आर अश्विन के रिटायर्ड आउट के बाद छिड़ी बहस, अगर बोलर भी ‘रिटायर’ होना चाहे तो ! h3>
नई दिल्ली: आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेल रहे रविचंद्रन अश्विन ने बीते रविवार को एक ‘चाल’ चली। लखनऊ सुपर जायंट्स के खिलाफ उस मैच में उनकी टीम की जीत से ज्यादा उनके ‘रिटायर्ड आउट’ वाली चाल की चर्चा रही। अश्विन ने बाद में प्रतिक्रिया दी कि क्रिकेट में तो हम इस तरह की स्ट्रैटिजी को अपनाने में काफी देरी कर चुके हैं। अश्विन ने कहा कि जिस तरह फुटबॉल में सब्स्टि्यूट का इस्तेमाल होता रहा है, उसी तरह उन्होंने रिटायर्ड आउट का इस्तेमाल किया। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की चीजें आगे भी देखने को मिलेंगी।
बोलर पिटे तो क्या होगा
सही है, खेल में प्रयोग होते भी रहना चाहिए। हालांकि, अगर अश्विन ने वह चाल बैटिंग करते हुए चली। मगर, क्या होगा अगर एक बोलर भी अपने ओवर के बीच में ‘रिटायर’ होना चाहे? रिटायर चोट की वजह से नहीं बल्कि अपनी खराब लय या पिटने की वजह से। क्योंकि बोलर तो पैर, कमर, पीठ या हाथ की मांसपेशियों में खिंचाव या फिर गिरने, फिसलने से चोटिल होने की स्थिति में तो मैदान से बाहर जाते रहे हैं। अगर बोलर इस वजह से अपने ओवर की कुछ गेंदें डालने के बाद हटना चाहे या फिर कप्तान उसको मोर्चे से हटाना चाहे कि वह बाउंड्री खा रहा है या फिर लय में नहीं दिख रहा है, तो फिर क्या होगा?
नहीं खेल पा रहे थे बड़े शॉट्स
अश्विन ने रिटायर्ड आउट का ऑप्शन इसलिए चुना था कि वह बड़े शॉट्स नहीं मार पा रहे थे। वह छठे नंबर पर बैटिंग करने उतरे थे और 18वें ओवर तक उनकी टीम चार विकेट पर 133 रन तक ही पहुंच सकी थी। इसी वजह से अश्विन 19वें ओवर की दूसरी गेंद खेलकर पविलियन लौट गए। वह रिटायर्ड आउट हो गए ताकि डगआउट में बैठे बिग हिटर्स क्रीज पर आएं और बड़े सिक्स लगाकर टीम को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचा सकें। ऐसा हुआ भी, जब उनके साथी बैटर्स ने अगली 10 गेंदों में टीम का स्कोर 165 तक पहुंचा दिया। उनकी टीम इस करीबी मैच में महज 3 रन से जीती। यहां यह स्ट्रैटिजी कारगर रही थी।
ऐसे में कोई ऑप्शन नहीं
अब जरा उस मैच को याद करें जब पंजाब किंग्स के ओडियन स्मिथ को गुजरात टाइटंस के खिलाफ आखिरी ओवर में 19 रन बचाने थे। क्या होता जब एक बाउंड्री खाने के बाद पंजाब के कप्तान मयंक अग्रवाल विंडीज के इस बोलर को रिटायर करके इंग्लिश बोलर लियम लिविंगस्टोन को बोलिंग थमा देते? हालांकि, क्रिकेट का कोई नियम ऐसा नहीं है जिसके तहत सामान्य परिस्थितियों में कोई कप्तान ओवर के बीच से अपने बोलर को मोर्चे से हटा ले। रिटायर्ड आउट बैटर के लिए भी हमेशा कारगर साबित हो, यह भी शर्तिया नहीं कहा जा सकता। तेवतिया को वह मैच भी याद करें जब वह पहली सुर्खियों में आए थे।
तेवतिया ने जड़े थे पांच छक्के
आईपीएल के सीजन 2020 में शारजाह में खेले गए उस मैच में तेवतिया की टीम राजस्थान रॉयल्स पंजाब किंग्स के 224 के टारगेट का पीछा कर रही थी। उनकी टीम 17 ओवर्स तक तीन विकेट पर 173 रन बनाकर संघर्ष कर रही थी। तेवतिया खुद 23 गेंद पर केवल 17 रन बना सके थे। तब अगर उनको रिटायर्ड आउट कर दिया जाता तो क्या होता? दुनिया शायद अगले ओवर में उनके बल्ले से हुई छक्कों की बारिश नहीं देख पाती। तेवतिया ने शेल्डन कॉटरेल के एक ही ओवर में पांच सिक्स उड़ाकर टीम को जीत के करीब पहुंचा दिया और फिर उनकी टीम जीत भी गई।
सही है, खेल में प्रयोग होते भी रहना चाहिए। हालांकि, अगर अश्विन ने वह चाल बैटिंग करते हुए चली। मगर, क्या होगा अगर एक बोलर भी अपने ओवर के बीच में ‘रिटायर’ होना चाहे? रिटायर चोट की वजह से नहीं बल्कि अपनी खराब लय या पिटने की वजह से। क्योंकि बोलर तो पैर, कमर, पीठ या हाथ की मांसपेशियों में खिंचाव या फिर गिरने, फिसलने से चोटिल होने की स्थिति में तो मैदान से बाहर जाते रहे हैं। अगर बोलर इस वजह से अपने ओवर की कुछ गेंदें डालने के बाद हटना चाहे या फिर कप्तान उसको मोर्चे से हटाना चाहे कि वह बाउंड्री खा रहा है या फिर लय में नहीं दिख रहा है, तो फिर क्या होगा?
नहीं खेल पा रहे थे बड़े शॉट्स
अश्विन ने रिटायर्ड आउट का ऑप्शन इसलिए चुना था कि वह बड़े शॉट्स नहीं मार पा रहे थे। वह छठे नंबर पर बैटिंग करने उतरे थे और 18वें ओवर तक उनकी टीम चार विकेट पर 133 रन तक ही पहुंच सकी थी। इसी वजह से अश्विन 19वें ओवर की दूसरी गेंद खेलकर पविलियन लौट गए। वह रिटायर्ड आउट हो गए ताकि डगआउट में बैठे बिग हिटर्स क्रीज पर आएं और बड़े सिक्स लगाकर टीम को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचा सकें। ऐसा हुआ भी, जब उनके साथी बैटर्स ने अगली 10 गेंदों में टीम का स्कोर 165 तक पहुंचा दिया। उनकी टीम इस करीबी मैच में महज 3 रन से जीती। यहां यह स्ट्रैटिजी कारगर रही थी।
ऐसे में कोई ऑप्शन नहीं
अब जरा उस मैच को याद करें जब पंजाब किंग्स के ओडियन स्मिथ को गुजरात टाइटंस के खिलाफ आखिरी ओवर में 19 रन बचाने थे। क्या होता जब एक बाउंड्री खाने के बाद पंजाब के कप्तान मयंक अग्रवाल विंडीज के इस बोलर को रिटायर करके इंग्लिश बोलर लियम लिविंगस्टोन को बोलिंग थमा देते? हालांकि, क्रिकेट का कोई नियम ऐसा नहीं है जिसके तहत सामान्य परिस्थितियों में कोई कप्तान ओवर के बीच से अपने बोलर को मोर्चे से हटा ले। रिटायर्ड आउट बैटर के लिए भी हमेशा कारगर साबित हो, यह भी शर्तिया नहीं कहा जा सकता। तेवतिया को वह मैच भी याद करें जब वह पहली सुर्खियों में आए थे।
तेवतिया ने जड़े थे पांच छक्के
आईपीएल के सीजन 2020 में शारजाह में खेले गए उस मैच में तेवतिया की टीम राजस्थान रॉयल्स पंजाब किंग्स के 224 के टारगेट का पीछा कर रही थी। उनकी टीम 17 ओवर्स तक तीन विकेट पर 173 रन बनाकर संघर्ष कर रही थी। तेवतिया खुद 23 गेंद पर केवल 17 रन बना सके थे। तब अगर उनको रिटायर्ड आउट कर दिया जाता तो क्या होता? दुनिया शायद अगले ओवर में उनके बल्ले से हुई छक्कों की बारिश नहीं देख पाती। तेवतिया ने शेल्डन कॉटरेल के एक ही ओवर में पांच सिक्स उड़ाकर टीम को जीत के करीब पहुंचा दिया और फिर उनकी टीम जीत भी गई।