आप दो रुपए में बीमारी का पाउच तो नहीं खरीद रहे…. | You are not buying a pouch of disease for two rupees. | Patrika News h3>
अधिकांश का संचालन फूड लाइसेंस पर, बाकी फर्जी जानकारों की मानें तो ठंडा पानी पाउच अब दो रुपए में बेचा जा रहा है। पन्नी में बंद पानी कहने को तो आईएसआई मार्का वाला फिल्टर पानी है, लेकिन फर्जी काम करने वाले इस पानी को स्थानीय स्तर पर पैक कर रहे हैं। इसकी कोई गुणवत्ता नहीं होती। हाल ही में रापिडय़ा में पकड़ी गई पानी की फैक्ट्री इसका जीता जागता उदाहरण है। जो फूड लाइसेंस पर संचालित हो रही थी।
न एक्सपायरी न, प्लांट का पता, न निर्माण की तारीख – शहर में बिक रहे 40 फीसदी पानी पाउच और जार में न तो पैकिंग तारीख रहती है न एक्सपायरी डेट लिखी रहती है। ठंडे कैंपर का धंधा अलग से चल रहा है। यह पानी भले ही तात्कालिक रुप से प्यास बुझा देता होए लेकिन बाद में न जाने कितनी बीमारियों का कारण बन रहा है।
– अधिकांश पाउचों में न तो वाटर प्लांट का पता लिखा है न ही इमेल पता होता है। फिर भी यह नकली पाउच बाजार में धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। ऐसे पानी से पीलिया, टाइफाइड, अल्माइजर आदि जैसी गंभीर बीमारियां होने की संभावना बनी रहती है।
बीआईएस लाइसेंस जरूरी
पानी के पाउच और जार भरन के लिए बीआईएस प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है। इस के तहत पानी प्लांट पर एक लैब होना जरूरी है। एक कैमिस्ट की ड्यूटी इसमें रहती है। जो पानी का टेस्ट करने के बाद ही उसे भरने की अनुमति देता है। ऐसे पानी में पर्याप्त मिनरल और जरूरी पोषक तत्व होते हैं।
धार्मिक आयोजनए राजनैतिक कार्यक्रम शुरू होते ही बढ़ी मांग
कोरोना काल में दो साल से बंद पड़े धार्मिक आयोजनों, राजनैतिक आयोजनों, धरना प्रदर्शन, जुलूस में इनकी खपत कम हो गई थी। लेकिन इनके शुरू होते ही ये खपत अचानक से बढ़ गई है। कोलार में पानी व्यवसाय से जुड़े रमाकांत दांगी बताते हैं कि अक्षय तृतिया पर ही शहर में 3 से 4 लाख पाउचों की खपत हुई है। ये आम खपत से अलग है। जिसका अनुमान लगाना संभव नहीं है।
सीधी बात, देवेंद्र दुबे, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी – शहर में पानी पाउच को लेकर कितने लोग वैध काम कर रहे हैं?
हम लोग पानी पाउच और जार फैक्ट्री की जांच करते हैं, शहर में करीब 10 लोग बीआईएस प्रमाण पत्र लेकर काम कर रहे हैं। थोड़े बहुत और हो सकते हैं, जिनकी संख्या ज्यादा नहीं है।
– शहर में जिस तरह से खपत है उसके और जानकारों के अनुसार शहर में ही 8 से 10 लोग और पानी का अवैध काम कर रहे हैं? दो को तो आप पकड़ चुके हैं।
हो सकता है, मेरी नजर में पांच छह हो सकते हैं, जिन पर हम जल्द कार्रवाई करेंगे।
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अधिकांश का संचालन फूड लाइसेंस पर, बाकी फर्जी जानकारों की मानें तो ठंडा पानी पाउच अब दो रुपए में बेचा जा रहा है। पन्नी में बंद पानी कहने को तो आईएसआई मार्का वाला फिल्टर पानी है, लेकिन फर्जी काम करने वाले इस पानी को स्थानीय स्तर पर पैक कर रहे हैं। इसकी कोई गुणवत्ता नहीं होती। हाल ही में रापिडय़ा में पकड़ी गई पानी की फैक्ट्री इसका जीता जागता उदाहरण है। जो फूड लाइसेंस पर संचालित हो रही थी।
न एक्सपायरी न, प्लांट का पता, न निर्माण की तारीख – शहर में बिक रहे 40 फीसदी पानी पाउच और जार में न तो पैकिंग तारीख रहती है न एक्सपायरी डेट लिखी रहती है। ठंडे कैंपर का धंधा अलग से चल रहा है। यह पानी भले ही तात्कालिक रुप से प्यास बुझा देता होए लेकिन बाद में न जाने कितनी बीमारियों का कारण बन रहा है।
– अधिकांश पाउचों में न तो वाटर प्लांट का पता लिखा है न ही इमेल पता होता है। फिर भी यह नकली पाउच बाजार में धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। ऐसे पानी से पीलिया, टाइफाइड, अल्माइजर आदि जैसी गंभीर बीमारियां होने की संभावना बनी रहती है।
बीआईएस लाइसेंस जरूरी
पानी के पाउच और जार भरन के लिए बीआईएस प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है। इस के तहत पानी प्लांट पर एक लैब होना जरूरी है। एक कैमिस्ट की ड्यूटी इसमें रहती है। जो पानी का टेस्ट करने के बाद ही उसे भरने की अनुमति देता है। ऐसे पानी में पर्याप्त मिनरल और जरूरी पोषक तत्व होते हैं।
धार्मिक आयोजनए राजनैतिक कार्यक्रम शुरू होते ही बढ़ी मांग
कोरोना काल में दो साल से बंद पड़े धार्मिक आयोजनों, राजनैतिक आयोजनों, धरना प्रदर्शन, जुलूस में इनकी खपत कम हो गई थी। लेकिन इनके शुरू होते ही ये खपत अचानक से बढ़ गई है। कोलार में पानी व्यवसाय से जुड़े रमाकांत दांगी बताते हैं कि अक्षय तृतिया पर ही शहर में 3 से 4 लाख पाउचों की खपत हुई है। ये आम खपत से अलग है। जिसका अनुमान लगाना संभव नहीं है।
सीधी बात, देवेंद्र दुबे, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी – शहर में पानी पाउच को लेकर कितने लोग वैध काम कर रहे हैं?
हम लोग पानी पाउच और जार फैक्ट्री की जांच करते हैं, शहर में करीब 10 लोग बीआईएस प्रमाण पत्र लेकर काम कर रहे हैं। थोड़े बहुत और हो सकते हैं, जिनकी संख्या ज्यादा नहीं है।
– शहर में जिस तरह से खपत है उसके और जानकारों के अनुसार शहर में ही 8 से 10 लोग और पानी का अवैध काम कर रहे हैं? दो को तो आप पकड़ चुके हैं।
हो सकता है, मेरी नजर में पांच छह हो सकते हैं, जिन पर हम जल्द कार्रवाई करेंगे।
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