आ​िखरी जुमे पर अलविदा की नमाज के लिए अकीदतमंदों का उमड़ा हुजूम – Motihari (East Champaran) News

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आ​िखरी जुमे पर अलविदा की नमाज के लिए अकीदतमंदों का उमड़ा हुजूम – Motihari (East Champaran) News

आ​िखरी जुमे पर अलविदा की नमाज के लिए अकीदतमंदों का उमड़ा हुजूम – Motihari (East Champaran) News

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शुक्रवार को जिले के सभी मस्जिदों में अकीदतमंदों ने रमजान के आखिरी जुम्मा अलविदा की नमाज पढ़ी तथा आपसी भाईचारगी के लिए अल्लाह से दुआ मांगी। मोतिहारी में अलविदा की नमाज बड़ी मस्जिद में पढ़ी गई। अलविदा की नमाज पढ़ने के लिए बड़ी मस्जिद से लेकर नाका तक अकीदतमंदों की लंबी कतार लगी रही। मौके पर डीएम सौरभ जोरवाल, नगर आयुक्त सौरभ सुमन यादव, एसडीओ श्वेता भारती, सदर एसडीपीओ, नगर निगम की मेयर प्रीति कुमारी, डिप्टी मेयर डॉ लालबाबू प्रसाद सहित अन्य प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी लगातार मॉनिटरिंग करते देखे गए। अलविदा की नमाज दिन के एक बजे पढ़ी गई। नमाज को लेकर 11 बजे से ही ट्रैफिक को रोक दिया गया था। नमाज समाप्त होने के बाद ट्रैफिक बहाल कर दिया गया। अलविदा की नमाज जमा मस्जिद के कारी मो.जलालुद्दीन ने पढ़ाया। जिसमें सैकड़ों की संख्या में अकीदतमंदों ने शामिल होकर देश में आपसी भाईचारे व अमन चैन के लिए दुआ मांगी। इधर, मोतिहारी शहर के अगरवा जामा मस्जिद के इमाम मो.मकशूद आलम ने नमाज पढ़ाया और इस दौरान उन्होंने तकरीर करते हुए कहा की ये रमजान का आखरी असरा चल रहा है और आज ये रमजान का आखरी जुम्मा है जिसे सभी मुस्लिम अकीदतमंद इसे बहुत ही एहतेमाम से अदा करते है। ग्रामीण क्षेत्रों से भी लोग शहर में आ कर अलविदा जुम्मा पढ़ते है। रमजानुल मुबारक के अब आखरी ऐयाम चल रहे हैं। इसलिए जो दिन रमजान के बच गए है उन्हें पूरी इबादत के साथ गुजरने की जरूरत है। वहीं सब्र कदर की तलाश के लिए 27 वीं और 29 वीं को खूब इबादत के साथ गुजरना है। अल्लाह से अपनी गुनाहों की माफी मांगनी है।

इसके साथ ही उन्होंने कहा की हजरत इमाम ने तमाम नमाजियों से खास तौर से गुजारिश किया है की रमजान की तरह गैरे रमजान यानी ईद के बाद भी नमाज का एहतेमाम करें। नमाज सिर्फ रमजान में ही फर्ज नहीं है बल्कि हमेशा हर हाल में नमाज की पाबंदी जरुरी है। अल्लाह की मोहब्बत और अल्लाह का खौफ ईद के बाद भी जरुरी है। इसके साथ ही उन्होंने ईद से मुताल्लिक कई अहम बातों को बताते हुए कहा की ईद मुसलमानों का सबसे बड़ा पर्व है। मुसलमान इस दिन अच्छे कपड़े, अच्छे खानों के साथ ईद का पर्व मनाते है। मुसलमानों की अक्सरियत गरीब लोगों की है। बहुत से मुसलमान गरीब है जिनके पास पैसे नहीं है। जिसके वजह से ईद की खुशी में पूरी तरह शामिल नहीं हो पा रहे है। उनके लिए मालदार मुसलमानों से गुजारिश है की जकात या फितरा से इनकी मदद करें ताकि ये लोग भी अपनी तथा अपने बच्चों के लिए ईद की तैयारी अच्छी तरीके से कर सके। गरीबों की मदद पूरी करने से अल्लाह खुश होता है।

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