इंदिरा, फिदेल कास्त्रो और 140 देशों के नेता… 40 साल पहले की बात है, जब छोटी सी दिल्ली हुई थी ‘लॉक’ h3>
तब भी दिल्ली हुई थी बंद लेकिन दफ्तर और स्कूल-कॉलेज खुले
बहरहाल, अब जी-20 सम्मेलन के दौरान विज्ञान भवन कहीं नहीं है। तब भी नई दिल्ली को एक तरह से सील कर दिया गया था, हालांकि बैंक, सरकारी दफ्तर और स्कूल-कॉलेज खुले थे। निर्गुट सम्मेलन में आने वाले राष्ट्राध्यक्षों की कारों के काफिले एयरपोर्ट से शांतिपथ, तीन मूर्ति, साउथ एवेन्यू, विजय चौक, मदर टेरेसा क्रिसेंट, सरदार पटेल मार्ग, पंचशील मार्ग, सफदरजंग रोड और विज्ञान भवन के आसपास चल रहे थे। इस बार काफिले प्रगति मैदान तक जाएंगे क्योंकि वहां पर बने भारत मंडपम में ही जी-20 सम्मेलन का आयोजन होना है।
अपने कॉलेज गए थे जिया उल हक
जिया उल हक यहां के सेंट स्टीफंस कॉलेज में 1941 से 1945 तक पढ़े थे। कॉलेज कैंपस में आते ही जिया भावुक हो गए थे। उन्हें देखने के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी बिरादरी सेंट स्टीफंस कॉलेज के बाहर जमा हो गई थी। जिया कॉलेज में अपने मुखर्जी रेजिडेंस (हॉस्टल) के कमरे की दीवारें छूकर देख रहे थे। वह प्रिंसिपल रूम भी गए थे। उनके समय डेविड राजाराम सेंट स्टीफंस कॉलेज के प्रिंसिपल थे। उन्हें सेंट स्टीफंस कॉलेज के इतिहास पुरुष प्रो. मोहम्मद अमीन और भारत के मशहूर धावक रहे प्रो. रंजीत भाटिया ने कॉलेज का घुमाया। जिया कॉलेज कैंटीन में नींबू पानी बेचने वाले वाले सुखिया से बड़ी आत्मीयता के साथ मिले। कहते हैं, विदा होने से पहले सुखिया को एक लिफाफे में अपना पुराना कर्ज चुका गए थे।
इस सम्मेलन में कास्त्रो ने लगाया था इंदिरा गांधी को गले
ये सब अशोक होटल में ठहरे थे। तब सुरक्षा कारणों से कास्त्रो और अराफात के चेहरों से मिलते-जुलते तीन-तीन और व्यक्ति अशोक होटल और विज्ञान भवन में घूम रहे थे। यह सब इसलिए किया जा रहा था ताकि इन्हें किसी भी संभावित हमले से बचाया जा सके। विज्ञान भवन में हुए सम्मेलन के उन पलों को कौन भूल सकता है जब कास्त्रो ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को गले लगा लिया था। इंदिरा गांधी अवाक रह गई थीं।
कई निर्गुट नेताओं के नाम पर रखे गए दिल्ली की सड़कों के नाम
बहरहाल, उस यादगार सम्मेलन के बाद दिल्ली में निर्गुट आंदोलन के कई दिग्गज नेताओं के नाम पर सड़कों के नाम रखे गए। मिस्र के जननेता गमाल आब्देल नासेर निर्गुट आंदोलन के संस्थापकों में थे। उनके नाम पर एक सड़क का नामकरण साउथ दिल्ली में हुआ। वह 1956 से लेकर 1970 तक मिस्र के राष्ट्रपति रहे। उन्होंने अपने देश में राजशाही को उखाड़ फेंका था। नेहरू जी और नासेर ने युगोस्लाविया के जोसेफ ब्रॉज टीटो के साथ मिलकर गुट निरपेक्ष आंदोलन की नींव रखी थी। ये सभी तीसरी दुनिया के नायक थे। उन्हीं जोसेफ टीटो के प्रति भारत ने आदर प्रदर्शित करने के लिए पंचशील एंक्लेव के डी ब्लॉक से सटी सड़क का नाम कर दिया था जोसेफ ब्रॉज टीटो मार्ग।