उमा का हठ-योग, अब आसान नहीं पटाक्षेप, ताले खुलेंगे या टूटेगा संकल्प | uma bharati | Patrika News

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उमा का हठ-योग, अब आसान नहीं पटाक्षेप, ताले खुलेंगे या टूटेगा संकल्प | uma bharati | Patrika News

उमा का हठ-योग, अब आसान नहीं पटाक्षेप, ताले खुलेंगे या टूटेगा संकल्प | uma bharati | Patrika News

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– सियासी समीकरणों से लेकर प्रशासनिक पेचदीगियां तक भारी
– उमा के अन्न त्यागने के बाद आगे आसान नहीं राह
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भोपाल

Published: April 13, 2022 11:11:41 pm

भोपाल। भाजपा की फायरब्रांड नेता उमा भारती के रायसेन किले के शिव मंदिर के ताले खुलवाने के लिए अन्न त्यागने के बाद आगे पटाक्षेप आसान नहीं है। उमा को अन्न त्यागे अब तीन दिन हो गए हैं, लेकिन अब तक इसके आगे कोई समाधान नहीं सुझा है। रायसेन जिला प्रशासन ने पुरातत्व विभाग को गेट खुलवाने के लिए लिखा है, लेकिन पुरातत्व विभाग से कोई जवाब नहीं मिला। अब आगे क्या होगा इसको लेकर अब असंमजस के बादल मंडरा रहे हैं। वजह ये कि सियासी समीकरण भी इसमें अहम हैं।
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श्रेय के समीकरण अलग-
उमा का अन्न त्यागना अब सियासी समीकरणों में भी में भारी पड़ रहा है। दरअसल, पंडित प्रदीप मिश्रा ने शिवराज के राज में शिव के ताले में होने पर सवाल उठाया था। इसके बाद उमा शिव मंदिर जल चढ़ाने पहुंची और अन्न त्याग दिया। ऐसे में शिव मंदिर के ताले खुलते हैं तो यह उमा के लिए अप्रत्यक्ष रूप से सामाजिक व सियासी तौर पर बड़ी जीत होगी। लंबे समय से सियासी सक्रियता के लिए जद्दोजहद कर रही उमा का कद इससे बढ़ेगा। आगे विधानसभा चुनाव 2023 और फिर लोकसभा चुनाव 2024 है। ऐसे में उमा को श्रेय जाना प्रदेश के कई सियासी गुटों के लिए मुफीद नहीं है। इसलिए श्रेय के समीकरण इसमें उलझे हैं।
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अभी ये स्थिति-
वर्तमान में उमा भारती ने अन्न त्याग रखा है। वे भोपाल में रही, लेकिन अभी उनको मनाने या इस मामले में कोई और कदम उठाने की जानकारी नहीं है। सियासी गलियारों में यह भी संभावना जताई गई है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान इस मामले में आगे चलकर उमा से मुलाकात करके कोई हल निकाल सकते हंै। लेकिन, फिलहाल इंतजार के हालात हैं।
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पुरातत्व विभाग के पाले में गेंद-
रायसेन जिला प्रशासन ने पुरातत्व विभाग को पत्र लिखकर अपने पक्ष का काम कर लिया है। इसके बाद अब पुरातत्व विभाग के जवाब पर आगे कदम निर्भर करेगा। अभी ताला खुलने पर सीधे श्रेय उमा को जाएगा, इस कारण पुरातत्व विभाग के जवाब के बाद अभी ताला खुलना आसान नहीं है। आगे इसमें कोई और रास्ता निकाला जा सकता है, ताकि सत्ता पक्ष भी इसमें बराबर की भागीदारी कर सके।
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ये पेचीदगी भी मौजूद-
पुरातत्व विभाग की ओर से जवाब में यदि ताला खोलने से इंकार कर दिया जाता है, तो बड़ी मुश्किल स्थिति हो जाएगी। ऐसे में ताला खुलवाना सीधे तौर कानूनी मुद्दा भी हो जाएगा। इस कारण पुरातत्व विभाग के जवाब पर काफी कुछ निर्भर करेगा। लेकिन, यदि रायसेन जिला प्रशासन ताला खुलने की स्थिति में कोई अप्रिय घटना न होने और साकारातत्मक माहौल बनने की जवाबदेही लेता है तो पुरातत्व विभाग मंजूरी दे सकता है। लेकिन, यह सब सत्ता के समीकरणों पर निर्भर करेगा।
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