आज का एक्सप्लेनर: मोदी-शाह नए चेहरों को ही CM क्यों बनाते हैं, क्या इससे BJP को नुकसान होगा; कभी इंदिरा ने भी ऐसा किया था

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आज का एक्सप्लेनर:  मोदी-शाह नए चेहरों को ही CM क्यों बनाते हैं, क्या इससे BJP को नुकसान होगा; कभी इंदिरा ने भी ऐसा किया था

आज का एक्सप्लेनर: मोदी-शाह नए चेहरों को ही CM क्यों बनाते हैं, क्या इससे BJP को नुकसान होगा; कभी इंदिरा ने भी ऐसा किया था

रेखा गुप्ता को दिल्ली का CM बनाकर BJP ने अपनी एक रवायत कायम रखी। वो रवायत है- नए और कम चर्चित चेहरों को CM बनाकर चौंकाना। BJP आलाकमान ने पिछले 11 सालों में कम से कम 13 राज्यों में ऐसा किया। इसमें MP में मोहन यादव, राजस्थान में भजनलाल शर्मा और हरियाणा

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BJP बड़े और चर्चित नामों की बजाय नए चेहरों पर दांव क्यों लगाती है, इससे पार्टी को फायदा होगा या नुकसान और क्या पहले भी ऐसा हुआ है; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…

सवाल-1: BJP में नए चेहरों को CM बनाने का चलन कैसे शुरू हुआ? जवाबः 2014 लोकसभा चुनाव में BJP की प्रचंड जीत के बाद नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और अमित शाह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष। यहीं से BJP में एक नए युग की शुरुआत मानी जाती है।

लोकसभा चुनाव के 5 महीने बाद अक्टूबर 2014 में महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव हुए। दोनों राज्यों में BJP को जीत मिली।

हरियाणा में BJP ने राम बिलास शर्मा, कैप्टन अभिमन्यु, ओम प्रकाश धनकड़ और अनिल विज जैसे पुराने और चर्चित नेताओं की बजाय मनोहर लाल खट्टर को CM बनाकर BJP ने चौंका दिया। इसी पैटर्न पर महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस CM बनाए गए।

यहां से शुरू हुई रवायत एक-दो अपवाद छोड़कर लगातार जारी है और इसमें सबसे लेटेस्ट नाम दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का जुड़ा है। वो पहली बार विधायक बनी हैं और सीधे मुख्यमंत्री बना दी गईं, जबकि होड़ में प्रवेश वर्मा जैसे चर्चित नेता भी थे। प्रवेश वर्मा दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे और दिल्ली के बड़े जाट नेता हैं।

दिल्ली CM पद की शपथ लेने के बाद रेखा गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिवादन किया।

सवाल-2: BJP ने कहां-कहां नए चेहरों को CM बनाकर चौंकाया? जवाबः 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में BJP की जीत के बाद केशव प्रसाद मौर्य को CM बनाने की हवा तेज थी। वो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी थे। इसके अलावा मनोज सिन्हा के नाम की भी चर्चा थी, लेकिन ऐन मौके पर योगी आदित्यनाथ के नाम का ऐलान कर दिया गया।

2023 में मध्य प्रदेश में BJP ने चुनाव जीतने के बाद BJP ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया, जबकि शिवराज 15 साल से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। CM के नाम का ऐलान होने से ठीक पहले की एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें मोहन यादव पीछे कहीं बैठे दिख रहे थे।

2023 चुनाव के बाद यही पैटर्न राजस्थान में दिखा, जब वसुंधरा राजे जैसी कद्दावर नेता की जगह पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को CM बनाया गया। इसी साल छत्तीसगढ़ में CM बने विष्णुदेव साय भी अपेक्षाकृत कम चर्चित चेहरे थे। 2024 में हरियाणा चुनाव से कुछ महीने पहले BJP ने अचानक मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को CM बना दिया। जबकि अनिल विज जैसे नेता कतार में थे।

सवाल-3: चर्चित नामों की बजाय BJP नए चेहरों पर दांव क्यों लगाती है? जवाबः एक्सपर्ट्स के मुताबिक BJP के नए-चेहरों पर दांव लगाने की स्ट्रेटजी के पीछे 2 बड़ी वजहें हो सकती हैं…

1. नरेंद्र मोदी की लीडरशिप को पार्टी चैलेंज नहीं देना चाहती 2014 चुनाव से पहले BJP के प्रधानमंत्री पद के दावेदारों पर मंथन चल रहा था तो PM मोदी के अलावा शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे जैसा नेता भी कतार में थे। यानी ये दोनों नेता तब तक नरेंद्र मोदी के समकक्ष थे।

पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई के मुताबिक जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, तब से हाईकमान ने कमल का फूल उन्हीं के हाथों में दे दिया है। देशभर में चुनाव कहीं भी हो और किसी भी तरह का हो, BJP का मतलब मोदी ही होता है। इस स्ट्रेटजी को सारी विपक्षियां पार्टी मिलकर भी नहीं तोड़ पातीं।

रशीद किदवई कहते हैं,

इसलिए पार्टी मोदी-शाह की लीडरशिप को कोई चुनौती नहीं देना चाहती। नए चेहरों को CM की कुर्सी पर बैठाना और पुराने कद्दावर नेताओं को पीछे कर देना इसी स्ट्रेटजी का हिस्सा है।

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राजनीतिक विश्लेषक अभय कुमार दुबे ने कहा,

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मोदी और शाह ऐसे नेताओं को पसंद नहीं करते जिनका अपना जनाधार हो। इसकी जगह वो लो-प्रोफाइल चेहरों के साथ ज्यादा सहज होते हैं। इसलिए भी पार्टी नए चेहरों को तरजीह देती है। योगी आदित्यनाथ एक तरह से अपवाद हैं, क्योंकि उन्हें संघ के दबाव में CM बनाया गया था।

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2. पुरानी पीढ़ी से BJP की कमान लेकर नई पीढ़ी को सौंपना पॉलिटिकल एक्सपर्ट अमिताभ तिवारी के मुताबिक 2014 के बाद जितने भी राज्यों में BJP जीती, उसकी दो कैटेगरी हैं।

पहली- जिन राज्यों में पहले से BJP सरकार थी और फिर सरकार आई। जैसे- मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़। इन राज्यों में एस्टैब्लिश लीडरशिप थी। लेकिन ये लीडर्स या तो बहुत लंबे समय से CM थे या तो अपने राजनीतिक करियर के पीक पर या ढलान पर थे। BJP ने जनरेशन शिफ्ट किया है। इसमें चौंकाने वाली बात नहीं थी।

दूसरी- हरियाणा, असम, त्रिपुरा जैसे राज्य जहां BJP की सरकार पहले से नहीं थी। वहां नाम चौंकाने वाले कह सकते हैं, लेकिन वहां लीडरशिप और कद्दावर नेता थे ही नहीं। असम में पहले BJP ने सर्बानंद सोनोवाल को CM बनाया जो AGP से आए थे फिर हिमंत बिस्वा सरमा को CM बनाया जो कांग्रेस से आए थे।

10 मई 2021 को असम के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए हिमंत बिस्व सरमा।

अमिताभ तिवारी ने कहा,

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अगर आप BJP के नए मुख्यमंत्रियों की उम्र देंखेगे तो औसत 55 साल है। जैसे- मोहन यादव, भजन लाल शर्मा, योगी आदित्यनाथ, देवेंद्र फडणवीस, रेखा गुप्ता। ये सभी लीडर्स अगले 15-20 साल तक पार्टी को उस स्टेट में लीड कर सकते हैं, जिस तरह वसुंधरा, येदियुरप्पा और खुद PM मोदी ने किया।

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नए चेहरों को कमान देने के कुछ और फैक्टर्स भी हो सकते हैं…

  • अभय कुमार दुबे के मुताबिक, ‘PM मोदी से पहले पार्टी का कोर वोट बैंक ज्यादातर अपर कास्ट और बनिया माना जाता था। नई लीडरशिप से जातीय समीकरण भी साधा जा रहा है। 2009 में BJP का OBC वोट प्रतिशत 18.6% था, जो 2014 में बढ़कर 37.6% हो गया। 2019 में 44% और 2024 में लगभग बराबर था। वहीं, 2019 में BJP को SC-ST के 16.7% वोट मिले, जो 2024 में बढ़कर 20.8% हो गए।
  • रशीद किदवई के मुताबिक, ‘BJP ने बड़े राज्यों में नए चेहरों के साथ उनकी जमीनी ताकत, अन्य विधायकों का समर्थन और मजबूत पकड़ भी देखी। इन राज्यों में नए चेहरों को CM बनाने से पार्टी को आने वाले चुनावों में फायदा मिलने की उम्मीद है।
  • BJP ये संदेश देना चाहती है कि पार्टी में हर कार्यकर्ता अहम है। यहां कोई बड़ा छोटा नहीं। किसी को कभी भी मौका मिल सकता है।

सवाल-4: क्या भारत की राजनीति में पहले भी ऐसा हुआ? जवाबः पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई कहते हैं, ‘PM मोदी, इंदिरा गांधी का समय दोहरा रहे हैं। 1970 और 1980 के दशक में जिस तरह इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री बनते ही सारे समकक्ष नेताओं को पीछे कर दिया था, नरेंद्र मोदी भी बिल्कुल वैसा ही कर रहे हैं। इंदिरा गांधी के दौर में मुख्यमंत्री की कुर्सी ‘म्यूजिकल चेयर’ बन गई थी। मुख्यमंत्री आते थे, उस पर बैठते थे और चले जाते थे, लेकिन उससे कांग्रेस की जड़ें खोखली हो गईं।’

जाने-माने कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण ने 40 साल पहले एक चर्चित कार्टून भी बनाया था, जो आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चुनाव से जुड़ा था। इसमें एक लाइन में कई नेता उस वक्त की PM इंदिरा गांधी के अभिवादन के लिए खड़े हैं। उन्हीं में से किसी और चुनकर इंदिरा गांधी कहती हैं, ‘अब आप नए मुख्यमंत्री हैं, आपका नाम क्या है?’

कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण के कार्टून में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी आंध्र प्रदेश के नए CM का चयन करती हुईं।

1980 में जब इंदिरा गांधी दूसरी बार प्रधानमंत्री बनीं तो उन्होंने कई राज्यों में छोटे कद के नेताओं को CM बनाना शुरू कर दिया। कर्नाटक में गुंडू राव, महाराष्ट्र में एआर अंतुले, राजस्थान में जगन्नाथ पहाड़िया और मध्य प्रदेश में अर्जुन सिंह जैसे नए चेहरों पर दांव लगाया।

सवाल-5: क्या BJP को भी इस स्ट्रैटजी से नुकसान उठाना पड़ सकता है? जवाबः रशीद किदवई कहते हैं, ‘इंदिरा गांधी ने तानाशाही वाली सरकार चलाई, जिसके 30 साल बाद बहुत बुरे नतीजे देखने को मिले। 2014 के बाद से कांग्रेस केंद्र समेत लगभग सभी राज्यों से साफ हो गई। यही हाल BJP का भी हो सकता है। इन दिनों BJP का मतलब मोदी ही है। PM मोदी ने जो कह दिया वो पत्थर की लकीर हो गया।’

अभय दुबे का कहना है, ‘कांग्रेस के उदाहरण की BJP के मौजूदा हाल से तुलना नहीं की जा सकती, क्योंकि कांग्रेस के पास संघ जैसा कोई संगठन नहीं था। कांग्रेस में जो प्रधानमंत्री कह देता था, पार्टी को वो मानना पड़ता था। फिर चाहे इंदिरा गांधी हों, राजीव गांधी हों या नरसिम्हा राव। लेकिन अब कैप्चरिंग की जद्दोजहद दो संगठनों के बीच है- एक संघ और दूसरी BJP। दोनों के बीच कंट्रोल और कैप्चरिंग का कॉम्पिटिशन है। अभी सत्ता नरेंद्र मोदी के पास है, लेकिन हस्तक्षेप संघ का होता है।’

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