आज का एक्सप्लेनर: भारत से भागे ललित मोदी ने वानुअतु की नागरिकता क्यों ली; ज्वालामुखी और भूकंपों वाला देश, आबादी महज कस्बे जितनी h3>
IPL के पूर्व चेयरमैन और भगोड़े ललित मोदी ने भारत की नागरिकता छोड़ने के लिए आवेदन किया है। अब वह छोटे-छोटे द्वीपों के देश वानुअतु का नागरिक बन गया है।
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प्रशांत महासगार में बसे इस द्वीपीय देश की कुल आबादी 3 लाख है, जो देहरादून जैसे एक शहर की आबादी से भी आधी है। वानुअतु में भूकंप आते रहते हैं और ज्वालामुखी फूटने का खतरा हमेशा बना रहता है।
फिर इस देश में ऐसा क्या है जो करोड़ों रुपए देकर ललित मोदी ने इसकी नागरिकता ली और क्या अब उसे भारत लाने के सभी रास्ते बंद हो गए हैं; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…
सवाल-1: ललित मोदी कौन है और भारत से क्यों भागा?
जवाबः ललित मोदी 2005 से 2009 तक राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष था। 2008 में उसने IPL शुरू किया। BCCI ने उसे IPL का अध्यक्ष और कमिश्नर बनाया।
- 2010 में ललित पर आईपीएल में करप्शन के आरोप लगे। ललित ने मॉरिशस की कंपनी वर्ल्ड स्पोर्ट्स को आईपीएल का 425 करोड़ का ठेका दिया था। मोदी पर 125 करोड़ रुपए कमीशन के आरोप लगे। ये भी कहा गया कि उसने दो नई टीमों की नीलामी के दौरान गलत तरीके अपनाए।
- 2010 में BCCI ने IPL के तीसरे सीजन के फाइनल के तुरंत बाद ललित को सस्पेंड कर दिया। 2010 में ही अंडरवर्ल्ड से धमकियों का हवाला देते हुए ललित मोदी भारत से भाग कर लंदन चला गया। ED ने उसके खिलाफ ‘ब्लू कॉर्नर’ नोटिस जारी किया। उसका पासपोर्ट भी रद्द कर दिया गया।
- 2011 में BCCI ने अरुण जेटली की अध्यक्षता में एक जांच समिति बनाई। तब के कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और तब के BCCI अध्यक्ष एन श्रीनिवासन इसके सदस्य थे। 2012 में ललित मोदी ने कहा कि उसने 2009 के IPL में सीएसके में इंग्लैंड के ऑलराउंडर एंड्रयू फ्लिंटॉफ को लाने में श्रीनिवासन की मदद की।
- तब से ललित लंदन में रह रहा था। उसके खिलाफ IPL में खिलाड़ियों की बोली में हेराफेरी, मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम यानी FEMA के उल्लंघन का मामला चल रहा है।
सुष्मिता सेन के साथ ललित मोदी की ये तस्वीर 28 मार्च 2010 की है।
सवाल-2: ललित मोदी के वानुअतु की नागरिकता के बारे में कैसे पता लगा?
जवाबः ललित मोदी के वानुअतु की नागरिकता लेने के बारे में भारत के विदेश मंत्रालय ने बताया है। शुक्रवार 7 मार्च को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा,
ललित मोदी ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में अपना पासपोर्ट जमा करने के लिए अप्लाई किया है। हमें ये भी बताया गया कि उसने वानुअतु की नागरिकता हासिल कर ली है। इसकी जांच की जाएगी। उसके खिलाफ जो मामला चल रहा है, कानून के तहत वह आगे भी जारी रहेगा।
सवाल-3: वानुअतु आखिर हैं कहां, यहां रहना खतरनाक क्यों है?
जवाबः वानुअतु प्रशांत महासागर के दक्षिण में बसा एक द्वीपीय देश है। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व, न्यूजीलैंड के उत्तर और फिजी के पश्चिम में बसे वानुअतु में 4 बड़े और 79 छोटे द्वीप हैं। 1980 के पहले तक इन द्वीपों को ‘न्यू हेब्राइड्स’ कहा जाता था, यह नाम ब्रिटिश खोजकर्ता जेम्स कुक ने 1774 में दिया था।
1906 से 1980 तक फ्रांस और ब्रिटेन ने ‘न्यू हेब्राइड्स’ पर साझा शासन किया। 1980 में आजादी मिलने के बाद ये द्वीप मिलकर एक अलग देश बन गए थे। देश को आधिकारिक नाम दिया गया- वानुअतु रिपब्लिक। इसकी राजधानी पोर्ट विला है जो इसके एफेट नाम के द्वीप पर बसी है।
सवाल-4: वानुअतु के लोगों की जिंदगी कैसी है?
जवाब: वानुअतु के ज्यादातर इलाके में घने जंगल हैं। हरे-भरे जंगल और समुद्री बीच के चलते ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के लोगों के लिए वानुअतु एक टूरिस्ट स्पॉट है। देश की इकोनॉमी में टूरिज्म की करीब 40% हिस्सेदारी है।
वानुअतु के ज्यादातर लोग ग्रामीण हैं और रोजी-रोटी के लिए मछलीपालन और खेती पर निर्भर हैं। कावा नाम के पौधे की जड़ से पेय पदार्थ बनता है। वानुअतु इसके सबसे बड़े उत्पादक देशों में से एक है।
तारो की जड़ के साथ वानुअतु का एक किसान। यहां रतालू, तारो और शकरकंद भी खूब उगाया जाता है। इन जड़ों की सब्जी यहां का पारंपरिक भोजन है।
हालांकि वानुअतु की राजनीति में उथल-पुथल मची रहती है। ऑस्ट्रेलियाई थिंक टैंक लोवी इंस्टीट्यूट के एनालिस्ट रिले ड्यूक के मुताबिक, ‘यह दुनिया के राजनीतिक तौर पर सबसे अशांत देशों में से एक है।’
वानुअतु में 52 सांसदों की संसद है। यहां बहुमत वाली पार्टी की सरकार बनती है, जिसका मुखिया देश का प्रधानमंत्री होता है। नवंबर 2024 में तब के राष्ट्रपति निकेनिकी वुरोबारवु ने संसद भंग कर दी थी।
इसके बाद जनवरी 2025 में हुए चुनावों में लीडर्स पार्टी की अगुआई वाले गठबंधन ने 40 सीटें जीतीं। वानुअतु में जलवायु परिवर्तन बड़ी समस्या है। इकोनॉमी चलाने के लिए ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से वानुअतु को भारी डोनेशन मिलता है।
लीडर्स पार्टी के सांसद सांसद जोथम नापत अभी वानुअतु के प्रधानमंत्री हैं।
सवाल-5: वानुअतु का गोल्डन पासपोर्ट क्या है, जो दूसरे देशों के अपराधियों को लुभाता है?
जवाबः कई देश अपने यहां इन्वेस्टमेंट करने यानी प्रॉपर्टी खरीदने, कंपनी शुरू करने या डोनेशन के बदले गोल्डन वीजा देते हैं। ये वीजा पाने वाले लोग वहां अस्थायी तौर पर रह सकते हैं। वहीं वानुअतु जैसे कुछ देश गोल्डन वीजा के बजाय इन्वेस्टमेंट या नकद पेमेंट लेकर विदेशियों को सीधे गोल्डन पासपोर्ट देते हैं। ये पासपोर्ट मिलने का मतलब होता है देश का स्थायी नागरिक हो जाना।
वानुअतु के अलावा एंटीगुआ एंड बारबुडा, ग्रेनेडा, सेंट किट्स और नेविस जैसे कैरेबियाई देश भी द्वीपों पर बने हैं, जो 2 लाख डॉलर यानी करीब 1 करोड़ 70 लाख रुपए में अपने यहां का पासपोर्ट देते हैं।
विदेशी लोग, खास तौर पर दूसरे देशों के अपराधी और भगोड़े वानुअतु जैसे छोटे देशों की नागरिकता लेते हैं।
वानुअतु का गोल्डन पासपोर्ट प्रोग्राम ऐसे लोगों के बीच काफी मशहूर है। यहां सिर्फ 1.55 लाख डॉलर यानी करीब 1.3 करोड़ रुपए देकर नागरिकता खरीद सकते हैं। इसलिए प्रशांत महासागर के बीच बसा ये देश नागरिकता बेचने के मामले में कैरेबियाई देशों से सस्ता है।
वानुअतु का पासपोर्ट कुछ इस तरह का दिखता है।
सवाल-6: ललित मोदी ने वानुअतु की नागरिकता क्यों खरीदी?
जवाबः इन्वेस्टमेंट के जरिए नागरिकता देने वाले देशों की लिस्ट जारी करने वाली फर्म ग्लोबल रेजिडेंस इंडेक्स के मुताबिक, ‘इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम के जरिए वानुअतु की सिटिजनशिप सबसे जल्दी और सबसे आसानी से मिलती है। इसके लिए ऑनलाइन ही बहुत कम डॉक्यूमेंट्स जमा करने होते हैं। यानी नागरिकता के लिए अप्लाई करने वाले को इसके लिए वानुअतु जाना भी नहीं होता। वानुअतु में सिटिजनशिप की पूरी प्रोसेस में सिर्फ 30 से 60 दिनों का ही समय लगता है।
वानुअतु की सिटिजनशिप लेने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके पासपोर्ट से दुनिया के 133 देशों में फ्री-वीजा एंट्री मिल जाती है। दरअसल, आम तौर पर किसी भी देश से दूसरे देश में जाने पर उस देश का वीजा जरूरी होता है। किसी देश के दूसरे देशों से वीजा को लेकर रिलेशन अच्छे हैं, तो वहां ‘वीजा ऑन अराइवल’ की सुविधा रहती है। यानी व्यक्ति उस देश में बिना वीजा के जा सकता है और वहां पहुंचने के बाद उसे उस देश में रहने के लिए वीजा मिल जाता है।
किसी देश के पासपोर्ट पर अगर सबसे ज्यादा देशों में वीजा-फ्री एंट्री है तो उस पासपोर्ट को सबसे मजबूत कहा जाता है।
सवाल-7: वानुअतु का पासपोर्ट बाकी देशों की तुलना में कितना मजबूत है?
जवाब: ग्लोबल रेजिडेंस इंडेक्स के मुताबिक, दुनिया के 204 देशों में फिनलैंड का पासपोर्ट सबसे मजबूत है, क्योंकि इससे 190 देशों में फ्री वीजा एंट्री मिल जाती है। इस लिस्ट में 91वां नंबर वानुअतु का है। इसके पासपोर्ट पर 133 देशों में बिना वीजा एंट्री मिलती है।
हालांकि अमेरिका और यूरोपीय देशों में फ्री-वीजा एंट्री को अहम माना जाता है। इसलिए वो देश जिनके पासपोर्ट पर भले ही ज्यादा देशों में वीजा-फ्री एंट्री हो, लेकिन अगर अमेरिका (USA) और यूरोपियन यूनियन (EU) में एंट्री नहीं है तो उन्हें पासपोर्ट की मजबूती वाली लिस्ट में नीचे रखा गया है।
मिसाल के लिए माइक्रोनेशिया के पासपोर्ट पर 122 देशों में ही फ्री-वीजा एंट्री है, लेकिन उसे लिस्ट में वानुअतु के ऊपर रखा गया है। इसकी वजह है कि उसका पासपोर्ट USA और EU में फ्री वीजा एंट्री दिलाता है, जबकि वानुअतु के पासपोर्ट पर ये सुविधा नहीं है।
ग्लोबल रेजिडेंस इंडेक्स में वानुअतु सऊदी अरब, भारत और चीन जैसे देशों से ऊपर है। लिस्ट में सऊदी अरब 118वें नंबर पर है। इसके पासपोर्ट पर 74 देशों में वीजा-फ्री एंट्री है। चीन 125वें नंबर पर हैं, जहां के पासपोर्ट पर 77 देशों में वीजा-फ्री एंट्री है। वहीं भारत का लिस्ट में 144वां नंबर है। यहां के पासपोर्ट पर 61 देशों में वीजा-फ्री एंट्री है।
सवाल-8: वानुअतु की नागरिकता मिलने से ललित को और क्या फायदे हो सकते हैं?
जवाब: वानुअतु में जीरो-इनकम टैक्स ज्यूरिसडिक्शन है। यानी यहां की टैक्सेशन की व्यवस्था में इनकम पर कोई टैक्स नहीं है। इसके अलावा कैपिटल गेन्स टैक्स यानी प्रॉपर्टी से कमाई पर टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स भी नहीं लगते। हालांकि यहां वैट जैसे इनडायरेक्ट टैक्स और प्रॉपर्टी के लेनदेन पर टैक्स लगते हैं, लेकिन ये इलाके के बाकी देशों की तुलना में कम हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वानुअतु के गोल्डन पासपोर्ट प्रोग्राम और टैक्स के कानूनों का दुनिया के बड़े आपराधिक गैंग इस्तेमाल करते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अपराधियों के लिए वानुअतु यूरोपियन यूनियन और ब्रिटेन वगैरह के विकल्प के तौर पर है। यहां के आसान टैक्स सिस्टम के चलते यह देश मनी लॉन्ड्रिंग का एक बढ़िया अड्डा बन गया है।
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील विराग गुप्ता कहते हैं कि ललित मोदी अब पूरी तरह से स्वतंत्र होकर यात्रा और कारोबार कर सकेगा। वानुअतु टैक्स हैवन देश है, इसलिए ललित मोदी वहां पर सारे अधिकारों का इस्तेमाल करेगा और उसके भारत को सौंपे जाने का खतरा भी टल गया है।
सवाल-9: क्या भारत ललित मोदी को वानुअतु की नागरिकता मिलने से रोक सकता था?
जवाब: विराग गुप्ता कहते हैं, ‘पासपोर्ट कानून 1967 के अनुसार भारत से पासपोर्ट का सरेंडर सर्टिफिकेट हासिल करने के बाद ही ललित मोदी को अन्य देश की नागरिकता मिल सकती है। उसने जब भारत के लंदन स्थित उच्चायोग में पासपोर्ट को सरेंडर किया, उस समय ही भारत के विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय को आपत्ति जाहिर करनी चाहिए थी। अगर भारत की तरफ से सरेंडर सर्टिफिकेट मिले बिना ही ललित मोदी ने वानुअतु की नागरिकता ले ली है, तो इस नागरिकता में कानूनी झोल है। यह कानूनी तौर पर अनुचित नागरिकता है।’
सवाल-10: क्या अब जांच एजेंसियों के लिए ललित मोदी को वापस लाना मुश्किल हो जाएगा?
जवाबः विराग गुप्ता बताते हैं कि ललित के दावे के अनुसार उसके खिलाफ अभी तक कोई चार्जशीट फाइल नहीं हुई है। भारत के नए BNS और BNSS कानून में आरोपी की मौजूदगी के बगैर भी मामला आगे चलाने के प्रावधान है। मामले में चार्जशीट दाखिल होने के बाद ललित के खिलाफ कोर्ट में पेश होने के समन जारी होंगे। अगर वह कोर्ट की कार्रवाई में नहीं शामिल हुआ तो आगे मुकदमा चलाने में मुश्किल हो सकती है।
विराग आगे कहते हैं, ‘जांच एजेंसियों को अगर ललित मोदी को भारत वापस लाने की मंशा होती तो ललित को भगोड़ा घोषित करने के साथ उनके प्रत्यर्पण की कार्रवाई शुरू की जा सकती थी। वानुअतु के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि नहीं है, इसलिए अब वहां से ललित मोदी को भारत वापस लाना मुश्किल हो सकता है।’
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