उदयपुर में बंदूक-तलवारें लहराते हुए नाचे लोग: अंगारों पर चले, जेल भी हुई; अजमेर में 2 गुटों ने एक-दूसरे पर बरसाए कोड़े – Dausa News

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उदयपुर में बंदूक-तलवारें लहराते हुए नाचे लोग:  अंगारों पर चले, जेल भी हुई; अजमेर में 2 गुटों ने एक-दूसरे पर बरसाए कोड़े – Dausa News

उदयपुर में बंदूक-तलवारें लहराते हुए नाचे लोग: अंगारों पर चले, जेल भी हुई; अजमेर में 2 गुटों ने एक-दूसरे पर बरसाए कोड़े – Dausa News

राजस्थान में होली कुछ खास अंदाज में मनाई गई। जहां एक तरफ रंगों की बौछार हुई, वहीं कुछ जगहों पर सदियों पुरानी परंपराएं भी निभाई गईं। कहीं जलते अंगारों पर चलने का रोमांच था तो कहीं कोड़े बरसाने का जोश।

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उदयपुर के खेरवाड़ा में हजारों आदिवासी बंदूक और तलवारों के साथ होलिका दहन स्थल पर इकट्‌ठा हुए। यहां की परंपरा के मुताबिक होलिका का डंडा तलवार से काटना होता है। इसके लिए लोग जलते अंगारों पर चढ़ गए। मजेदार बात यह रही कि जो इस काम में विफल रहे, उन्हें देवी के मंदिर में बनी जेल में बंद कर दिया गया।

वहीं अजमेर के भिनाय में ‘कोड़ामार होली’ ने सबका ध्यान खींचा। यहां गांव के दो गुट आमने-सामने हुए और पानी में भीगे मोटे रस्से के एक-दूसरे पर कोड़े बरसाए। दौसा के पावटा गांव में शहीद की याद में डोलची होली का आयोजन हुआ।

उदयपुर के खेरवाड़ा में हजारों लोग बंदूक तलवार लेकर जुटे।

आदिवासियों ने शनिवार को होलिका दहन आदिवासियों खेरवाड़ा के गांव बलीचा में शनिवार को होलिका दहन किया। यहां केवल उदयपुर ही नहीं बल्कि गुजरात के सीमावर्ती इलाकों से भी युवा, महिलाएं, युवतियां और बुजुर्ग पहुंचे थे। लोकदेवी के मंदिर के करीब ये आयोजन हुआ। इसमें युवाओं के हाथों में तलवारें और बंदूकें थी।

यहां होलिका (डांडा) के एक हिस्से को तलवार से काटने की परंपरा है। युवाओं की टोली आगे आकर होली के डांडे को तलवार से काटती है। वहीं जो युवक इस प्रयास में विफल हो जाते हैं। उन्हें मंदिर में सलाखों के पीछे कुछ समय के लिए बंद किया जाता है। भविष्य में गलती नहीं करने की जमानत पर उन्हें रिहाई मिलती है। इसके साथ-साथ गेर नृत्य भी चलता रहता है।

डोलची होली में चमड़े की डोलची में पानी भरकर एक-दूसरे की पीठ पर फेंकते हैं।

दौसा में शहीद की याद में लगता है मेला, डोलची होली खेली दौसा के पावटा गांव में शनिवार को डोलची होली खेली गई। डोलची होली देखने पहुंचे गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम भी पहुंचे। इस दौरान गांव के युवाओं ने मैदान में उतरकर चमड़े की डोलची में पानी भरकर एक-दूसरे की पीठ पर फेंका।

मैदान के आसपास के घरों की छतों पर लोगों का जमावड़ा रहा। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि पानी की फटकार इतनी तेज होती है कि पीठ लहूलुहान तक हो जाती है। फिर भी जोश कम नहीं होता। पीठ पर पानी पड़ने की तेज आवाज मैदान में गूंजती है।

अजमेर में कोड़ामार होली का दूसरा दिन अजमेर के भिनाय में कोड़ामार होली का आज (शनिवार) दूसरा दिन था। कोवड़ा बाजार में भैरुजी की स्थापना के साथ शुक्रवार शाम कोड़ा मार होली शुरू हुई थी। यह रविवार तक खेली जाएगी।

भिनाय में युवाओं ने दो हिस्सों में बांटकर राजा और रानी की टीम बनाई। ढोल की थाप के साथ एक दूसरे पर लकड़ी जैसे सख्त रस्सियों के कोड़े से हमला किया। टीमों ने एक-दूसरे को पीछे धकेलने के लिए कोड़े फटकारे।

अजमेर के भिनाय में कोवड़ा बाजार में कोड़ामार होली खेलते खिलाड़ी।

कोड़ामार होली खेलने वाले मेंबर सिर पर साफा बांधते हैं। यह खिलाड़ी होने की पहचान है। इस खेल में अगर किसी को चोट भी लग जाती है तो कोई नाराजगी जाहिर नहीं की जाती है। कोड़ा खाने और मारने वाले एक साथ फोटो खिंचाते हैं।

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