ज्यादा लेता है और क्रेडिट लेने के मामले में पीछे रहता है। और सफलता टीम का प्रयास होती है, कोई भी अकेले की दम पर फिनिश लाइन पार नहीं कर सकता।
खबरें और भी हैं…
राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News
- Hindi News
- Opinion
- N. Raghuraman’s Column A Good Leader Takes A Little More Blame And Holds Back On Taking Credit.
19 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु
कुछ लोग उसे ‘पंजाब किंग’ कह रहे थे, तो कुछ ‘पंजाब का नया किंग’ कहते हुए जश्न मना रहे थे! और उसे भी यह सब अच्छा लग रहा था क्योंकि जब साल 2024 में केकेआर आईपीएल का खिताब जीती थी, तो उसे इसका सही श्रेय नहीं दिया गया था।
लेकिन उसका नाम पुकारे जाने के बाद भी इस मंगलवार को अहमदाबाद में हुए मैच में उसकी प्राथमिकता नहीं बदली, जब वह आईपीएल में अपने पहले शतक के करीब था। कप्तान 97 रनों पर नाबाद खड़े थे और 100 रन का वह जादुई आंकड़ा हासिल करने के लिए महज एक गेंद की जरूरत थी।
उनके पार्टनर शशांक सिंह क्रीज पर खड़े हुए थे और छह गेंद हाथ में थी। उन छह गेंदों में से वह एक गेंद उनसे उधार मांग सकते थे। लेकिन कप्तान उनके पास आए और कहा कि हर गेंद पर प्रहार करें, क्योंकि हरेक रन से उनकी टीम इस सीजन के स्कोर चार्ट में ऊपर जाएगी, क्योंकि विभिन्न कारणों से पिछले दस सालों से यह टीम उस पोजिशन पर नहीं पहुंच पाई है।
ऐसा पहली बार हुआ है, जब कप्तान ने खुद चार्ज लिया। वह एक उदाहरण पेश करना चाहते थे। वो जानते थे कि शशांक का स्ट्राइक रेट धीरे-धीरे बढ़ रहा था और कप्तान उनके पास गए और कहा कि मेरे स्कोर की फिक्र मत करो, टीम के लिए बेस्ट दो।
हालांकि तब भी पार्टनर ने उन्हें एक मौका दिया। जब शशांक गेंद को चार रनों के लिए बाउंड्री तक नहीं पहुंचा सके, तो एक रन के लिए भागे, लेकिन कप्तान दूसरे रन के लिए भागे और शशांक को स्ट्राइक दी और अंततः शशांक ने कुल खेली 16 गेंदों में 44 रन बनाए और आखिरी ओवर में 23 रन बनाए, जिसके चलते उनकी टीम इस सीजन में अभी तक का दूसरा सबसे बड़ा स्कोर खड़ा कर सकी।
और शशांक का स्ट्राइक रेट 275 रहा, जो कि हैरान करने वाला था। लेकिन कप्तान 97 पर नाबाद बने रहे और अपना पहला शतकीय रिकॉर्ड नहीं बना सके। और अंत में पंजाब किंग्स ने गुजरात टाइटंस के खिलाफ 11 रन से मैच जीत लिया, जबकि अहमदाबाद में मैच होने के कारण गुजरात टाइटंस को सपोर्ट भी था।
कॉर्पोरेट की दुनिया में लीडरशिप हमेशा से ही महिमामंडन और दोषारोपण का केंद्र रही है और क्रिकेट भी इससे अलग नहीं है। हम सबने कई बॉसेस देखे होंगे, जो जब चीजें सही चल रही होती हैं तो लाइमलाइट में रहने का मजा लेते हैं और जब हालात खराब होते हैं तो किसी को भी बलि का बकरा बना देते हैं।
लेकिन मैंने यहां जिस कप्तान श्रेयस अय्यर की बात की, वो लीडर्स की एक अलग ही बिरादरी से आते हैं, जो समझते हैं कि अपनी जिम्मेदारी से ज्यादा ब्लेम लेना और अपने काम का क्रेडिट कम लेना सिर्फ एक अच्छा लीडर होने की बात नहीं है; बल्कि यह लीडरशिप की बैकबोन भी है।
क्या आपने कभी किसी ऐसे व्यक्ति के साथ काम किया है, जो जिम्मेदारी से बचता है जैसे रजनीकांत फिल्मों में गोलियों से बचते हैं? ये निराशाजनक है, है ना? इसके उलट एेसे लीडर की कल्पना करें जो सामने आकर टीम का नेतृत्व करता है, फिर टीम के स्कोर के लिए अपनी सेंचुरी के रिकॉर्ड की बलि देकर अंतिम छह गेंदें किसी और को सौंप देता है।
ऐसे लीडर्स न सिर्फ सम्मान कमाते हैं बल्कि जवाबदेही की संस्कृति को भी बढ़ावा देते हैं। जब एक लीडर कहने के लिए तैयार होता है, “कि कैसे हम अपनी उपलब्धि से पहले टीम को रखते हैं,” तो वे एक ऐसा माहौल बनाते हैं जहां लोग अपनी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के प्रति अधिक समर्पित होते हैं।
शशांक और अय्यर ने अंतिम पांच ओवरों में 87 रन बनाकर अपनी टीम पंजाब किंग्स को इस मैदान पर इस सीजन का दूसरा उच्चतम स्कोर खड़ा किया और आईपीएल का यह सीजन लीडरशिप में नए अध्याय लिख रहा है। और उम्मीद है कि कप्तान की कोच रिकी पोंटिंग के साथ यह रीयूनियन उनके प्रदर्शन में निरंतरता बरकरार रखेगी, क्योंकि अच्छे लीडर हमेशा टीम के लिए काम करते हैं।
फंडा यह है कि एक अच्छा लीडर किसी चीज का ब्लेम थोड़ा ज्यादा लेता है और क्रेडिट लेने के मामले में पीछे रहता है। और सफलता टीम का प्रयास होती है, कोई भी अकेले की दम पर फिनिश लाइन पार नहीं कर सकता।
News