आरसीपी सिंह की बीजेपी से नजदीकी नीतीश कुमार को खटकी, जेडीयू में भाव नहीं, बीजेपी में जगह मुश्किल h3>
केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे चुके पूर्व जेडीयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह अब आगे क्या करेंगे ? राजनीति करेंगे तो किस पार्टी की करेंगे ? जेडीयू में फिलहाल उनको अभी कोई भाव मिलने वाला दिखता नहीं है। और जेडीयू से रिश्ते ठीक रखने के लिए बीजेपी आरसीपी सिंह को भगवा कैंप में जगह देने को उत्साहित नहीं दिख रही है।
क्या पूर्व मंत्री बन चुके आरसीपी सिंह जेडीयू के एक सामान्य कार्यकर्ता और नेता की तरह पार्टी नेतृत्व से अपने रिश्ते सुधरने का इंतजार करेंगे। इसका संकेत आरसीपी सिंह ने दे भी दिया है जब मोदी कैबिनेट से इस्तीफे के अगले दिन उन्होंने कहा कि अब वो जमीन पर आ गए हैं। इससे पहले वो कह चुके हैं कि एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह पार्टी का काम करूंगा।
मंत्रालय ही आरसीपी सिंह के लिए ग्रह बना, एक साल में ही पूर्व मंत्री बने, नीतीश का भरोसा टूटा और पार्टी का साथ छूटा अलग
लेकिन आरसीपी सिंह की यह राजनीतिक दुर्गति इसलिए हुई क्योंकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भरोसा उनसे उठ गया। भरोसा बहुत ज्यादा था। तभी प्रधान सचिव से सांसद और फिर जेडीयू अध्यक्ष तक बना दिया। लेकिन बतौर जेडीयू अध्यक्ष बीजेपी से मंत्री पद की डील में आरसीपी सिंह से जो चूक हुई और बीजेपी की तरफ से एक मंत्री पद का ऑफर उन्होंने मंजूर करके जो खुद शपथ ले ली, वो नीतीश कुमार को खटक गई।
2019 में जब मोदी की सरकार दोबारा बनी थी तो जेडीयू को एक मंत्री पद ऑफर हुआ था और तब पार्टी ने उसे ठुकराते हुए सरकार में शामिल होने से मना कर दिया था। 2021 के कैबिनेट विस्तार में एक मंत्री पद का वो पुराना ऑफर स्वीकार करना आरसीपी को नीतीश की नजर में बीजेपी की साइड लेने वाला नेता बना गया। बाद में बीजेपी के उन बड़े नेताओं से आरसीपी सिंह के रिश्ते मधुर होने की खबरें उड़ने लगीं जो लोग नीतीश कुमार को बहुत पसंद नहीं करते और भाजपा से भी उनके रिश्ते मधुर रहने नहीं देना चाहते।
जेडीयू के ‘रामचन्द्र’ को मिल ही गया सियासी वनवास, आरसीपी के सामने अब दो ही विकल्प
फिर एनआरसी, फिर जाति गणना और फिर बिहार राज्य को विशेष दर्जा देने पर आरसीपी सिंह के अलग सुर जो बीजेपी के सुर से मिलते थे। कुल मिलाकर पटना में ऐसा इमेज बना कि आरसीपी जेडीयू के बदले बीजेपी की लाइन पर चल रहे हैं। आरसीपी के अचानक बढ़े कद और नीतीश की दरबार में उनकी ताकत से चिढ़े पार्टी के नेताओं ने इस मौके को बढ़िया से भुनाया और आरसीपी को पार्टी से दूर करते चले गए।
आरसीपी सिंह से पहले जॉर्ज फर्नांडीस, दिग्विजय सिंह, शरद यादव के भी नीतीश कुमार से बिगड़े थे रिश्ते, सब किनारे हो गए
अब ये चर्चा भले है कि आरसीपी सिंह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं लेकिन बिहार की राजनीतिक समझ रखने वाले मानते हैं कि जब तक नीतीश कुमार एनडीए में हैं और जब तक बीजेपी जेडीयू के साथ चलना चाहती है तब तक बीजेपी ऐसा करके नीतीश को नाराज नहीं करना चाहेगी। तो कुल मिलाकर ये है कि आरसीपी सिंह के पास इस समय इंतजार करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। आरसीपी ने जो विकल्प सोच रखा था वो बिहार में वैकल्पिक राजनीतिक माहौल से पहले फलीभूत नहीं होता दिखता।
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केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे चुके पूर्व जेडीयू अध्यक्ष आरसीपी सिंह अब आगे क्या करेंगे ? राजनीति करेंगे तो किस पार्टी की करेंगे ? जेडीयू में फिलहाल उनको अभी कोई भाव मिलने वाला दिखता नहीं है। और जेडीयू से रिश्ते ठीक रखने के लिए बीजेपी आरसीपी सिंह को भगवा कैंप में जगह देने को उत्साहित नहीं दिख रही है।
क्या पूर्व मंत्री बन चुके आरसीपी सिंह जेडीयू के एक सामान्य कार्यकर्ता और नेता की तरह पार्टी नेतृत्व से अपने रिश्ते सुधरने का इंतजार करेंगे। इसका संकेत आरसीपी सिंह ने दे भी दिया है जब मोदी कैबिनेट से इस्तीफे के अगले दिन उन्होंने कहा कि अब वो जमीन पर आ गए हैं। इससे पहले वो कह चुके हैं कि एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह पार्टी का काम करूंगा।
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लेकिन आरसीपी सिंह की यह राजनीतिक दुर्गति इसलिए हुई क्योंकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भरोसा उनसे उठ गया। भरोसा बहुत ज्यादा था। तभी प्रधान सचिव से सांसद और फिर जेडीयू अध्यक्ष तक बना दिया। लेकिन बतौर जेडीयू अध्यक्ष बीजेपी से मंत्री पद की डील में आरसीपी सिंह से जो चूक हुई और बीजेपी की तरफ से एक मंत्री पद का ऑफर उन्होंने मंजूर करके जो खुद शपथ ले ली, वो नीतीश कुमार को खटक गई।
2019 में जब मोदी की सरकार दोबारा बनी थी तो जेडीयू को एक मंत्री पद ऑफर हुआ था और तब पार्टी ने उसे ठुकराते हुए सरकार में शामिल होने से मना कर दिया था। 2021 के कैबिनेट विस्तार में एक मंत्री पद का वो पुराना ऑफर स्वीकार करना आरसीपी को नीतीश की नजर में बीजेपी की साइड लेने वाला नेता बना गया। बाद में बीजेपी के उन बड़े नेताओं से आरसीपी सिंह के रिश्ते मधुर होने की खबरें उड़ने लगीं जो लोग नीतीश कुमार को बहुत पसंद नहीं करते और भाजपा से भी उनके रिश्ते मधुर रहने नहीं देना चाहते।
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फिर एनआरसी, फिर जाति गणना और फिर बिहार राज्य को विशेष दर्जा देने पर आरसीपी सिंह के अलग सुर जो बीजेपी के सुर से मिलते थे। कुल मिलाकर पटना में ऐसा इमेज बना कि आरसीपी जेडीयू के बदले बीजेपी की लाइन पर चल रहे हैं। आरसीपी के अचानक बढ़े कद और नीतीश की दरबार में उनकी ताकत से चिढ़े पार्टी के नेताओं ने इस मौके को बढ़िया से भुनाया और आरसीपी को पार्टी से दूर करते चले गए।
आरसीपी सिंह से पहले जॉर्ज फर्नांडीस, दिग्विजय सिंह, शरद यादव के भी नीतीश कुमार से बिगड़े थे रिश्ते, सब किनारे हो गए
अब ये चर्चा भले है कि आरसीपी सिंह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं लेकिन बिहार की राजनीतिक समझ रखने वाले मानते हैं कि जब तक नीतीश कुमार एनडीए में हैं और जब तक बीजेपी जेडीयू के साथ चलना चाहती है तब तक बीजेपी ऐसा करके नीतीश को नाराज नहीं करना चाहेगी। तो कुल मिलाकर ये है कि आरसीपी सिंह के पास इस समय इंतजार करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है। आरसीपी ने जो विकल्प सोच रखा था वो बिहार में वैकल्पिक राजनीतिक माहौल से पहले फलीभूत नहीं होता दिखता।