उदयपुर की रॉयल राजविलास बिल्डिंग पर यथास्थिति के आदेश: सिंडीकेट बैंक घोटाले में आरोपी सीए भरत बम्ब से जुड़ी है प्रॉपर्टी, ईडी ने की थी अटैच – Jaipur News h3>
हाई कोर्ट ने इसी बिल्डिंग पर यथास्थिति के आदेश दिए हैं।
सिंडिकेट बैंक घोटाले में शामिल उदयपुर के सीए भरत बम्ब की प्रॉपर्टी रॉयल राजविलास पर हाई कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने ईडी की अपील पर सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्
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मामले में हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 18 सितंबर, 2024 को केन्द्र सरकार की याचिका खारिज करते हुए आरोपी भरत बम्ब की अटैच प्रॉपर्टी से स्टे को हटा दिया था। इस आदेश को ईडी ने खंडपीठ में चुनौती दी थी।
ईडी की ओर से पैरवी करने वाले एएसजी आरडी रस्तोगी ने बताया कि उदयपुर निवासी सी.ए. भरत बम्ब के विरूद्ध सिडिंकेट बैंक के बड़े अधिकारियों से साठ गांठ कर बैंक को लगभग 1000 करोड़ रुपये से भी अधिक राशि का गबन करने का आरोप है। ईडी ने गबन की राशि से बनाई गई उदयपुर के बहुमंजिला भवन रॉयल राजविलास भी अटैच कर लिया और 2019 में वह अटैचमेन्ट भी अन्तिम रूप से लागू हो गया था।
हाई कोर्ट की जयपुर बैंच ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
तथ्यों को छिपाते हुए लिया था स्टे एएसजी आरडी रस्तोगी ने बताया कि भरत बम्ब की कंपनी उदयपुर एन्टरटेन्मेन्ट वर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड ने ईडी की कार्रवाई को मनी लॉन्ड्रिंग ट्रिब्यूनल, दिल्ली में चुनौती दी। यहां से कंपनी को यथास्थिति के आदेश भी मिल गए। वहीं इसके बाद रॉयल राजविलास फ्लैट ऑनर्स नामक संस्था ने ईडी की कार्रवाई के खिलाफ जोधपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। ईडी ने इसका पुरजोर विरोध किया। जिसके बाद यह याचिका वापस ले ली गई।
इसके बाद समस्त तथ्यों को छिपाते हुए नेशनल कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल, मुम्बई के समक्ष एक याचिका प्रस्तुत की गई। जिसमें प्रार्थना की गई कि उदयपुर एन्टरटेन्मेन्ट वर्ल्ड प्रा०लि० कम्पनी को दिवालिया घोषित कर दिया जाए और जानबूझकर तथ्यों को छिपाते हुए प्रवर्तन निदेशालय को उस याचिका में पक्षकार नहीं बनाया गया। प्रवर्तन निदेशालय की अनुपस्थिति में ही नेशनल कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल, मुम्बई ने याचिका मंजूर कर ली और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा रॉयल राजविलास भवन को अन्तिम रूप से अटैच करने की कार्यवाही को निरस्त कर दिया।
इसके खिलाफ हमने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। जिस पर हाई कोर्ट ने नेशनल कम्पनी लॉ ट्रिब्यूनल, मुम्बई के आदेश पर रोक लगा दी। लेकिन बाद में हाई कोर्ट की एकलपीठ ने रोक हटाते ईडी की याचिका को खारिज कर दिया। जिसके बाद हमने खंडपीठ में अपील की।
पहले सीबीआई फिर ईडी की एंट्री इस पूरे मामले में पहले सीबीआई ने भरत बम्ब, उनके अन्य सहयोगी और बैंक के बड़े अधिकारियों के विरूद्ध जांच की और उसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने इसे मनी लॉन्ड्रिंग का मामला मानते हुए एक अन्य केस भी दर्ज कर लिया।
ईडी का मानना था कि भरत बम्ब और उनके अन्य सहयोगियों ने इस धनराशि से विभिन्न अचल सम्पत्तियां खरीद ली। जिसमें उदयपुर में भी रॉयल राजविलास के नाम से बहुमंजिला इमारत बनाई। प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार यह भवन सिंडिकेट बैंक से गबन की गई राशि का प्रयोग करते हुए बनाया गया। निदेशालय द्वारा भरत बम्ब और उनसे संबंधित कम्पनियों, जिसमें उदयपुर एन्टरटेन्मेन्ट वर्ल्ड प्रा०लि० कम्पनी भी शामिल है। इस आपराधिक धनराशि को प्रयोग में लाकर बनाया गया बहुमंजिला भवन रॉयल राजविलास भी अटैच कर लिया गया और 2019 में ही वह अटैचमेन्ट भी अन्तिम रूप से लागू हो गया।