इमरान खान की तारीफ में पढ़े थे कसीदे, निशाने पर मोदी सरकार… शाह फैसल के यू-टर्न के पीछे की क्या है कहानी? h3>
Govt. reinstates Former IAS officer Shah Faesal: पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल (Shah Faesal) फिर से सेवा में शामिल हो गए हैं। सरकार ने फैसल का इस्तीफा वापस लेने का आवेदन स्वीकार कर लिया है। फैसल जम्मू-कश्मीर से संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के पहले टॉपर हैं। देश में बढ़ती असहिष्णुता का हवाला देकर 2019 में उन्होंने सरकारी सेवा छोड़ दी थी। इसके बाद उन्होंने जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) नाम की एक पार्टी बनाई थी। एक समय वो पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान (Imran Khan) के बड़े मुरीद बन गए थे। यहां तक इमरान खान को शांति का नोबेल पुरस्कार (Nobel Peace Prize) देने तक की पैरवी कर डाली थी। अफसरी छोड़ राजनीति से जुड़ते समय उन्होंने कहा था कि इमरान खान से प्रेरित होकर उन्होंने ऐसा किया है। इस्तीफा देते हुए उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध का बिगुल बजा दिया था। हालांकि, अब उनके सुर बदल गए हैं। वह अपने किए पर शर्मिंदा हैं। इसे लेकर उन्हें काफी पछतावा है। इस पलटी की आखिर क्या वजह है?
कश्मीरी आईएएस टॉपर शाह फैसल किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। ब्यूरोक्रेट से नेता बने फैसल का सिर्फ तीन साल राजनीति में रहने के बाद मोहभंग हो गया। 2019 में उन्होंने सरकारी सेवा छोड़कर राजनीति में कदम रखे थे। फैसल ने बुधवार को सरकारी सेवा में अपनी वापसी के संकेत दिए थे। गृह मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा में वापस ले लिया गया है। उनके दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में तैनात होने की उम्मीद है।
मुस्लिमों पर अत्याचार की बात कह दिया था इस्तीफा
फैसल ने 2019 में विरोध करते हुए बेहद कड़े लफ्जों में इस्तीफा दिया था। उन्होंने इसमें मुसलमानों को हाशिये पर रखने की बात कही थी। साथ ही असहिष्णुता बढ़ने का जिक्र किया था। उन्होंने लिखा था, ‘(मैं विरोध करने के लिए इस्तीफा दे रहा हूं) हिंदुत्ववादी ताकतों के हाथों लगभग 20 करोड़ भारतीय मुसलमानों को हाशिये पर लाया जा रहा है। उन्हें परिदृश्य से गायब कर दिया गया है। मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाया जा रहा है। अतिराष्ट्रवाद के नाम पर भारत में असहिष्णुता और नफरत की संस्कृति बढ़ती जा रही है।’ उन्होंने कश्मीर में हत्याओं को भी अपने इस्तीफे का कारण बताया था। इसके पहले एक ट्वीट में फैसल ने लिखा था – ‘Patriarchy (पितृसत्ता) + जनसंख्या + निरक्षरता + शराब + अश्लीलता (Porn)+ प्रौद्योगिकी + अराजकता = रेपिस्तान!’ कुछ लोगों ने इसे भारत के संदर्भ में लिया था। लेकिन, फैसल ने बाद में कहा कि उनका ट्वीट भारत के बारे में नहीं था।
इमरान खान के बन गए थे प्रशंसक
अफसरी छोड़ने के बाद फैसल का मिजाज ही बदल गया था। उन्होंने कहा था कि ‘आजादी’ जैसे शब्दों को गलत तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए। फैसल ने खुलकर स्वीकार किया था कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पॉलिटिक्स की स्टाइल उन्हें बहुत पसंद है। वो इमरान खान से बहुत ज्यादा प्रेरित हैं। यहां तक उन्होंने इमरान खान को शांति का नोबेल पुरस्कार देने तक की पैरवी की थी। उन्होंने लिखा था- ‘पूरे भारत-पाकिस्तान संकट के दौरान इमरान खान का आचरण अनुकरणीय रहा है। उन्होंने इस क्षेत्र में नेतृत्व का स्तर ऊंचा किया है। नोबेल शांति पुरस्कार उन्हें अपने शांति मिशन को जारी रखने और पड़ोस के अन्य देशों की मदद के लिए प्रोत्साहित करेगा।’
अब क्या कह रहे हैं फैसल?
फैसल ने बीते दिनों सिलसिलेवार तरीके से ट्वीट किए। अपने किए पर पछतावा जाहिर किया। उन्होंने लिखा, ‘मेरे जीवन के 8 महीनों (जनवरी 2019-अगस्त 2019) ने मुझ पर इतना दबाव डाला कि मैं करीब खत्म हो गया था। एक मिथ्या परिकल्पना का पीछा करते हुए मैंने लगभग वह सब कुछ खो दिया जो मैंने वर्षों में अर्जित किया था। नौकरी, दोस्त, प्रतिष्ठा, सार्वजनिक सद्भावना। लेकिन, मैंने कभी उम्मीद नहीं खोई। मेरे आदर्शवाद ने मुझे निराश किया है।’
उन्होंने लिखा, , ‘लेकिन मुझे अपने आप पर विश्वास था कि मैंने जो गलतियां कीं, उन्हें मैं सुधार दूंगा। जिंदगी मुझे एक और मौका देगी। मेरा एक हिस्सा उन 8 महीनों की यादों से थक गया है और मैं इन्हें मिटाना चाहता है। इसमें से बहुत कुछ है जो पहले ही चला गया है। समय बाकी भी भुलवा देगा।’
फैसल ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, ‘बस शेयर करने की सोची कि जिंदगी खूबसूरत है। यह हमेशा खुद को एक और मौका देने के लायक है। असफलताएं हमें मजबूत बनाती हैं। और अतीत की छाया से परे एक अद्भुत दुनिया है। मैं अगले महीने 39 साल का हो जाऊंगा। मैं फिर से शुरू करने के लिए वास्तव में उत्साहित हूं।’
कैसे अचानक बदला रास्ता?
यूपीएससी परीक्षा में 2009 में टॉप करने वाले फैसल ने जनवरी 2019 में प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया था। उसी साल मार्च में उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी ‘जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट’ बनाई। आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की योजना तैयार की। उन्हें पांच अगस्त, 2019 को गिरफ्तार किया गया था। आर्टिकल 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के मद्देनजर यह गिरफ्तारी हुई थी। अपनी रिहाई के बाद फैसल ने राजनीति छोड़ दी। साथ ही सरकारी सेवा में वापस आने के संकेत देने लगे। पहले वह सोशल मीडिया पर बीजेपी सरकार की नीतियों का समर्थन भी करते रहे हैं। वह अक्सर अपने ट्विटर हैंडल पर पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के भाषणों को साझा करते थे।
पिता को आतंकियों ने मार दिया था
फैसल उत्तरी कश्मीर के सुदूरवर्ती गांव लोलाब के रहने वाले हैं। उनके पिता को 2002 में आतंकवादियों ने मार दिया था। फैसल ने 2009 में यूपीएससी परीक्षा में टॉप किया था। उन्हें 14-15 अगस्त, 2019 की मध्यरात्रि को दिल्ली हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया गया और वापस श्रीनगर भेज दिया गया था। यहां उन्हें हिरासत में रखा गया। उन पर फरवरी 2020 में लोक सुरक्षा अधिनियम लगाया गया था। इसे चार महीने बाद रद्द कर दिया गया था। पिछले एक साल से अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह आईएएस अधिकारी के रूप में या जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के लिए या किसी सलाहकार की भूमिका में सरकारी सेवा में लौट सकते हैं।
मुस्लिमों पर अत्याचार की बात कह दिया था इस्तीफा
फैसल ने 2019 में विरोध करते हुए बेहद कड़े लफ्जों में इस्तीफा दिया था। उन्होंने इसमें मुसलमानों को हाशिये पर रखने की बात कही थी। साथ ही असहिष्णुता बढ़ने का जिक्र किया था। उन्होंने लिखा था, ‘(मैं विरोध करने के लिए इस्तीफा दे रहा हूं) हिंदुत्ववादी ताकतों के हाथों लगभग 20 करोड़ भारतीय मुसलमानों को हाशिये पर लाया जा रहा है। उन्हें परिदृश्य से गायब कर दिया गया है। मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाया जा रहा है। अतिराष्ट्रवाद के नाम पर भारत में असहिष्णुता और नफरत की संस्कृति बढ़ती जा रही है।’ उन्होंने कश्मीर में हत्याओं को भी अपने इस्तीफे का कारण बताया था। इसके पहले एक ट्वीट में फैसल ने लिखा था – ‘Patriarchy (पितृसत्ता) + जनसंख्या + निरक्षरता + शराब + अश्लीलता (Porn)+ प्रौद्योगिकी + अराजकता = रेपिस्तान!’ कुछ लोगों ने इसे भारत के संदर्भ में लिया था। लेकिन, फैसल ने बाद में कहा कि उनका ट्वीट भारत के बारे में नहीं था।
इमरान खान के बन गए थे प्रशंसक
अफसरी छोड़ने के बाद फैसल का मिजाज ही बदल गया था। उन्होंने कहा था कि ‘आजादी’ जैसे शब्दों को गलत तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए। फैसल ने खुलकर स्वीकार किया था कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पॉलिटिक्स की स्टाइल उन्हें बहुत पसंद है। वो इमरान खान से बहुत ज्यादा प्रेरित हैं। यहां तक उन्होंने इमरान खान को शांति का नोबेल पुरस्कार देने तक की पैरवी की थी। उन्होंने लिखा था- ‘पूरे भारत-पाकिस्तान संकट के दौरान इमरान खान का आचरण अनुकरणीय रहा है। उन्होंने इस क्षेत्र में नेतृत्व का स्तर ऊंचा किया है। नोबेल शांति पुरस्कार उन्हें अपने शांति मिशन को जारी रखने और पड़ोस के अन्य देशों की मदद के लिए प्रोत्साहित करेगा।’
अब क्या कह रहे हैं फैसल?
फैसल ने बीते दिनों सिलसिलेवार तरीके से ट्वीट किए। अपने किए पर पछतावा जाहिर किया। उन्होंने लिखा, ‘मेरे जीवन के 8 महीनों (जनवरी 2019-अगस्त 2019) ने मुझ पर इतना दबाव डाला कि मैं करीब खत्म हो गया था। एक मिथ्या परिकल्पना का पीछा करते हुए मैंने लगभग वह सब कुछ खो दिया जो मैंने वर्षों में अर्जित किया था। नौकरी, दोस्त, प्रतिष्ठा, सार्वजनिक सद्भावना। लेकिन, मैंने कभी उम्मीद नहीं खोई। मेरे आदर्शवाद ने मुझे निराश किया है।’
उन्होंने लिखा, , ‘लेकिन मुझे अपने आप पर विश्वास था कि मैंने जो गलतियां कीं, उन्हें मैं सुधार दूंगा। जिंदगी मुझे एक और मौका देगी। मेरा एक हिस्सा उन 8 महीनों की यादों से थक गया है और मैं इन्हें मिटाना चाहता है। इसमें से बहुत कुछ है जो पहले ही चला गया है। समय बाकी भी भुलवा देगा।’
फैसल ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, ‘बस शेयर करने की सोची कि जिंदगी खूबसूरत है। यह हमेशा खुद को एक और मौका देने के लायक है। असफलताएं हमें मजबूत बनाती हैं। और अतीत की छाया से परे एक अद्भुत दुनिया है। मैं अगले महीने 39 साल का हो जाऊंगा। मैं फिर से शुरू करने के लिए वास्तव में उत्साहित हूं।’
कैसे अचानक बदला रास्ता?
यूपीएससी परीक्षा में 2009 में टॉप करने वाले फैसल ने जनवरी 2019 में प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया था। उसी साल मार्च में उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी ‘जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट’ बनाई। आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की योजना तैयार की। उन्हें पांच अगस्त, 2019 को गिरफ्तार किया गया था। आर्टिकल 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के मद्देनजर यह गिरफ्तारी हुई थी। अपनी रिहाई के बाद फैसल ने राजनीति छोड़ दी। साथ ही सरकारी सेवा में वापस आने के संकेत देने लगे। पहले वह सोशल मीडिया पर बीजेपी सरकार की नीतियों का समर्थन भी करते रहे हैं। वह अक्सर अपने ट्विटर हैंडल पर पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के भाषणों को साझा करते थे।
पिता को आतंकियों ने मार दिया था
फैसल उत्तरी कश्मीर के सुदूरवर्ती गांव लोलाब के रहने वाले हैं। उनके पिता को 2002 में आतंकवादियों ने मार दिया था। फैसल ने 2009 में यूपीएससी परीक्षा में टॉप किया था। उन्हें 14-15 अगस्त, 2019 की मध्यरात्रि को दिल्ली हवाई अड्डे पर हिरासत में लिया गया और वापस श्रीनगर भेज दिया गया था। यहां उन्हें हिरासत में रखा गया। उन पर फरवरी 2020 में लोक सुरक्षा अधिनियम लगाया गया था। इसे चार महीने बाद रद्द कर दिया गया था। पिछले एक साल से अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह आईएएस अधिकारी के रूप में या जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के लिए या किसी सलाहकार की भूमिका में सरकारी सेवा में लौट सकते हैं।