आर्ट ऑफ इंडिया की एग्जिबिशन का आगाज़, उमड़े कला के कद्रदान
मंत्रमुग्ध कर गई कलाकारी
प्रदर्शनी में केवल कला ही नहीं, दर्शकों की विविधता भी सराहनीय रही। एग्जिबिशन में आए मात्र 11 साल के कन्नन किशोर और 7 साल की लीला को एस. एच. राजा की गूढ़ कल्पनाशीलता वाली कलाकृतियों के पीछे छिपे विचार भले ही ना समझ आए हों, अलबत्ता एओआई में अपने पसंदीदा कलाकारों को लेकर वे जरूर आश्वस्त थे। जहां कन्नन को अजय डे की चारकोल वाली बेमिसाल सिटीस्केप पेंटिंग्स ने अपने मोहपाश में बांध लिया, तो वहीं लीला को सुषमा जैन द्वारा कैनवास पर उकेरे गए बाघ की आंखों से आंखें मिलाने में आनंद आ रहा था। लीला ने कहा कि चूंकि मुझे जानवर बेहद पसंद हैं, इसलिए यह मेरी पसंदीदा पेंटिंग है।
दरअसल, आर्ट ऑफ इंडिया एग्जिबिशन ने मुंबई और अहमदाबाद में सफलता का स्वाद चखने के बाद अब दिल्ली में अपने कदम रखे हैं। इस भव्य प्रदर्शनी में जहां एक ओर वॉक-इन आर्ट्स स्टूडेंट्स को पंक्तियों में कतारबद्ध देखा गया, तो वहीं कलाप्रेमियों ने अनुभवी आर्टिस्ट दंपती माधवी और मनु प्रकाश से बातचीत करने के लिए उन्हें घेर रखा था। माधवी और मनु अभी हाल ही में नामी यूरोपीय लग्जरी फैशन ब्रैंड ‘हाउस ऑफ डायर’ के साथ करार को लेकर चर्चा में आए थे।
100 से ज्यादा कलाकृतियां
दिल्ली में हो रही इस एओआई प्रदर्शनी का आयोजन मुंबई की गैलरी आर्ट एंड सोल की डायरेक्टर डॉ. तराना खूबचंदानी की देखरेख में हो रहा है, जबकि इसकी मेंटॉर हैं ‘काला घोड़ा असोसिएशन’ की आर्टिस्ट और चेयरपर्सन बृंदा मिलर। दिल्ली कलेक्शन के तहत 100 से ज्यादा खूबसूरत कलाकृतियां प्रदर्शित की गई हैं जिनमें पेंटिंग्स, ड्राइंग्स, प्रिंट मेकिंग, प्रतिमाएं, सेरामिक्स, फोटोग्राफ, विडियो, डिजिटल और प्रिंट मीडिया आर्टवर्क शामिल हैं। एग्जिबिशन में आठ दशकों के दौरान के कलाकारों की विविध कृतियां देखने को मिलेंगी। इसमें बंगाल के दिग्गज कला गुरुओं के साथ-साथ आजाद भारत में आधुनिक कला संस्थापकों, जैसे- अकबर पदमसी, जयराम पटेल, प्रभाकर बरवे और राम कुमार समेत अन्य कला गुरुओं की कृतियों पर रोशनी डाली गई है।
ऐसी पहल कला को समर्थन
बृंदा मिलर ने कहा कि तराना खूबचंदानी और उनके पास एकसाथ इस शो के आयोजन के लिए महज दो महीने का समय था, लेकिन राजधानी के कला कद्रदानों की इस प्रदर्शनी को लेकर प्रतिक्रिया बेहद शानदार और उत्साहवर्धक है। वहीं, कला समालोचक उमा नायर ने कहा कि जब देश के सबसे पुराने मीडिया घरानों में से एक टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा कला को लेकर ऐसी कोई पहल की जाती है, तो वह ना केवल महत्वपूर्ण होता है, बल्कि यह कला को कायम रखने और उसे अपना समर्थन देने की भी बात है।