आज का एक्सप्लेनर: पाकिस्तान पर ₹21.6 लाख करोड़ कर्ज, तिजोरी खाली; 11 हजार करोड़ मिलने वाले थे, भारत वो भी रुकवाने जा रहा

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आज का एक्सप्लेनर:  पाकिस्तान पर ₹21.6 लाख करोड़ कर्ज, तिजोरी खाली; 11 हजार करोड़ मिलने वाले थे, भारत वो भी रुकवाने जा रहा

आज का एक्सप्लेनर: पाकिस्तान पर ₹21.6 लाख करोड़ कर्ज, तिजोरी खाली; 11 हजार करोड़ मिलने वाले थे, भारत वो भी रुकवाने जा रहा

पाकिस्तान का हर बच्चा इस वक्त अपने सिर 86.5 हजार रुपए कर्ज लेकर पैदा होता है। तेल और गैस का इम्पोर्ट बिल हो या सैलरी और सब्सिडी जैसे रोजमर्रा के खर्च, पाकिस्तान की पूरी इकोनॉमी ही कर्ज पर चल रही है। लेकिन अब भारत IMF से पाकिस्तान को मिलने वाले लोन के

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पाकिस्तान के कर्ज से जुड़े 7 जरूरी सवालों के जवाब, जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…

सवाल-1: पाकिस्तान पर कुल कितना कर्ज है? जवाब: पाकिस्तान सरकार की जून 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय देश पर कुल 256 बिलियन डॉलर यानी करीब 21.6 लाख करोड़ रुपए का सार्वजनिक कर्ज है। ये पाकिस्तान की कुल GDP का 67% है। इसके 2 हिस्से हैं…

विदेशी कर्ज वह पैसा है जो पाकिस्तान ने दूसरे देशों, इंटरनेशनल बैंकों या IMF जैसे ऑर्गनाइजेशन से उधार लिया है। यह कर्ज आमतौर पर अमेरिकी डॉलर में होता है और इसे चुकाने के लिए पाकिस्तान को फॉरेन करेंसी यानी डॉलर की जरूरत होती है। स्टैटिस्टिक टाइम्स के मुताबिक, पाकिस्तान के पास सिर्फ 1.3 लाख करोड़ रुपए विदेशी मुद्रा भंडार बचा है, जिससे महज 3 महीने का इम्पोर्ट बिल ही चुकाया जा सकता है।

सवाल-2: पाकिस्तान को इतना विदेशी कर्ज किस-किसने दे रखा है?

जवाब: द वर्ल्ड बैंक इंटरनेशनल डेब्ट रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, दिसंबर 2024 तक चीन ने पाकिस्तान को 28.7 बिलियन डॉलर यानी करीब 2.42 लाख करोड़ रुपए विदेशी कर्ज दिया। पॉलिसी पर्सपेक्टिव फाउंडेशन (PPF) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2000-2021 तक चीन ने पाकिस्तान को CPEC के तहत सड़कों, बिजलीघरों और बंदरगाहों के लिए बड़े कर्ज दिए। इस दौरान 433 प्रोजेक्ट्स के लिए कर्ज लिया गया। हालांकि पाकिस्तान सरकार चीन से लिए विदेशी कर्ज की पूरी डिटेल्स जारी नहीं करती।

  • दिसंबर 2024 तक सऊदी अरब ने 9.16 बिलियन डॉलर यानी करीब 77.2 हजार करोड़ रुपए कर्ज दिया। पाकिस्तान के कुल विदेशी कर्ज में सऊदी अरब की 7% हिस्सेदारी है। यह हिस्सेदारी 2023 में 5% थी।
  • 2019 में 3 बिलियन डॉलर का कैश डिपॉजिट लिया, जिससे हर साल रोलओवर किया जा रहा। 2023 में 300 मिलियन डॉलर तेल और पेट्रोलियम के इम्पोर्ट के लिए लिया। 2024 में 5 बिलियन डॉलर का कैश डिपॉजिट लिया, जिसे 2025 में रोलओवर किया जाएगा।
  • दिसंबर 2024 तक IMF ने पाकिस्तान को 7.5 बिलियन डॉलर यानी करीब 64 हजार करोड़ रुपए कर्ज दिया। इसमें 7 बिलियन डॉलर का 37 महीने का एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) प्रोग्राम भी शामिल है, जिसे सितंबर 2024 में शुरू किया था।
  • 1958 से 2024 तक पाकिस्तान ने IMF से 25 बार में करीब 15 बिलियन डॉलर से ज्यादा कर्ज लिया, जिसमें से कुछ चुकाया दिया है।
  • EFF के तहत 7 बिलियन डॉलर की राशि में से सितंबर 2024 में 1 बिलियन डॉलर की पहली किस्त फौरन दी गई। बाकी 6 बिलियन डॉलर अगले 37 महीनों में दिए जाएंगे।

इसके अलावा पाकिस्तान को कर्ज देने वालों में UAE और कतर की भी बड़ी हिस्सेदारी है।

सवाल-3: कर्ज के पैसों का इस्तेमाल पाकिस्तान कहां-कहां करता है? जवाब: पाकिस्तान कर्ज के जाल में फंस चुका है। विदेशी कर्ज का इस्तेमाल दो प्रमुख चीजों में किया जाता है…

1. कर्ज चुकाने के लिए नया कर्ज: दिसंबर 2020 में चीन ने पाकिस्तान को करीब 12.6 हजार करोड़ रुपए ($1.5 बिलियन) का कर्ज दिया था। इसी समय पाकिस्तान को सऊदी अरब से लिए लोन की किस्त चुकानी थी, जिसमें करीब 8.4 हजार करोड़ रुपए ($1 बिलियन) चले गए।

इसी तरह पिछले साल मार्च में IMF ने पाकिस्तान को लगभग 9.2 हजार करोड़ रुपए ($1.1 बिलियन) का लोन मंजूर किया था। इसके अगले ही महीने पाकिस्तान ने लगभग 8.4 हजार करोड़ रुपए ($1 बिलियन) के मैच्योर हुए यूरो बॉन्ड का पेमेंट कर दिया।

2. विदेशों से जरूरत का सामान खरीदने के लिएः पाकिस्तान पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स और गैस का बहुत बड़ा हिस्सा आयात करता है। सितंबर 2024 के पहले हफ्ते में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार करीब महज 79.2 हजार करोड़ रुपए ($9.4 बिलियन) बचा था, जिससे वह सिर्फ एक महीना का आयात कर सकता था।

इस समय पाकिस्तान विदेशों में काम कर रहे अपने अधिकारियों को सैलरी भी नहीं दे पा रहा था। ऐसे में IMF ने पाकिस्तान के लिए लगभग 59 हजार करोड़ रुपए ($7 बिलियन) के कर्ज को मंजूरी दे दी। चीन, सउदी अरब और UAE जैसे देशों ने भी पाकिस्तान की मदद का आश्वासन दिया था।

इसके अलावा कर्ज का कुछ हिस्सा सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से रक्षा बजट को बनाए रखने में जाता है। साथ ही बिजली, पेट्रोल, आटा आदि पर दी जाने वाली सब्सिडी भी कर्ज से फंड की जाती है। प्रशासनिक खर्च, सरकारी वेतन जैसे ऑपरेशनल खर्चों के लिए भी कर्ज लिया जाता है।

सवाल-4: क्या भारत के दबाव में अब IMF से पाकिस्तान को नया कर्ज नहीं मिलेगा? जवाब: 9 मई 2025 को IMF के एग्जीक्यूटिव बोर्ड की अगली मीटिंग होगी। इसमें पाकिस्तान को 1.3 अरब डॉलर यानी करीब 10.9 हजार करोड़ रुपए के कर्ज का रिव्यू किया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक भारत ‘आतंकवाद’ का मुद्दा उठाकर पाकिस्तान को ये पैसा देने का विरोध कर सकता है।

पिछली बैठक में भारत ने पाकिस्तान के बेलआउट पैकेट पर वोटिंग नहीं की थी। हालांकि, इस बार भारत पाकिस्तान को लोन देने के खिलाफ वोट कर सकता है। भारत का तर्क होगा कि पाकिस्तान IMF फंड का गलत इस्तेमाल कर रहा है और इससे आतंकवाद की मदद कर रहा है।

विदेश मामलों के जानकार और JNU के प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं, ‘IMF के किसी देश को लोन देने के अलग पैरामीटर्स हैं। IMF मेम्बर्स कई पैमानों पर तय करते हैं कि किसी देश को लोन देना चाहिए या नहीं। इसमें IMF की शर्तें, FATF रैंकिंग और लोन वापस करने की क्षमता को देखा जाता है। भारत मीटिंग में पाकिस्तान के लोन को रुकवाने की कोशिश जरूर कर सकता है, लेकिन पाकिस्तान का लोन रोक पाना फिलहाल मुश्किल है।’

राजन कुमार कहते हैं,

भारत के पास पाकिस्तान के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं है। अभी पहलगाम हमले की जांच चल रही है और पाकिस्तान पर इस हमले में शामिल होने के आरोप हैं। सिर्फ इसके दम पर भारत लोन नहीं रुकवा पाएगा। हां, अगर जांच पूरी हो गई होती या आतंकवादियों को पकड़ लिया गया होता और वे पाकिस्तान से संबंध होना कबूल कर लेते तो जरूर एक्शन लिया जा सकता था। ऐसी स्थिति में FATF पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल देती, जिससे IMF लोन रोक सकती थी।

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अप्रैल 2024 में IMF ने पाकिस्तान को 1.1 बिलियन डॉलर की राशि की मंजूरी दी। बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और IMF चीफ क्रिस्टालिना जॉर्जिएवा।

सवाल-5: क्या पाकिस्तान ये कर्ज कभी चुका पाएगा? जवाब: पाकिस्तान को अगले चार सालों में 100 बिलियन डॉलर यानी करीब 8.4 लाख करोड़ रुपए का विदेशी कर्ज चुकाना है। वहीं जुलाई 2025 तक पाकिस्तान को विदेशी कर्ज और ब्याज मिलाकर 30.35 बिलियन डॉलर यानी करीब 2.56 लाख करोड़ रुपए चुकाने है।

27 अप्रैल को स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर जमील अहमद ने बताया था कि जून 2025 तक पाकिस्तान का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व बढ़कर 14 बिलियन डॉलर यानी करीब 1.18 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा। फिर भी पाकिस्तान पर इससे दोगुना कर्ज होगा। ऐसे में कर्ज चुकाना आसान नहीं होगा।

मई 2024 में IMF ने पाकिस्तान के कर्ज चुकाने की क्षमता पर संदेह जताया था। IMF ने कहा कि पाकिस्तान की कर्ज चुकानी की क्षमता पर जोखिम है। यह पाकिस्तान की नीतियों और समय पर बाहरी कर्ज मिलने पर निर्भर करेगा की वे लोन चुका पाएंगे या नहीं।

सवाल-6: देश पर कर्ज और महंगाई के बीच क्या रिश्ता है? जवाब: कर्ज लेना हमेशा देश के लिए खराब नहीं होता। वहीं आमतौर पर इसका महंगाई से कोई सीधा संबंध भी नहीं है। सरकार कर्ज के पैसे को इनकम बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करती है। कर्ज का पैसा जब बाजार में आता है तो इससे सरकार का रेवेन्यू बढ़ता है।

केयर रेटिंग एजेंसी के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस के मुताबिक अगर कर्ज के पैसे का गलत इस्तेमाल हो तो महंगाई बढ़ भी सकती है। जैसे- कर्ज लेकर पैसा आम लोगों में बांट दिया जाए तो लोग ज्यादा चीजें खरीदने लगेंगे। इससे बाजार में चीजों की मांग बढ़ेगी। मांग बढ़ने के बाद आपूर्ति सही नहीं रही तो चीजों की कीमत बढ़ेगी।

पाकिस्तान के मामले में स्थिति अलग है। पाकिस्तान के कर्ज लेने से उसके देश में महंगाई बढ़ी है। इसकी वजह IMF ने पाकिस्तान को लोन देने के बदले सब्सिडी बंद करने की शर्त रखी है। इससे चीजों की कीमतें बढ़ जाती है।

पाकिस्तान के अलावा दूसरे देश भी कर्ज लेते हैं, लेकिन वे अपने देश के विकास पर कर्ज के पैसे खर्च करते हैं। पाकिस्तान के केस में ऐसा नहीं है। 2014 में पाकिस्तान की GDP 22.8 लाख करोड़ रुपए ($271 बिलियन) थी अगले 10 सालों में महज 37% बढ़कर 31.5 लाख करोड़ रुपए ($373 बिलियन) हुई। वहीं इसी दौरान भारत की GDP में 92% तक बढ़ोतरी हुई। इससे यह साफ है कि पाकिस्तान कर्ज में लिए पैसों का इस्तेमाल देश के विकास के अलावा दूसरे कामों में करता है।

सवाल-7: भारत पर कितना कर्ज है और उसका कर्ज पाकिस्तान के मुकाबले अलग कैसे है? जवाब: दिसंबर 2024 में भारत पर कुल विदेशी कर्ज करीब 60 लाख करोड़ ($717.9 बिलियन) है। भारत पाकिस्तान की तरह आर्मी को फंड करने या कर्ज चुकाने कर्ज नहीं लेता, बल्कि देश के विकास और सरकारी योजनाओं पर कर्ज के पैसे खर्च करता है। भारत की GDP में होती बढ़ोतरी इसका सबूत है। 2014 में जहां भारत की GDP $2,039 बिलियन यानी लगभग 172 लाख करोड़ थी, वह 2024 तक 92% बढ़कर $3,909 बिलियन यानी लगभग 330 लाख करोड़ हो गई है।

2020 में आई कोविड-19 महामारी के बाद से भारत सरकार कई तरह की सब्सिडी भी दे रहा है। जैसे-

  • 80 करोड़ लोगों को हर महीने मुफ्त अनाज
  • करीब 10 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को उज्जवला योजना के तहत मुफ्त गैस सिलेंडर
  • करीब 9 करोड़ किसानों को सालाना 6 हजार रुपए
  • PM आवास योजना के तहत दो करोड़ लोगों को घर बनाने में आर्थिक सहायता

अर्थशास्त्री सुव्रोकमल दत्ता का मानना है कि कर्ज लेना हमेशा किसी देश के लिए खराब ही नहीं होता है। भारत की इकोनॉमी 3 ट्रिलियन से ज्यादा की हो गई है। इस हिसाब से देखें तो उसका कर्ज उतना ज्यादा नहीं है। ये पैसा सरकार वंदे भारत जैसी ट्रेन चलाने, रोड और एयरपोर्ट बनाने पर खर्च करती है, जो देश के विकास के लिए जरूरी है।

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रिसर्च सहयोग- श्रेया नाकाड़े

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