उद्धव ठाकरे पर ‘बीस’ पड़े भाजपा के फडणवीस, राज्यसभा चुनाव में पलट दी बाजी h3>
मुंबई: छह गोली और आदमी तीन, बहुत नाइंसाफी है ये… शोले फिल्म के डायलॉग की तरह राज्यसभा चुनाव में महाराष्ट्र की छह सीटें के लिए सात उम्मीदवार मैदान में थे। यहां नाइंसाफी जैसी बात नहीं, बात वर्चस्व की थी। वैसे तो लड़ाई भाजपा vs महाविकास अघाड़ी की थी लेकिन सीधे तौर पर भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। ‘शोले’ में गब्बर तीन गोलियां हवा में फायर करता है लेकिन यहां सात में एक उम्मीदवार को चुनाव मैदान से ‘फायर’ होना तय था। देर रात तक गहमागहमी के बाद नतीजे आए तो भाजपा ने शिवसेना को तगड़ा झटका दिया। तीन बड़े दलों के गठबंधन से सरकार चला रही शिवसेना पर्याप्त संख्याबल होने का बाद भी अपने दोनों उम्मीदवारों को जिता नहीं सकी। ऐसे में यह समझना दिलचस्प है कि शिवसेना की एक सीट उछलकर भाजपा के खाते में कैसे चली गई?
महाराष्ट्र के लिए यह चुनाव कई मायने में महत्वपूर्ण रहा। दो दशक से भी ज्यादा समय बाद राज्यसभा चुनाव कराने की नौबत आई। इस कालखंड में भाजपा और शिवसेना मिलकर चुनाव लड़ा करती थी तो समीकरण कुछ अलग हुआ करते थे। राज्यसभा की 6 सीटों पर सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी यानी शिवसेना+कांग्रेस+NCP के 3 और बीजेपी के 3 उम्मीदवार विजयी हुए। गौर करने वाली बात यह है कि महाराष्ट्र विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के पास ज्यादा विधायक हैं लेकिन यह चुनाव 3-3 की बराबर फाइट वाला रहा। ऐसे में फडणवीस बनाम उद्धव की लड़ाई बन चुके इस चुनाव में भाजपा नेता का पलड़ा भारी दिखा है।
हम सभी के लिए बहुत हर्ष की बात है कि महाराष्ट्र के राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के तीनों प्रत्याशी चुनकर आए हैं। पीयूष गोयल और अनिल बोंडे को 48 वोट मिले। तीसरे प्रत्याशी धनंजय महाडिक (41.56) को शिवसेना के संजय राउत (41) से ज़्यादा वोट मिला है और उन्होंने संजय पवार को हराया है।
देवेंद्र फडणवीस
6वीं सीट पर बीजेपी के धनंजय महाडिक ने शिवसेना के संजय पवार को हरा दिया। जबकि शिवसेना दावा कर रही थी कि वह दोनों सीटें बड़े आराम से जीत लेगी। छठी सीट पर हार के बाद मायूस शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि चुनाव आयोग ने हमारे एक वोट को अमान्य कर दिया। हमने दो वोटों का विरोध किया लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने भाजपा का पक्ष लिया।
कैसे जीते भाजपा के महाडिक
288 सदस्यों वाली राज्य विधानसभा में एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 41 मतों की जरूरत थी। दूसरे राउंड के बाद महाडिक को 41 वोट मिले जबकि पवार 33 वोट ही हासिल कर सके। शिवसेना के एक विधायक रमेश लेक पिछले महीने ही गुजर गए। एक अन्य शिवसेना विधायक सुहास कांदे के वोट को रिजेक्ट कर दिया गया। अनिल देशमुख व नवाब मलिक को कोर्ट ने वोट देने की परमिशन नहीं दी।
संजय राउत ने कहा कि हमारे दूसरे उम्मीदवार संजय पवार को पहली वरीयता के सबसे ज्यादा 33 वोट मिले हैं, लेकिन राज्यसभा चुनाव प्रक्रिया पेचीदा है। दूसरी वरीयता के वोट के आधार पर भाजपा उम्मीदवार को बढ़त मिल गई। हमारा एक वोट अमान्य भी घोषित किया गया। उन्होंने कहा कि हमने दो वोटों पर आपत्ति जताई थी लेकिन उस पर कोई ऐक्शन नहीं हुआ।
बाद में देवेंद्र फडणवीस ने तंज कसते हुए कहा, ‘यह कहा जाएगा कि 1 वोट चुनाव आयोग ने कैंसिल किया। अगर वह वोट इन्हें (सत्तारूढ़ अघाड़ी) मिलता, तब भी हम जीतते, नवाब मलिक आते तब भी हम जीतते।’ सत्तारूढ़ गठबंधन ने मतगणना में 8 घंटे की देरी पर भी सवाल खड़े किए। कुल 285 वोट पड़े थे जिसमें से वैध वोट 284 रहे, जिसमें भाजपा के पीयूष गोयल को 48, अनिल बोंडे को 48, महाडिक को 41.56 वोट मिले। शिवसेना के संजय राउत को 41, कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी को 44 और एनसीपी के प्रफुल पटेल को 43 वोट मिले थे।
असली मुकाबला छठवीं सीट के लिए था। शिवसेना उम्मीदवार संजय पंवार के सामने भाजपा ने पूर्व सांसद धनंजय महाडिक को उतारा था जबकि उनके लिए जीतना आसान नहीं था। महाडिक और पवार दोनों पश्चिमी महाराष्ट्र के कोल्हापुर से ताल्लुक रखते हैं। प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी, नतीजों से गदगद देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट कर अपनी खुशी का इजहार किया। उन्होंने लिखा, ‘चुनाव केवल फाइट के लिए, जीत के लिए लड़े जाते हैं। जय महाराष्ट्र।’ आम सहमति का उम्मीदवार न उतरने के चलते राज्य में 24 साल बाद राज्यसभा चुनाव हुआ।
3 बजे रात आया रिजल्ट और…
भाजपा और सत्तारूढ़ गठबंधन दोनों की तरफ से क्रॉस वोटिंग और नियमों के उल्लंघन के आरोपों के बीच 8 घंटे की देरी मतगणना शुरू हुई। दोनों पक्षों की ओर से वोट को अयोग्य ठहराने की मांग की जाने लगी। आखिरकार आयोग ने राज्यसभा चुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर को शिवसेना विधायक सुहास कांदे के वोट को रिजेक्ट करने का निर्देश दिया। इसके बाद आधी रात को 1 बजे के बाद मतगणना शुरू हो सकी। दो घंटे में रात 3 बजे रिजल्ट आया। झटका लगने के बाद कांग्रेस नेताओं ने स्वीकार किया कि सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी में समन्वय में कमियां थी। महाराष्ट्र के रेवेन्यू मिनिस्टर बालासाहेब थोराट ने कहा कि यह अध्ययन का विषय है कि कहां और क्या गलती हुई। उन्होंने कहा कि मतगणना को रोककर एक वोट अमान्य करने की चालाकी की। जबकि हमें पूरा भरोसा था कि चारों उम्मीदवार आसानी से जीत जाएंगे।
बीजेपी ने जितेंद्र आह्वाड, यशोमती ठाकुर, और सुहास कांदे की वोट पर सवाल उठाए और चुनाव आयोग में शिकायत की। महाविकास आघाडी ने भी भाजपा के सुधीर मुनगंटीवार और समर्थक विधायक रवि राणा के वोट पर आपत्ति जताई। कहा गया कि उन्होंने अपना वोट दूसरे लोगों को दिखाया। शाम 4 बजे से आधी रात तक आयोग में सुनवाई होती रही। बाद में आयोग ने शिवसेना विधायक सुहास कांदे के वोट को रद्द कर दिया। नतीजे रात करीब 3 बजे आए।
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हम सभी के लिए बहुत हर्ष की बात है कि महाराष्ट्र के राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के तीनों प्रत्याशी चुनकर आए हैं। पीयूष गोयल और अनिल बोंडे को 48 वोट मिले। तीसरे प्रत्याशी धनंजय महाडिक (41.56) को शिवसेना के संजय राउत (41) से ज़्यादा वोट मिला है और उन्होंने संजय पवार को हराया है।
देवेंद्र फडणवीस
6वीं सीट पर बीजेपी के धनंजय महाडिक ने शिवसेना के संजय पवार को हरा दिया। जबकि शिवसेना दावा कर रही थी कि वह दोनों सीटें बड़े आराम से जीत लेगी। छठी सीट पर हार के बाद मायूस शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि चुनाव आयोग ने हमारे एक वोट को अमान्य कर दिया। हमने दो वोटों का विरोध किया लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने भाजपा का पक्ष लिया।
कैसे जीते भाजपा के महाडिक
288 सदस्यों वाली राज्य विधानसभा में एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 41 मतों की जरूरत थी। दूसरे राउंड के बाद महाडिक को 41 वोट मिले जबकि पवार 33 वोट ही हासिल कर सके। शिवसेना के एक विधायक रमेश लेक पिछले महीने ही गुजर गए। एक अन्य शिवसेना विधायक सुहास कांदे के वोट को रिजेक्ट कर दिया गया। अनिल देशमुख व नवाब मलिक को कोर्ट ने वोट देने की परमिशन नहीं दी।
संजय राउत ने कहा कि हमारे दूसरे उम्मीदवार संजय पवार को पहली वरीयता के सबसे ज्यादा 33 वोट मिले हैं, लेकिन राज्यसभा चुनाव प्रक्रिया पेचीदा है। दूसरी वरीयता के वोट के आधार पर भाजपा उम्मीदवार को बढ़त मिल गई। हमारा एक वोट अमान्य भी घोषित किया गया। उन्होंने कहा कि हमने दो वोटों पर आपत्ति जताई थी लेकिन उस पर कोई ऐक्शन नहीं हुआ।
बाद में देवेंद्र फडणवीस ने तंज कसते हुए कहा, ‘यह कहा जाएगा कि 1 वोट चुनाव आयोग ने कैंसिल किया। अगर वह वोट इन्हें (सत्तारूढ़ अघाड़ी) मिलता, तब भी हम जीतते, नवाब मलिक आते तब भी हम जीतते।’ सत्तारूढ़ गठबंधन ने मतगणना में 8 घंटे की देरी पर भी सवाल खड़े किए। कुल 285 वोट पड़े थे जिसमें से वैध वोट 284 रहे, जिसमें भाजपा के पीयूष गोयल को 48, अनिल बोंडे को 48, महाडिक को 41.56 वोट मिले। शिवसेना के संजय राउत को 41, कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी को 44 और एनसीपी के प्रफुल पटेल को 43 वोट मिले थे।
असली मुकाबला छठवीं सीट के लिए था। शिवसेना उम्मीदवार संजय पंवार के सामने भाजपा ने पूर्व सांसद धनंजय महाडिक को उतारा था जबकि उनके लिए जीतना आसान नहीं था। महाडिक और पवार दोनों पश्चिमी महाराष्ट्र के कोल्हापुर से ताल्लुक रखते हैं। प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी, नतीजों से गदगद देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट कर अपनी खुशी का इजहार किया। उन्होंने लिखा, ‘चुनाव केवल फाइट के लिए, जीत के लिए लड़े जाते हैं। जय महाराष्ट्र।’ आम सहमति का उम्मीदवार न उतरने के चलते राज्य में 24 साल बाद राज्यसभा चुनाव हुआ।
3 बजे रात आया रिजल्ट और…
भाजपा और सत्तारूढ़ गठबंधन दोनों की तरफ से क्रॉस वोटिंग और नियमों के उल्लंघन के आरोपों के बीच 8 घंटे की देरी मतगणना शुरू हुई। दोनों पक्षों की ओर से वोट को अयोग्य ठहराने की मांग की जाने लगी। आखिरकार आयोग ने राज्यसभा चुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर को शिवसेना विधायक सुहास कांदे के वोट को रिजेक्ट करने का निर्देश दिया। इसके बाद आधी रात को 1 बजे के बाद मतगणना शुरू हो सकी। दो घंटे में रात 3 बजे रिजल्ट आया। झटका लगने के बाद कांग्रेस नेताओं ने स्वीकार किया कि सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी में समन्वय में कमियां थी। महाराष्ट्र के रेवेन्यू मिनिस्टर बालासाहेब थोराट ने कहा कि यह अध्ययन का विषय है कि कहां और क्या गलती हुई। उन्होंने कहा कि मतगणना को रोककर एक वोट अमान्य करने की चालाकी की। जबकि हमें पूरा भरोसा था कि चारों उम्मीदवार आसानी से जीत जाएंगे।
बीजेपी ने जितेंद्र आह्वाड, यशोमती ठाकुर, और सुहास कांदे की वोट पर सवाल उठाए और चुनाव आयोग में शिकायत की। महाविकास आघाडी ने भी भाजपा के सुधीर मुनगंटीवार और समर्थक विधायक रवि राणा के वोट पर आपत्ति जताई। कहा गया कि उन्होंने अपना वोट दूसरे लोगों को दिखाया। शाम 4 बजे से आधी रात तक आयोग में सुनवाई होती रही। बाद में आयोग ने शिवसेना विधायक सुहास कांदे के वोट को रद्द कर दिया। नतीजे रात करीब 3 बजे आए।
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