आधार कार्ड की अनिवार्यता से शिक्षा का अधिकार प्रभावित: अयोध्या में प्राइमरी स्कूलों में बिना आधार वाले बच्चों का प्रवेश रुका, अभिभावक परेशान – Ayodhya News h3>
अयोध्या14 मिनट पहले
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जिले के 1,792 प्राइमरी स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के साथ एक बड़ी समस्या ने अभिभावकों और स्कूल प्रशासन को परेशानी में डाल दिया है। आधार कार्ड को अनिवार्य किए जाने के कारण बिना आधार वाले बच्चों का प्रवेश रुक गया है।
स्कूल प्रशासन ऐसे बच्चों को केवल कक्षा में बैठने की अनुमति दे रहा है, लेकिन उनका औपचारिक प्रवेश आधार कार्ड बनने के बाद ही हो पाएगा। सबसे अधिक परेशानी प्रवासी मजदूरों के बच्चों को हो रही है। निवास प्रमाण पत्र और जन्म प्रमाण पत्र के अभाव में उनके लिए आधार कार्ड बनवाना बेहद मुश्किल हो गया है।
पिछले वर्ष भी आधार या अपार आईडी न होने के कारण 15,000 से अधिक बच्चे डीबीटी के तहत स्कूल डायस सिस्टम की राशि से वंचित रह गए थे। शिक्षक भी इस स्थिति से असमंजस में हैं। बिना आधार के बच्चों की अपार आईडी और यू-डायस (UDISE) सिस्टम पर डेटा एंट्री नहीं हो पा रही है, जिससे उनकी कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है।
पहले आधार बनवाना आसान था।अभिभावक का शपथ पत्र और प्रधानाध्यापक की संस्तुति ही पर्याप्त थी। लेकिन अब जन्म प्रमाण पत्र अनिवार्य कर दिया गया है, जिसने प्रक्रिया को और जटिल बना दिया।
शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मामले में शासन के मार्गदर्शन का इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि बिना स्पष्ट दिशा-निर्देशों के वे कोई कदम नहीं उठा सकते। दूसरी ओर, विभाग ‘स्कूल चलो अभियान’ और प्रभात फेरी जैसे कार्यक्रमों के जरिए स्कूलों में दाखिला बढ़ाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन आधार की अनिवार्यता इन प्रयासों पर पानी फेर रही है।
स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि फरवरी में अपार आईडी न बनने के कारण बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कई शिक्षकों का वेतन तक रोक दिया था। अभिभावकों और शिक्षकों ने मांग की है कि शासन इस नीति पर पुनर्विचार करे और प्रवासी परिवारों के बच्चों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था जैसे विशेष आधार पंजीकरण शिविर या पुरानी शपथ पत्र व्यवस्था को बहाल करे।
शिक्षा विभाग और शासन से अपेक्षा है कि वे इस समस्या का त्वरित समाधान करें, ताकि बच्चों का शिक्षा का अधिकार बाधित न हो।
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अयोध्या14 मिनट पहले
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जिले के 1,792 प्राइमरी स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के साथ एक बड़ी समस्या ने अभिभावकों और स्कूल प्रशासन को परेशानी में डाल दिया है। आधार कार्ड को अनिवार्य किए जाने के कारण बिना आधार वाले बच्चों का प्रवेश रुक गया है।
स्कूल प्रशासन ऐसे बच्चों को केवल कक्षा में बैठने की अनुमति दे रहा है, लेकिन उनका औपचारिक प्रवेश आधार कार्ड बनने के बाद ही हो पाएगा। सबसे अधिक परेशानी प्रवासी मजदूरों के बच्चों को हो रही है। निवास प्रमाण पत्र और जन्म प्रमाण पत्र के अभाव में उनके लिए आधार कार्ड बनवाना बेहद मुश्किल हो गया है।
पिछले वर्ष भी आधार या अपार आईडी न होने के कारण 15,000 से अधिक बच्चे डीबीटी के तहत स्कूल डायस सिस्टम की राशि से वंचित रह गए थे। शिक्षक भी इस स्थिति से असमंजस में हैं। बिना आधार के बच्चों की अपार आईडी और यू-डायस (UDISE) सिस्टम पर डेटा एंट्री नहीं हो पा रही है, जिससे उनकी कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है।
पहले आधार बनवाना आसान था।अभिभावक का शपथ पत्र और प्रधानाध्यापक की संस्तुति ही पर्याप्त थी। लेकिन अब जन्म प्रमाण पत्र अनिवार्य कर दिया गया है, जिसने प्रक्रिया को और जटिल बना दिया।
शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मामले में शासन के मार्गदर्शन का इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि बिना स्पष्ट दिशा-निर्देशों के वे कोई कदम नहीं उठा सकते। दूसरी ओर, विभाग ‘स्कूल चलो अभियान’ और प्रभात फेरी जैसे कार्यक्रमों के जरिए स्कूलों में दाखिला बढ़ाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन आधार की अनिवार्यता इन प्रयासों पर पानी फेर रही है।
स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि फरवरी में अपार आईडी न बनने के कारण बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कई शिक्षकों का वेतन तक रोक दिया था। अभिभावकों और शिक्षकों ने मांग की है कि शासन इस नीति पर पुनर्विचार करे और प्रवासी परिवारों के बच्चों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था जैसे विशेष आधार पंजीकरण शिविर या पुरानी शपथ पत्र व्यवस्था को बहाल करे।
शिक्षा विभाग और शासन से अपेक्षा है कि वे इस समस्या का त्वरित समाधान करें, ताकि बच्चों का शिक्षा का अधिकार बाधित न हो।