इंजीनियर दूल्हा बैलगाड़ी से दुल्हन विदा कर ले गया: झांसी में दूल्हा बोला- गांव से हूं, जमीन से जुड़े हैं; पुराने दौर में लौटें तभी खुशहाली आएगी – Jhansi News

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इंजीनियर दूल्हा बैलगाड़ी से दुल्हन विदा कर ले गया:  झांसी में दूल्हा बोला- गांव से हूं, जमीन से जुड़े हैं; पुराने दौर में लौटें तभी खुशहाली आएगी – Jhansi News

इंजीनियर दूल्हा बैलगाड़ी से दुल्हन विदा कर ले गया: झांसी में दूल्हा बोला- गांव से हूं, जमीन से जुड़े हैं; पुराने दौर में लौटें तभी खुशहाली आएगी – Jhansi News

बैलगाड़ी से दुल्हन बबली को विदा कर ले जाते दूल्हे इंजीयनर अभिजीत।

झांसी में इंजीनियर दूल्हा अपनी दुल्हन को विदा कराने बैलगाड़ी से पहुंचा। विदाई हुई तो दूल्हा-दुल्हन बैलगाड़ी पर सवार हुए और घर की ओर चल दिए। रास्ते में जिसने भी ये अनोखी विदाई देखी तो वह हैरान रह गया। दूल्हे ने कहा कि वह गांव के रहने वाले हैं। इसलिए वह

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चिरगांव के गांव जरियाई के रहने वाले संतोष कुमार विश्वकर्मा पेशे से किसान हैं। उनका बेटा अभिजीत सिविल इंजीनियर है। उनकी शादी झांसी में मंगलवार को प्राइवेट टीचर बबली के साथ हुई। ये अरेंज मैरिज थी। वैवाहिक रस्म और शादी समारोह सम्पन्न होने के बाद बुधवार को बबली की विदाई थी।

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शादी में लोगों ने जमकर डांस किया।

बैलगाड़ी पर खड़े होकर अभिजीत और बबली ने फोटो क्लिक कराई।

डोली में दुल्हन बबली की घर से विदाई हुई।

बैलगाड़ी और डोली से विदा कर ले गए सुबह विदाई के वक्त सभी को लग रहा था कि विदाई का समय आ गया है, लेकिन जिस गाड़ी में दुल्हन और दूल्हे को बैठना है वह दिखाई नहीं दे रही। अभी चर्चा चल ही रही थी कि विदाई के लिए सजाई गई बैलगाड़ी समारोह में पहुंच गई। साथ में डोली भी थी।

इसके बाद अभिजीत ने बताया कि वह अपनी दुल्हन को बैलगाड़ी से विदा कर ले जाएंगे। उनका कहना था कि वह गांव के रहने वाले हैं और अपनी जमीन से जुड़े हैं। किसान परिवार से आने के चलते बैलगाड़ी उनकी पहचान है। इसीलिए उन्होंने विदाई के लिए बैलगाड़ी को चुना।

बबली की विदाई के वक्त रोते परिवार के लोग।

पिता बोले- बेटे का मन था, गांव से मंगवाई बैलगाड़ी इंजीनियर अभिजीत के पिता संतोष कुमार विश्वकर्मा ने कहा- लोग बड़ी-बड़ी गाड़ियों और हेलिकॉप्टर से विदा कराते हैं। लेकिन, ये हर व्यक्ति का सामर्थ्य नहीं होता। हम लोग ग्रामीण परिवेश से आते हैं। शादी से पहले बेटे की मंशा थी कि उसकी दुल्हन की विदाई बैलगाड़ी से कराई जाए। इसलिए उन्होंने गांव से बैलगाड़ी मंगवाई है।

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जिधर से ये बैलगाड़ी गुजरी लोग रुक कर वीडियो बनाते दिखे।

बैलगाड़ी को फूल-माला से सजाया गया।

बुधवार सुबह ढोल-नगाड़ों के बीच डोली लेकर विदाई के लिए पहुंचा दूल्हा।

पिता ने कहा- दहेज भी नहीं लिया अभिजीत के पिता ने बताया- हमने दुल्हन के परिवार से स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें शादी में किसी भी चीज की जरूरत नहीं है। ये शादी दहेज के बिना ही की गई है। हालांकि फिर भी दुल्हन के परिवार ने अपनी खुशी से जबर्दस्ती कुछ सामान दे दिया है।

ये कदम इसलिए उठा रहे हैं कि पुराने समय में किसान को अन्नदाता और उसने उपकरण को देवतुल्य माना जाता था। लेकिन, अब मशीनरी के दौर में लोग उसे भुलाते जा रहे हैं। हमारा मकसद यही है कि लोग पुराने दौर में लौटें, ताकि जीवन में शांति और खुशहाली आ सके।

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