एक ऐसी धारा जिसने बढाई 4.75 लाख पेंशनर्स की परेशानी | A section that increased the trouble of 4.75 lakh pensioners | Patrika News

125
एक ऐसी धारा जिसने बढाई 4.75 लाख पेंशनर्स की परेशानी | A section that increased the trouble of 4.75 lakh pensioners | Patrika News

एक ऐसी धारा जिसने बढाई 4.75 लाख पेंशनर्स की परेशानी | A section that increased the trouble of 4.75 lakh pensioners | Patrika News

अफसरशाही की मनमर्जी ने मध्यप्रदेश के पेंशनर्स (pensioners) को परेशानी में डाल दिया है। मामला धारा 49 से जुडा है। इसने 4.75 लाख पेंशनर्स की महंगाई राहत अटका दी है।

भोपाल

Updated: April 18, 2022 11:44:27 pm

भोपाल। सरकार में अफसरशाही के काम-काज का कितना अडिय़ल रवैया है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य के पेंशनर्स (pensioners) अनावश्यक परेशनी में पड़ गए हैं। इस परेशानी की वजह राज्य पुनर्गठन की धारा 49 है। यह धारा छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के पहले तक रिटायर हुए कर्मचारियों के लिए थी, लेकिन पुनर्गठन के बाद भी छत्तीसगढ़ राज्य की सहमति के नाम पेंशनर्स के आर्थिक लाभ पर अडंगा लगा है। 4.75 लाख ( lakh) से अधिक पेंशनर्स को सीधे तौर पर नुकसान है। कोर्ट के आदेश में बाद भी महंगाई राहत का मामला फाइलों में उलझा है, अब सरकार कोर्ट की अवमानना का सामना कर रही है।

वर्ष 2000 में मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था। उस दौरान रिटायर कर्मचारियों का मामला सामने आया। उसको लेकर धारा 49 के तहत यह प्रावधान रखा गया कि जो कर्मचारी रिटायर हुए हैं, उनकी पेंशन का खर्च आबादी के हिसाब से राज्य उठाएंगे। इसके तहत छत्तीसगढ़ 26 प्रतिशत और मध्यप्रदेश 74 प्रतिशत खर्च मध्यप्रदेश को उठा रहा है, लेकिन इसके बाद रिटायर कर्मचारियों के लिए यह व्यवस्था नहीं थी। मध्यप्रदेश पेंशनर्स एसोएिशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गणेश दत्त जोशी का कहना है कि अफसरों ने दोनों राज्यों की सहमति का अडंगा लगाकर मौजूदा पेंशनर्स के मामले में भी पेंच फंसा दिया है।

59 माह का एरियर उलझा
वर्ष 2000 के पेंशनर्स का 32 माह का एरियर अभी अटका हुआ है। यह छठवें वेतनमान का है। हाईकोर्ट भी इसके भुगतान का आदेश दे चुका है। लेकिन अब तक इसका भुगतान नहीं हुआ है। दोनों राज्यों की सहमति के चक्कर में सातवें वेतनमान का 27 महीने का एरियर का भुगतान भी नहीं हो पाया है। पेंशनर्स ने हाईकोर्ट की शरण ली तो कोर्ट ने एरियर देने का आदेश दिया, लेकिन यह मामला भी फाइलों में कैद है। इधर पेंशनर्स एसोसिएशन ने मुख्य सचिव अन्य जिम्मेदारों को लीगल नेाटिस भी भ्ेाजा है।

जरूरी नहीं छत्तीसगढ़, मप्र के हिसाब से निर्णय ले
जानकारों का कहना है कि सभ्ीा राज्यों के कार्य करने का अपना तरीका होता है। राज्य अपने संसाधनों के हिसाब से निर्णय लेते हैं। इसलिए जरूरी नहीं कि मध्यप्रदेश सरकार जो निर्णय ले, वैसा ही निर्णय छत्तीसगढ़ सरकार भी ले।

newsletter

अगली खबर

right-arrow



उमध्यप्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Madhya Pradesh News