उदित नारायण ने छोड़ा, लेकिन पहली पत्नी नहीं छोड़ना चाहतीं: हिंदू मैरिज एक्ट में एक ही शादी मान्य, बिना तलाक शादी पर 7 साल की सजा – Bihar News

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उदित नारायण ने छोड़ा, लेकिन पहली पत्नी नहीं छोड़ना चाहतीं:  हिंदू मैरिज एक्ट में एक ही शादी मान्य, बिना तलाक शादी पर 7 साल की सजा – Bihar News

उदित नारायण ने छोड़ा, लेकिन पहली पत्नी नहीं छोड़ना चाहतीं: हिंदू मैरिज एक्ट में एक ही शादी मान्य, बिना तलाक शादी पर 7 साल की सजा – Bihar News

बॉलीवुड के फेमस प्लेबैक सिंगर उदित नारायण की दो शादी का मामला बिहार की फैमिली कोर्ट है। सिंगर ने समझौता नहीं करने की बात कही है। वहीं, उनकी पहली पत्नी का कहना है कि वो उदित के साथ ही रहना चाहती हैं।

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दावा किया जाता है कि उदित नारायण ने कथित तौर पर दो शादियां की हैं। पहली शादी 1984 में रंजना झा और दूसरी दीपा नारायण (गहतराज) से की है। दीपा से उन्हें एक बेटा आदित्य नारायण है, जो सिंगर और एक्टर है।

रंजना झा ने 2022 में उदित पर के खिलाफ मेंटेनेंस, पत्नी का दर्जा देने और संपत्ति व पैसे की मांग को लेकर कोर्ट में केस दर्ज कराया था। इस मामले की सुनवाई सुपौल फैमिली कोर्ट में चल रही है।

शुक्रवार को इसी मामले में पहली बार कोर्ट में पेश होने उदित नारायण आए थे। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सामने रखकर काउंसलिंग की और उनकी दलीलें सुनीं, लेकिन उदित ने किसी भी समझौते से इनकार कर दिया। अभी मामला कोर्ट में लंबित है।

रंजना ने केस फाइल कर आरोप लगाया है कि जब मुंबई उदित नारायण से मिलने जाती हूं तो मेरे पीछे गुंडे लगा दिए जाते हैं।

हजारों बार समझौते की पहल की, नहीं माने तो कोर्ट गए

कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद दैनिक NEWS4SOCIALरिपोर्टर ने रंजना झा से बात की। उन्होंने कहा, ‘उदित जी मेरे पति है, लेकिन साथ नहीं रखते हैं। इसको लेकर हजारों बार बात हुई। कभी इनकार नहीं किया। सिर्फ आश्वासन देते थे। आजकल हम बीमार रहने लगे हैं। इस स्थिति में हमको भी तो कोई देखरेख करने वाला चाहिए। फिर हम कोर्ट गए। 16-17 बार सुनवाई हुई है। आज कोर्ट में भी उनका बर्ताव ठीक नहीं था।’

शादी के 38 साल बाद कोर्ट क्यों गईं? सवाल पर रंजना ने कहा, ‘अब ना समाज बदला है। हर कास्ट की सोच बदली है। उस समय मैथिल ब्राह्मण में ऐसा नहीं था। जब हम अपने पिताजी के पास जाते थे, तो वो कहते थे लोग क्या कहेंगे? इसी बात ने मेरा जीवन खत्म कर दिया। इसीलिए हम आगे नहीं बढ़ पाए। उदित जी को परिवार मनाते रहे, लेकिन वो नहीं माने। इस वजह से इतना समय लग गया।

सिर्फ लोक-लाज में कोर्ट नहीं जा रहे थे और उदित जी को मना रहे थे। थक हार कर कोर्ट गए।’

दूसरी पत्नी दीपा के साथ उदित नारायण झा। (फाइल फोटो)

पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी नहीं कर सकते

उदित नारायण और रंजना हिंदू समुदाय से आते हैं। हिंदू समाज के लोगों की शादी के लिए देश में 1955 में हिंदू मैरिज एक्ट बना था। पहली पत्नी के साथ रहते और बिना तलाक लिए दूसरी शादी करने का प्रावधान है क्या? हिंदू समाज के लोगों की शादी के लिए क्या है कानूनी प्रावधान? इस खबर में हर सवाल का जवाब जानेंगे…

सवाल: हिंदू मैरिज एक्ट क्या है?

जवाब: देश में हिंदू मैरिज एक्ट 1955 में लागू हुआ था। ये एक्ट हिंदुओं के अलावा बौद्ध और जैन धर्म पर भी लागू है।

नोट: ये देश में रहने वाले उन सभी लोगों पर भी लागू है जो मुस्लिम, ईसाई, पारसी या यहूदी नहीं हैं।

सवाल: हिंदू मैरिज एक्ट में दूसरी शादी को लेकर क्या प्रावधान है?

जवाब: हिंदू मैरिज एक्ट में दूसरी शादी करना मना है। इसे अमान्य बताया गया है। दूसरी पत्नी को कोई अधिकार नहीं है।

सिर्फ 3 शर्तों पर दूसरी शादी मान्य होती है

  1. पति या पत्नी का तलाक हो गया है।
  2. पति या पत्नी में से किसी की डेथ हो गई हो।
  3. पहली शादी से अलग होने का लिखित प्रूफ हो।

सवाल: क्या हिंदू धर्म में लड़का या लड़की दो शादियां नहीं कर सकते?

जवाब: बिल्कुल नहीं। हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत बिना तलाक लिए दूसरी शादी नहीं की जा सकती है। भारतीय न्याय संहिता यानी BNS की धारा- 82 के तहत एक पत्नी के रहते दूसरी शादी करने पर क्रिमिनल ऑफेंस का केस बनता है। अगर कोर्ट में साबित हुआ तो 7 साल तक की जेल हो सकती है।

सवाल: अगर पहली पत्नी जिंदा है और उसे तलाक दिए बगैर पति दूसरी शादी कर लेता है, तो उस शादी को क्या कहते हैं?

जवाब: इसे द्विविवाह प्रथा यानी बाइगैमी कहते हैं।

सवाल: बाइगैमी यानी द्विविवाह प्रथा पर भारत में क्या कानून है?

जवाब: हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के मुताबिक, दूसरी शादी लीगल नहीं मानी जाएगी।

अगर पति या पत्नी के जिंदा रहते हुए पति-पत्नी में से कोई भी दूसरी शादी कर लेता है तो इस शादी को कानून के अंदर कोई मान्यता नहीं मिलेगी।

इसका मतलब शादी नल एंड वॉयड यानी शून्य हो जाएगी।

सवाल: शादी शून्य होने का क्या मतलब होता है?

जवाब: शादी शून्य होने का मतलब शादी के रिश्ते का पति-पत्नी के लिए कोई मतलब नहीं रह जाता है। इसमें गुजारा भत्ता से कोई लेना-देना नहीं होता है।

सवाल: शून्य शादी तलाक से कैसे अलग होती है?

जवाब: तलाक होने के बाद पति और पत्नी दोनों की कंडीशन के हिसाब से गुजारा भत्ता, बच्चों की कस्टडी और दोनों के जीवन से जुड़े दूसरे फैसले होते हैं। जबकि, शादी शून्य होने पर कोई मतलब नहीं रहता है।

सवाल: शादी किन सिचुएशन में शून्य हो सकती है?

जवाब: हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के सेक्शन 11 और 12 में चार सिचुएशन बताई गई हैं। इनके होने पर शादी को शून्य डिक्लेयर किया जा सकता है। नीचे लगे क्रिएटिव से समझते हैं…

सवाल: अगर पति-पत्नी अलग रह रहे हैं तो क्या वो बिना तलाक लिए दूसरी शादी कर सकते हैं?

जवाब: नहीं, अलग रहने के बाद भी बिना तलाक के दूसरी शादी नहीं की जा सकती है। अगर कोई शादीशुदा व्यक्ति अपने पति या पत्नी के जिंदा रहते बिना तलाक के दूसरी शादी करता है तो ऐसी शादी को शून्य माना जाता है। उसे भारतीय न्याय संहिता के तहत 7 साल की जेल और जुर्माना देना पड़ सकता है।

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बॉलीवुड के फेमस प्लेबैक सिंगर उदित नारायण झा आज यानी शुक्रवार को सुपौल के फैमिली कोर्ट में पहली बार पेश हुए। दरअसल, उनकी पहली पत्नी रंजना नारायण झा ने उनके खिलाफ 2022 में केस किया है। उन्होंने दांपत्य जीवन फिर से बहाल करने के लिए मुकदमा दर्ज कराया था। पूरी खबर पढ़ें

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