एंडोस्कोपी से आहारनाल की गंभीर बीमारी अचलासिया का इलाज | Achalasia, a serious disease of the esophagus, with endoscopy | Patrika News h3>
आहारनाल से जुड़ी दुर्लभ बीमारी अचलासिया कार्डिया से पीडि़त मरीज को चिकित्सकों ने ठीक कर सफलता प्राप्त की। अचलेसिया कार्डिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें खाने की नीचे वाली नली सिकुड़ जाती है। इसमें भोजन नली की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है और भोजन व पानी के निर्बाध प्रवाह को बाधित करता है। इस बीमारी में मरीज को निगलने में कठिनाई, भोजन का छाती में अटकने का अहसास, सीने में दर्द, खाने का मुंह में वापस आना और वजन कम होने जैसी समस्याएं होने लगती है।
जयपुर
Published: April 15, 2022 11:11:15 pm
जयपुर। आहारनाल से जुड़ी दुर्लभ बीमारी (rare disease) अचलासिया कार्डिया (achalasia cardia) से पीडि़त मरीज को चिकित्सकों ने ठीक कर सफलता प्राप्त की। अचलेसिया कार्डिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें खाने की नीचे वाली नली सिकुड़ जाती है। इसमें भोजन नली की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है और भोजन व पानी के निर्बाध प्रवाह को बाधित करता है। इस बीमारी से पीडि़त लोगों की तंत्रिका कोशिका धीरे-धीरे गायब होने लगती है, जिससे भोजन नलिका में खाना इकट्ठा होने लगता है और दिक्कत आना शुरू हो जाती है। मरीज 24 घंटे के बाद डिस्चार्ज हो जाता है।
एंडोस्कोपी से आहारनाल की गंभीर बीमारी अचलासिया का इलाज
इस बीमारी में मरीज को निगलने में कठिनाई, भोजन का छाती में अटकने का अहसास, सीने में दर्द, खाने का मुंह में वापस आना और वजन कम होने जैसी समस्याएं होने लगती है। एपेक्स हॉस्पिटल के गेस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डॉ. कुलदीप singh और डॉ. कपिल शर्मा ने बताया कि एक मरीज को खाना निगलने में एक माह से दिक्कत आ रही थी। वह इलाज के लिए कई अस्पतालों में गया, लेकिन समाधान नहीं मिला। अस्पताल में एंडोस्कोपी व मनोमेटरी की जांच कर अचलासिया कार्डिया को डायग्नोस किया।
उन्होंने बताया कि अचलेसिया कार्डिया मरीजों की जांच अब मनोमेट्री तकनीक से की जाती है। यह गेस्ट्रोएंटरोलॉजी में नई तकनीक है। इसमें भोजन और पानी को पेट तक पहुंचाने में मदद करने वाली मांसपेशियों की क्षमता और कार्यप्रणाली नापने के लिए मरीज के मुंह से भोजन नली को पतली पाइप डालकर जांच की जाती है। प्रक्रिया में डॉक्टर को 1-2 घंटे लगते हैं। इस बीमारी से पीडि़त लोगों की तंत्रिका कोशिका धीरे-धीरे गायब होने लगती है, जिससे भोजन नलिका में खाना इकट्ठा होने लगता है और दिक्कत आना शुरू हो जाती है। मरीज 24 घंटे के बाद डिस्चार्ज हो जाता है।
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आहारनाल से जुड़ी दुर्लभ बीमारी अचलासिया कार्डिया से पीडि़त मरीज को चिकित्सकों ने ठीक कर सफलता प्राप्त की। अचलेसिया कार्डिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें खाने की नीचे वाली नली सिकुड़ जाती है। इसमें भोजन नली की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है और भोजन व पानी के निर्बाध प्रवाह को बाधित करता है। इस बीमारी में मरीज को निगलने में कठिनाई, भोजन का छाती में अटकने का अहसास, सीने में दर्द, खाने का मुंह में वापस आना और वजन कम होने जैसी समस्याएं होने लगती है।
जयपुर
Published: April 15, 2022 11:11:15 pm
जयपुर। आहारनाल से जुड़ी दुर्लभ बीमारी (rare disease) अचलासिया कार्डिया (achalasia cardia) से पीडि़त मरीज को चिकित्सकों ने ठीक कर सफलता प्राप्त की। अचलेसिया कार्डिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें खाने की नीचे वाली नली सिकुड़ जाती है। इसमें भोजन नली की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है और भोजन व पानी के निर्बाध प्रवाह को बाधित करता है। इस बीमारी से पीडि़त लोगों की तंत्रिका कोशिका धीरे-धीरे गायब होने लगती है, जिससे भोजन नलिका में खाना इकट्ठा होने लगता है और दिक्कत आना शुरू हो जाती है। मरीज 24 घंटे के बाद डिस्चार्ज हो जाता है।
एंडोस्कोपी से आहारनाल की गंभीर बीमारी अचलासिया का इलाज
इस बीमारी में मरीज को निगलने में कठिनाई, भोजन का छाती में अटकने का अहसास, सीने में दर्द, खाने का मुंह में वापस आना और वजन कम होने जैसी समस्याएं होने लगती है। एपेक्स हॉस्पिटल के गेस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डॉ. कुलदीप singh और डॉ. कपिल शर्मा ने बताया कि एक मरीज को खाना निगलने में एक माह से दिक्कत आ रही थी। वह इलाज के लिए कई अस्पतालों में गया, लेकिन समाधान नहीं मिला। अस्पताल में एंडोस्कोपी व मनोमेटरी की जांच कर अचलासिया कार्डिया को डायग्नोस किया।
उन्होंने बताया कि अचलेसिया कार्डिया मरीजों की जांच अब मनोमेट्री तकनीक से की जाती है। यह गेस्ट्रोएंटरोलॉजी में नई तकनीक है। इसमें भोजन और पानी को पेट तक पहुंचाने में मदद करने वाली मांसपेशियों की क्षमता और कार्यप्रणाली नापने के लिए मरीज के मुंह से भोजन नली को पतली पाइप डालकर जांच की जाती है। प्रक्रिया में डॉक्टर को 1-2 घंटे लगते हैं। इस बीमारी से पीडि़त लोगों की तंत्रिका कोशिका धीरे-धीरे गायब होने लगती है, जिससे भोजन नलिका में खाना इकट्ठा होने लगता है और दिक्कत आना शुरू हो जाती है। मरीज 24 घंटे के बाद डिस्चार्ज हो जाता है।
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