एक्सटर्नल रिपोर्ट के बाद इंडसइंड बैंक का शेयर 7% चढ़ा: डेरिवेटिव पोर्टफोलियो का नुकसान अनुमान से कम, इसलिए शेयरों में रही तेजी h3>
मुंबई6 दिन पहले
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डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में अकाउंटिंग डिस्क्रिपेन्सी का पता चलने के बाद इंडसइंड बैंक का शेयर एक दिन में 27% गिरा था।
इंडसइंड बैंक के शेयरों में आज यानी, 16 अप्रैल को 6.74% की तेजी रही। ये 49.60 रुपए चढ़कर 785.50 रुपए पर बंद हुआ। शेयरों में ये तेजी बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में अकाउंटिंग डिस्क्रिपेन्सी से जुड़ी एक्सटर्नल एजेंसी की रिपोर्ट के बाद आई है।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बैंक को 30 जून 2024 तक 1,979 करोड़ रुपए नुकसान हुआ है, जो अनुमान से कम है। बैंक ने बताया कि उसे यह रिपोर्ट 15 अप्रैल को मिली है। बैंक ने ये भी कहा कि वह इस प्रभाव को वित्त वर्ष 2024-25 की वित्तीय रिपोर्ट में दर्शाएगा।
तीन सेगमेंट में पूरा मामला जानें:
1. बैकग्राउंड और डिस्क्लोजर
- 10 मार्च, 2025 को इंडसइंड बैंक ने अपने फॉरेक्स डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में अनियमितताओं के बारे में स्टॉक एक्सचेंजों को बताया था। RBI की नई गाइडलाइन के बाद इंटरनल रिव्यू के दौरान इसका पता चला था। बैंक ने माना था कि इस गड़बड़ी से उसकी नेटवर्थ 1,600-2,000 करोड़ रुपए (2.35%) कम हो सकती है।
- डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में नुकसान की समीक्षा के लिए एक्सटर्नल एजेंसी PwC को नियुक्त किया। अप्रैल 2025 में, PwC के ऑडिट ने भी गड़बड़ी की पुष्टि की। PwC ने बताया कि बैंक को इस गड़बड़ी से 30 जून 2024 तक 1,979 करोड़ रुपए (2.27%) नुकसान हुआ है।
- फॉरेक्स डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स कॉन्ट्रैक्ट्स एक कॉम्प्लेक्स फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट हैं जिनका उपयोग करेंसी रिस्क को हेज करने के लिए किया जाता है। ये लेन-देन, 5-7 साल पहले बैंक द्वारा अपने खाते के लिए किए गए थे और इनमें क्लाइंट ट्रेड शामिल नहीं थे।
2. गड़बड़ी की वजह
- मुख्य समस्या डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स के गलत अकाउंटिंग ट्रीटमेंट से जुड़ी है। डेरिवेटिव का मूल्यांकन बाजार की स्थितियों के आधार पर किया जाता है, और उनके मूल्यांकन या रिकॉर्डिंग में एरर से ऐसा हुआ है। बैंक के इंटरनल सिस्टम्स इन लेन-देन का सही हिसाब रखने में विफल रहें, जिसके कारण ₹1,979 करोड़ का शॉर्टफॉल आया।
3. मार्केट इम्पैक्ट और आरबीआई का रिस्पॉन्स
- 10 मार्च के खुलासे के बाद, इंडसइंड बैंक के शेयरों में एक ही दिन में 27% की गिरावट आई, जो 52-हफ्ते के निचले स्तर ₹656 पर पहुंच गया। अगले कुछ दिनों में, शेयर में कुल गिरावट बढ़कर 35% हो गई। इससे बैंक का मार्केट कैप लगभग ₹20,000 करोड़ घट गया।
- 15 मार्च, 2025 को, RBI ने डिपॉजिटर्स की चिंताओं पर कहा- इंडसइंड बैंक की वित्तीय स्थिति स्थिर बनी हुई है। बैंक का पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR) 16.46% है, जो रेगुलेटरी रिक्वायरमेंट से काफी ऊपर है। RBI ने जनता से अफवाहों पर ध्यान न देने और बैंक में विश्वास बनाए रखने का आग्रह किया।
तीसरी तिमाही में रेवेन्यू 8% बढ़ा, लेकिन मुनाफा 39% कम हुआ
देश का पांचवां सबसे बड़ा प्राइवेट सेक्टर लेंडर इंडसइंड बैंक को वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में 1,402.33 करोड़ रुपए का नेट प्रॉफिट हुआ। सालना आधार पर इसमें 39% की हुई है। एक साल पहले की समान तिमाही में बैंक को 2,301.49 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था।
अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में बैंक ने 15,155.80 करोड़ रुपए की कमाई की। यह पिछले साल के ₹13,968.17 करोड़ के मुकाबले 8.50% ज्यादा रहा। बैंक ने बताया कि खर्चे में बढ़ोतरी के चलते कंपनी का मुनाफ कम हुआ है।
डेरिवेटिव क्या है?
डेरिवेटिव दो पार्टियों के बीच एक फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट होता है। जिसकी वैल्यू एसेट और बेंचमार्क के परफॉर्मेंस पर निर्भर करती है। ऑप्शन, स्वैप और फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट इसके उदाहरण हैं। इनका इस्तेमाल रिस्क हेजिंग या स्पेक्युलेटिव जैसे काम के लिए किया जाता है।
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मुंबई6 दिन पहले
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डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में अकाउंटिंग डिस्क्रिपेन्सी का पता चलने के बाद इंडसइंड बैंक का शेयर एक दिन में 27% गिरा था।
इंडसइंड बैंक के शेयरों में आज यानी, 16 अप्रैल को 6.74% की तेजी रही। ये 49.60 रुपए चढ़कर 785.50 रुपए पर बंद हुआ। शेयरों में ये तेजी बैंक के डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में अकाउंटिंग डिस्क्रिपेन्सी से जुड़ी एक्सटर्नल एजेंसी की रिपोर्ट के बाद आई है।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बैंक को 30 जून 2024 तक 1,979 करोड़ रुपए नुकसान हुआ है, जो अनुमान से कम है। बैंक ने बताया कि उसे यह रिपोर्ट 15 अप्रैल को मिली है। बैंक ने ये भी कहा कि वह इस प्रभाव को वित्त वर्ष 2024-25 की वित्तीय रिपोर्ट में दर्शाएगा।
तीन सेगमेंट में पूरा मामला जानें:
1. बैकग्राउंड और डिस्क्लोजर
- 10 मार्च, 2025 को इंडसइंड बैंक ने अपने फॉरेक्स डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में अनियमितताओं के बारे में स्टॉक एक्सचेंजों को बताया था। RBI की नई गाइडलाइन के बाद इंटरनल रिव्यू के दौरान इसका पता चला था। बैंक ने माना था कि इस गड़बड़ी से उसकी नेटवर्थ 1,600-2,000 करोड़ रुपए (2.35%) कम हो सकती है।
- डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में नुकसान की समीक्षा के लिए एक्सटर्नल एजेंसी PwC को नियुक्त किया। अप्रैल 2025 में, PwC के ऑडिट ने भी गड़बड़ी की पुष्टि की। PwC ने बताया कि बैंक को इस गड़बड़ी से 30 जून 2024 तक 1,979 करोड़ रुपए (2.27%) नुकसान हुआ है।
- फॉरेक्स डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स कॉन्ट्रैक्ट्स एक कॉम्प्लेक्स फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट हैं जिनका उपयोग करेंसी रिस्क को हेज करने के लिए किया जाता है। ये लेन-देन, 5-7 साल पहले बैंक द्वारा अपने खाते के लिए किए गए थे और इनमें क्लाइंट ट्रेड शामिल नहीं थे।
2. गड़बड़ी की वजह
- मुख्य समस्या डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स के गलत अकाउंटिंग ट्रीटमेंट से जुड़ी है। डेरिवेटिव का मूल्यांकन बाजार की स्थितियों के आधार पर किया जाता है, और उनके मूल्यांकन या रिकॉर्डिंग में एरर से ऐसा हुआ है। बैंक के इंटरनल सिस्टम्स इन लेन-देन का सही हिसाब रखने में विफल रहें, जिसके कारण ₹1,979 करोड़ का शॉर्टफॉल आया।
3. मार्केट इम्पैक्ट और आरबीआई का रिस्पॉन्स
- 10 मार्च के खुलासे के बाद, इंडसइंड बैंक के शेयरों में एक ही दिन में 27% की गिरावट आई, जो 52-हफ्ते के निचले स्तर ₹656 पर पहुंच गया। अगले कुछ दिनों में, शेयर में कुल गिरावट बढ़कर 35% हो गई। इससे बैंक का मार्केट कैप लगभग ₹20,000 करोड़ घट गया।
- 15 मार्च, 2025 को, RBI ने डिपॉजिटर्स की चिंताओं पर कहा- इंडसइंड बैंक की वित्तीय स्थिति स्थिर बनी हुई है। बैंक का पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR) 16.46% है, जो रेगुलेटरी रिक्वायरमेंट से काफी ऊपर है। RBI ने जनता से अफवाहों पर ध्यान न देने और बैंक में विश्वास बनाए रखने का आग्रह किया।
तीसरी तिमाही में रेवेन्यू 8% बढ़ा, लेकिन मुनाफा 39% कम हुआ
देश का पांचवां सबसे बड़ा प्राइवेट सेक्टर लेंडर इंडसइंड बैंक को वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में 1,402.33 करोड़ रुपए का नेट प्रॉफिट हुआ। सालना आधार पर इसमें 39% की हुई है। एक साल पहले की समान तिमाही में बैंक को 2,301.49 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था।
अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में बैंक ने 15,155.80 करोड़ रुपए की कमाई की। यह पिछले साल के ₹13,968.17 करोड़ के मुकाबले 8.50% ज्यादा रहा। बैंक ने बताया कि खर्चे में बढ़ोतरी के चलते कंपनी का मुनाफ कम हुआ है।
डेरिवेटिव क्या है?
डेरिवेटिव दो पार्टियों के बीच एक फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट होता है। जिसकी वैल्यू एसेट और बेंचमार्क के परफॉर्मेंस पर निर्भर करती है। ऑप्शन, स्वैप और फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट इसके उदाहरण हैं। इनका इस्तेमाल रिस्क हेजिंग या स्पेक्युलेटिव जैसे काम के लिए किया जाता है।
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