इंसानों में बर्ड फ्लू के H3N8 स्ट्रेन का पहला केस चीन से, एक्सपर्ट्स से समझिए इससे कितना खतरा है h3>
नई दिल्ली: बर्ड फ्लू या एवियन इन्फ्लुएंजा के H3N8 स्ट्रेन से पहली बार इंसान संक्रमित हुआ है। चीन में चार साल का एक बच्चा इस स्ट्रेन से संक्रमित पाया गया है। उसे इसी महीने बुखार व अन्य लक्षणों के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। चीन के नैशनल हेल्थ कमिशन (NHC) की ओर से जारी बयान के अनुसार, बच्चे का परिवार घर पर मुर्गियां पालता था। पूरा परिवार ऐसे इलाके में रहता था जहां जंगली बत्तखों की भरमार है। बयान में कहा गया कि बच्चे को सीधे पक्षियों से संक्रमण मिला और स्ट्रेन में ‘इंसानों को प्रभावी रूप से संक्रमित करने की क्षमता नहीं मिली।’ बच्चे के करीबी लोगों में भी किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं पाई गई। NHC के अनुसार, यह ‘क्रॉस-स्पीशीज ट्रांसमिशन’ का दुर्लभ केस है और बड़े पैमाने पर प्रसार का खतरा कम है। हालांकि, पब्लिक को मृत या बीमार पक्षियों से दूर रहने को कहा गया है। अगर बुखार या सांस से जुड़ी कोई दिक्कत महसूस हो तो फौरन मेडिकल सहायता लेने की सलाह दी गई है। आइए इस वायरस के बारे में और विस्तार से जानते हैं।
बर्ड फ्लू या एवियन इन्फ्लुएंजा क्या है?
सभी एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस इंसानों को संक्रमित नहीं करते हैं। लेकिन, इनमें से कुछ इंसानों में गंभीर बीमारी पैदा कर सकते हैं। एवियन इन्फ्लुएंजा H5N8 वायरस, जिसे आमतौर पर बर्ड फ्लू के नाम से जाना जाता है, उनमें से एक है। यह हमारे फेफड़ों, नाक और गले पर अटैक करता है। यह सांस से जुड़ी एक संक्रामक बीमारी है और इसके लक्षण सामान्य जुकाम की तरह होते हैं।
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) के अनुसार, ऐसे वायरस आमतौर पर लोगों को संक्रमित नहीं करते। हालांकि इंसानों में संक्रमण के दुर्लभ मामले पहले भी सामने आए हैं। ज्यादातर संक्रमण H7N9 और H5N1 स्ट्रेन से होते हैं।
‘इंसानों में बर्ड फ्लू के मामले दुर्लभ’
इंसान से इंसान में नहीं फैलता बर्ड फ्लू
अपोलो अस्पताल में कंसल्टेट, इंफेक्शन डिसीज, डॉक्टर जतिन आहूजा कहते हैं, ‘एवियन इन्फ्लुएंजा H5N1 वायरस यानी बर्ड फ्लू आमतौर पर पक्षियों में होने वाला रोग है। लेकिन कभी-कभी यह इंसानों में भी आ सकता है। उस स्थिति में टिपिकल फ्लू वाले लक्षण ही होते हैं।’ पारस हॉस्पिटल के कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, डॉक्टर राजेश कुमार कहते हैं, ‘यह पक्षियों से इंसानों में तब आता है जब इंसान और वायरस से बीमार पक्षी के बीच लंबे समय तक करीबी संपर्क हो। ऐसे में जो पॉल्ट्री फॉर्म वाले हैं, विक्रेता हैं और या फिर उनके साथ रहने वाले हैं, उनको बर्ड फ्लू होने के चांस रहते हैं। इसके अलावा अगर पक्षी का बिना पका या अधपका मीट खाते हैं तो भी इसके होने की संभावनाएं रहती हैं।’ वह आगे बताते हैं, ‘यह इंसानों से इंसानों में भी आसानी से नहीं फैलता।’
बर्ड फ्लू आने का रास्ता सांस के जरिए होता है ना कि पेट के जरिए। तो अगर आप पूरी तरह पका हुआ चिकन खाएंगे तो बर्ड फ्लू होने के चांस नहीं होते हैं।
डॉ. जतिन आहूजा, अपोलो हॉस्पिटल
भारत में बर्ड फ्लू…
देश में इसी साल फरवरी में महाराष्ट्र से बर्ड फ्लू (H5N1) के मामले सामने आए थे। इसके अलावा बिहार के सुपौल में भी पॉल्ट्री रिसर्च फॉर्म में इसके केस मिले थे। पिछले साल दिल्ली में H5N1 से संक्रमित 11 साल के एक बच्चे की मौत हो गई थी। जनवरी 2021 में कई राज्यों के हजारों पक्षियों में बर्ड फ्लू कन्फर्म हुआ था। प्रोटोकॉल कहता है कि केस मिलने पर प्रभावित इलाकों के एक किलोमीटर की रेडियस में सभी पॉल्ट्री पक्षियों और अडों को नष्ट कर दिया जाता है।

क्या हैं इसके लक्षण?
शुरुआत में: गले में खराश, छीकें आना, बहती नाक।
बाद में: बुखार, मांसपेशियों में दर्द, शरीर में कंपकंपी, पसीने आना, सिरदर्द, सूखी खांसी, नाक का कंजेशन, थकान।
हाई रिस्क ग्रुप: 2 साल से कम उम्र के बच्चे और 65 साल से ज्यादा की उम्र के बुजुर्ग, जो लोग पहले से किसी बीमारी से पीड़ित हैं तथा गर्भवती महिलाएं या वे महिलाएं जिन्होंने हाल ही में बच्चे को जन्म दिया है।
संक्रमण फैलने पर मारने पड़ते हैं पक्षी
इंसानों में बर्ड फ्लू का पता कैसे चलता है?
केवल लक्षणों के आधार पर इंसानों में बर्ड फ्लू वायरस के संक्रमण का पता नहीं लगाया जा सकता। इसके लिए लैबोरेटरी टेस्टिंग की जरूरत पड़ती है। आमतौर पर नाक या गले से स्वाब सैंपल लिया जाता है। टेस्टिंग तब ज्यादा सटीक साबित होती है जब बीमारी के शुरुआती दिनों में सैंपल लिया जाए। गंभीर रूप से बीमार मरीजों में लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट की टेस्टिंग से इन्फेक्शन का पता चलता है।
कैसे रहें बर्ड फ्लू से सुरक्षित
- संक्रमित पक्षियों, पॉल्ट्री के सीधे संपर्क में आने से बचें
- बिना पके या अधपके चिकन और अंडे खाने से परहेज करें
- तेज आंच और हाई टेंपरेचर पर पॉल्ट्री आइटम्स पकाकर खाएं तो वायरस मर जाते हैं
- अगर आप पक्षियों के सीधे संपर्क में रहते हैं तो बचाव के तौर पर इन्फ्लुएंजा एंटीवायरल ड्रग्स लिए जा सकते हैं
बर्ड फ्लू से इंसान इस तरह हो सकते हैं संक्रमित
बर्ड फ्लू के इंसान से इंसान में संक्रमण के मामले अमूमन नहीं होते। जो लोग संक्रमित पक्षियों के निकट संपर्क में रहते हैं (चाहे वे जीवित हों या मृत) या बिना पके या अधपके पॉल्ट्री उत्पादों का सेवन करते हैं उनमें बर्ड फ्लू का संक्रमण होने का खतरा रहता है।
डायरेक्ट कॉन्टैक्ट (सबसे कॉमन)
- इंसान संक्रमित पक्षियों को छूने और उसके बाद अपनी आंखों, नाक या मुंह को छूने के बाद बर्ड फ्लू से संक्रमित हो सकता है
संक्रमित सतह से
- स्वस्थ दिखने वाले पक्षी भी अपने ड्रॉपिंग्स के जरिए सतह पर संक्रमण का प्रसार कर सकते हैं
- संक्रमित पक्षियों के लार, बलगम और बीट (मल) में वायरस हो सकते हैं
हवा में बर्ड फ्लू का वायरस
हवा में भी ड्रॉपलेट्स या धूलकण के रूप में इन वायरस की मौजूदगी हो सकती है जोकि संक्रमित पक्षियों के अपने पंखों को फड़फड़ाने या हिलाने से संभव है। इंसान उस जगह सांस ले तो वायरस के शरीर में आने का खतरा है।
- पंखों का फड़फड़ाना
- स्क्रैचिंग (जमीन पर पंजे रगड़ना)
- सिर को झटके देना
- पक्षियों से पक्षियों में संक्रमण
पक्षियों की कुछ प्रजातियों, जैसे कि बत्तख और गूज को इन्फ्लुएंजा टाइप-ए वायरस का कुदरती वाहक माना जाता है। ये पक्षी भी अपने ड्रॉपिंग्स के जरिए यह बीमारी फैला सकते हैं।
बर्ड फ्लू या एवियन इन्फ्लुएंजा क्या है?
सभी एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस इंसानों को संक्रमित नहीं करते हैं। लेकिन, इनमें से कुछ इंसानों में गंभीर बीमारी पैदा कर सकते हैं। एवियन इन्फ्लुएंजा H5N8 वायरस, जिसे आमतौर पर बर्ड फ्लू के नाम से जाना जाता है, उनमें से एक है। यह हमारे फेफड़ों, नाक और गले पर अटैक करता है। यह सांस से जुड़ी एक संक्रामक बीमारी है और इसके लक्षण सामान्य जुकाम की तरह होते हैं।
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) के अनुसार, ऐसे वायरस आमतौर पर लोगों को संक्रमित नहीं करते। हालांकि इंसानों में संक्रमण के दुर्लभ मामले पहले भी सामने आए हैं। ज्यादातर संक्रमण H7N9 और H5N1 स्ट्रेन से होते हैं।
‘इंसानों में बर्ड फ्लू के मामले दुर्लभ’
इंसान से इंसान में नहीं फैलता बर्ड फ्लू
अपोलो अस्पताल में कंसल्टेट, इंफेक्शन डिसीज, डॉक्टर जतिन आहूजा कहते हैं, ‘एवियन इन्फ्लुएंजा H5N1 वायरस यानी बर्ड फ्लू आमतौर पर पक्षियों में होने वाला रोग है। लेकिन कभी-कभी यह इंसानों में भी आ सकता है। उस स्थिति में टिपिकल फ्लू वाले लक्षण ही होते हैं।’ पारस हॉस्पिटल के कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, डॉक्टर राजेश कुमार कहते हैं, ‘यह पक्षियों से इंसानों में तब आता है जब इंसान और वायरस से बीमार पक्षी के बीच लंबे समय तक करीबी संपर्क हो। ऐसे में जो पॉल्ट्री फॉर्म वाले हैं, विक्रेता हैं और या फिर उनके साथ रहने वाले हैं, उनको बर्ड फ्लू होने के चांस रहते हैं। इसके अलावा अगर पक्षी का बिना पका या अधपका मीट खाते हैं तो भी इसके होने की संभावनाएं रहती हैं।’ वह आगे बताते हैं, ‘यह इंसानों से इंसानों में भी आसानी से नहीं फैलता।’
बर्ड फ्लू आने का रास्ता सांस के जरिए होता है ना कि पेट के जरिए। तो अगर आप पूरी तरह पका हुआ चिकन खाएंगे तो बर्ड फ्लू होने के चांस नहीं होते हैं।
डॉ. जतिन आहूजा, अपोलो हॉस्पिटल
भारत में बर्ड फ्लू…
देश में इसी साल फरवरी में महाराष्ट्र से बर्ड फ्लू (H5N1) के मामले सामने आए थे। इसके अलावा बिहार के सुपौल में भी पॉल्ट्री रिसर्च फॉर्म में इसके केस मिले थे। पिछले साल दिल्ली में H5N1 से संक्रमित 11 साल के एक बच्चे की मौत हो गई थी। जनवरी 2021 में कई राज्यों के हजारों पक्षियों में बर्ड फ्लू कन्फर्म हुआ था। प्रोटोकॉल कहता है कि केस मिलने पर प्रभावित इलाकों के एक किलोमीटर की रेडियस में सभी पॉल्ट्री पक्षियों और अडों को नष्ट कर दिया जाता है।
क्या हैं इसके लक्षण?
शुरुआत में: गले में खराश, छीकें आना, बहती नाक।
बाद में: बुखार, मांसपेशियों में दर्द, शरीर में कंपकंपी, पसीने आना, सिरदर्द, सूखी खांसी, नाक का कंजेशन, थकान।
हाई रिस्क ग्रुप: 2 साल से कम उम्र के बच्चे और 65 साल से ज्यादा की उम्र के बुजुर्ग, जो लोग पहले से किसी बीमारी से पीड़ित हैं तथा गर्भवती महिलाएं या वे महिलाएं जिन्होंने हाल ही में बच्चे को जन्म दिया है।
संक्रमण फैलने पर मारने पड़ते हैं पक्षी
इंसानों में बर्ड फ्लू का पता कैसे चलता है?
केवल लक्षणों के आधार पर इंसानों में बर्ड फ्लू वायरस के संक्रमण का पता नहीं लगाया जा सकता। इसके लिए लैबोरेटरी टेस्टिंग की जरूरत पड़ती है। आमतौर पर नाक या गले से स्वाब सैंपल लिया जाता है। टेस्टिंग तब ज्यादा सटीक साबित होती है जब बीमारी के शुरुआती दिनों में सैंपल लिया जाए। गंभीर रूप से बीमार मरीजों में लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट की टेस्टिंग से इन्फेक्शन का पता चलता है।
कैसे रहें बर्ड फ्लू से सुरक्षित
- संक्रमित पक्षियों, पॉल्ट्री के सीधे संपर्क में आने से बचें
- बिना पके या अधपके चिकन और अंडे खाने से परहेज करें
- तेज आंच और हाई टेंपरेचर पर पॉल्ट्री आइटम्स पकाकर खाएं तो वायरस मर जाते हैं
- अगर आप पक्षियों के सीधे संपर्क में रहते हैं तो बचाव के तौर पर इन्फ्लुएंजा एंटीवायरल ड्रग्स लिए जा सकते हैं
बर्ड फ्लू से इंसान इस तरह हो सकते हैं संक्रमित
बर्ड फ्लू के इंसान से इंसान में संक्रमण के मामले अमूमन नहीं होते। जो लोग संक्रमित पक्षियों के निकट संपर्क में रहते हैं (चाहे वे जीवित हों या मृत) या बिना पके या अधपके पॉल्ट्री उत्पादों का सेवन करते हैं उनमें बर्ड फ्लू का संक्रमण होने का खतरा रहता है।
डायरेक्ट कॉन्टैक्ट (सबसे कॉमन)
- इंसान संक्रमित पक्षियों को छूने और उसके बाद अपनी आंखों, नाक या मुंह को छूने के बाद बर्ड फ्लू से संक्रमित हो सकता है
संक्रमित सतह से
- स्वस्थ दिखने वाले पक्षी भी अपने ड्रॉपिंग्स के जरिए सतह पर संक्रमण का प्रसार कर सकते हैं
- संक्रमित पक्षियों के लार, बलगम और बीट (मल) में वायरस हो सकते हैं
हवा में बर्ड फ्लू का वायरस
हवा में भी ड्रॉपलेट्स या धूलकण के रूप में इन वायरस की मौजूदगी हो सकती है जोकि संक्रमित पक्षियों के अपने पंखों को फड़फड़ाने या हिलाने से संभव है। इंसान उस जगह सांस ले तो वायरस के शरीर में आने का खतरा है।
- पंखों का फड़फड़ाना
- स्क्रैचिंग (जमीन पर पंजे रगड़ना)
- सिर को झटके देना
- पक्षियों से पक्षियों में संक्रमण
पक्षियों की कुछ प्रजातियों, जैसे कि बत्तख और गूज को इन्फ्लुएंजा टाइप-ए वायरस का कुदरती वाहक माना जाता है। ये पक्षी भी अपने ड्रॉपिंग्स के जरिए यह बीमारी फैला सकते हैं।