आबकारी फर्जीवाडे में नया खुलासा : वेयर हाउस ने नहीं दिया माल तो ठेकेदार कहां से लाया शराब | excise fraud: Warehouse didnot give liquor, but contractor was selling | Patrika News

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आबकारी फर्जीवाडे में नया खुलासा : वेयर हाउस ने नहीं दिया माल तो ठेकेदार कहां से लाया शराब | excise fraud: Warehouse didnot give liquor, but contractor was selling | Patrika News

आबकारी फर्जीवाडे में नया खुलासा : वेयर हाउस ने नहीं दिया माल तो ठेकेदार कहां से लाया शराब | excise fraud: Warehouse didnot give liquor, but contractor was selling | Patrika News

आबकारी के मालवा मिल वृत्त के एसडीओ राजीव मुद्गल की रिपोर्ट पर मोहन राय व अनिल सिन्हा दोनों निवासी बेंगलुरु के खिलाफ कूटरचित दस्तावेजों से धोखाधड़ी करने का केस दर्ज कराया है। दोनों ने एलआईजी व मालवा मिल की शराब दुकान का ठेका लिया था। विभाग का कहना है कि ठेका लेने के ऐवज में अर्नेस्ट मनी और बैंक गारंटी फर्जी कागजों पर उपलब्ध करवाकर 15 करोड़ से ज्यादा के राजस्व का नुकसान कराया। अब पूरे घटनाक्रम पर आबकारी विभाग पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

चौंकाने वाली बात ये है कि सरकार ने शराब ठेके की नीलामी की प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है। बोली लगाने से ठेका होने तक रुपए भी ऑनलाइन ही जमा कराए जाते हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि इस मामले में विभाग ने ठेकेदारों से डीडी लेकर ठेका दे दिया। जब ये बात उठी तो आबकारी विभाग के सहायक आयु€त राजनारायण सोनी ने कल सहायक जिला आबकारी अधिकारी उपाध्याय को सस्पेंड कर इतिश्री कर ली। उन्हें दोषी ठहरा दिया गया, जबकि वास्तविकता इससे परे है।

शाखा प्रभारी बिना ऊपर की अनुमति के डीडी के आधार पर ठेका देने की कार्रवाई नहीं कर सकता है। ऐसा किया भी हो तो ठेका देने की फाइल पर हस्ताक्षर बड़े अफसर के ही होते हैं तब उन्होंने €या देखा ? एक कांड और जुड़ा इसके अलावा इस कांड में एक बड़ा कांड और जुड़ गया है। ठेका होने के बाद शराब कारोबारी जब सारे पैसे जमा कर देता है तो उसे शराब सप्लाय के लिए सरकारी वेयर हाउस से परमिट जारी होता है।

ठेकेदार को एक भी परमिट जारी नहीं हुआ। उस पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि जब सरकारी वेयर हाउस से माल नहीं दिया गया तो ठेकेदार के पास दुकान पर माल कहां से आया ? ठेकेदार ने दो माह तक अच्छी दुकान चलाई और खूब माल बेचा। उस स्थिति में सर्कल अधिकारी की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर वे €या देख रहे थे ? बड़ी बात ये है कि वेयर हाउस से माल सप्लाय का हिसाब भी आबकारी सहायक आयुक्त के पास नियमित जाता है तो वे भी €या देख रहे थे? ऐसे में फर्जी ठेकेदार के पास जहरीली शराब आ जाती और माल बिक जाता तो इतनी बड़ी चूक का कौन जवाबदार होता?

मुझे अभी कुछ याद नहीं है। ऑफिस में फाइल देखकर ही कुछ बता पाऊंगा।
– राजनारायण सोनी, सहायक आयु€क्त आबकारी विभाग हो कड़ी कार्रवाई
एलआईजी व मालवा मिल की शराब दुकानों के ठेकेदार का घोटाला अन्य शराब ठेकेदारों को भी मालूम था।
कुछ ठेकेदारों ने उन्हें माल सप्लाय कर मोटी कमाई की। अवैध शराब का भी बड़ा कारोबार हुआ। चर्चा ये
भी है कि अर्जुन व मुकेश नाम के दो ठेकेदारों ने उन्हें माल सप्लाय किया था। ऐसे में उनके खिलाफ भी
आबकारी विभाग को मुकदमा दर्ज कर कड़ी कार्रवाई करना चाहिए।

लाखों की थी नियमित सेल
मालवा मिल की दुकान पर नियमित आठ से दस लाख रुपए की शराब की सेल है तो एलआईजी शराब दुकान की सेल उससे दोगुना है। यहां पर 15 से 20 लाख रुपए की नियमित ग्राहकी है। बताया जा रहा है कि फर्जी ठेकेदारों की आबकारी विभाग के कुछ बड़े अफसरों से जोरदार सांठगांठ थी, क्योंकि अफसर के इंदौरी दोस्तों से ठेकेदार जुड़े हुए थे। एक दोस्त का परिवार तो आजकल बेंगलुरु में ही रहता है।



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