आनंद मोहन की नवंबर में होगी बड़ी रैली, पटना में 10 लाख लोगों को जुटाने का दावा, क्या हैं सियासी मायने?

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आनंद मोहन की नवंबर में होगी बड़ी रैली, पटना में 10 लाख लोगों को जुटाने का दावा, क्या हैं सियासी मायने?

आनंद मोहन की नवंबर में होगी बड़ी रैली, पटना में 10 लाख लोगों को जुटाने का दावा, क्या हैं सियासी मायने?

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Anand Mohan News: बिहार के बाहुबली नेता एवं पूर्व सांसद आनंद मोहन जेल से छूटने के बाद अब अपनी सियासी जमीन मजबूत करने में जुट गए हैं। उन्होंने नवंबर महीने में राजधानी पटना के अंदर बड़ी रैली का आयोजन करने का ऐलान किया है। आनंद मोहन ने दावा किया है कि इस रैली में राज्यभर से 10 लाख लोग जुटेंगे। इसके लिए वह अभी से जगह-जगह जाकर लोगों को आमंत्रित कर रहे हैं। आईएएस जी कृष्णैया हत्याकांड में सजा काटकर हाल ही में वे रिहा हुए हैं। हालांकि, समय से पहले उनकी रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

शिवहर से सांसद रहे आनंद मोहन ने सोमवार को रोहतास जिले के बिक्रमगंज में मीडिया से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने बताया कि वे नवंबर में पटना में एक बड़ी जनसभा करने जा रहे हैं। इसके लिए वह अभी से लोगों को निमंत्रण दे रहे हैं। आनंद मोहन ने कहा कि इस रैली में 10 लाख लोग शामिल होंगे। रोहतास जिले में पूर्व सांसद ने महाराणा प्रताप की मूर्ति का अनावरण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि युवाओं को महाराणा के रास्ते पर चलना चाहिए। प्रताप को जीने की जरूरत है। 

आनंद मोहन की रैली के सियासी मायने क्या हैं?

जेल से छूटने के बाद आनंद मोहन के जेडीयू से नजदीकियां तेज हो गई हैं। उनके बेटे चेतन आनंद अभी आरजेडी से विधायक हैं। हत्याकांड में जेल से पिछले महीने ही रिहा होने के चलते आनंद मोहन फिलहाल चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। मगर वे अपनी पत्नी या किसी अन्य करीबी को 2024 में चुनाव लड़वाने की तैयारी कर रहे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि शिवहर लोकसभा सीट से वह अपने किसी करीबी को महागठबंधन से उम्मीदवार बनवा सकते हैं। 

जी कृष्णैया हत्याकांड में जेल जाने के बाद आनंद मोहन सक्रिय राजनीति से साइडलाइन हो गए थें। हालांकि, कोसी क्षेत्र में उनका दबदबा अब भी कायम हैं। वह राजपूत समाज का प्रमुख चेहरा हैं। ऐसे में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव उनकी इस छवि को भुनाकर राजपूत समाज के वोटों को अपनी ओर खींच सकते हैं। पटना में प्रस्तावित रैली पर फोकस राजपूतों को एकजुट करने पर रहेगा। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नीतीश सरकार ने रणनीति के तहत जेल नियमावली में बदलाव कर आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ किया है। ताकि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में राजपूत वोटबैंक पर पकड़ मजबूत की जा सके। 

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बीजेपी के खिलाफ बयानबाजी शुरू

आनंद मोहन के बिहार की अधिकतर पार्टियों के नेताओं से अच्छे संबंध हैं। बीजेपी में भी उनके कई जानने वाले हैं। इसके बावजूद उन्होंने सार्वजनिक मंचों पर बीजेपी के खिलाफ बपयानबाजी शुरू कर दी है। पिछले हफ्ते सहरसा जिले के महिषी में राजपूत समाज के एक कार्यक्रम में आनंद मोहन ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला था। उन्होंने कहा कि वह हाथी की तरह बीजेपी को पैरों तले कुचल देंगे। जेल से बाहर निकलने के बाद वह पहली बार बीजेपी के खिलाफ इतने आक्रामक नजर आए। बताया जा रहा है कि आनंद मोहन का यह बयान पूर्वनियोजित था। महागठबंधन की ओर से उन्हें ऐसा करने के लिए कहा गया है, ताकि चुनाव से पहले राजपूत समाज में बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाया जा सके।

 

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