आज का एक्सप्लेनर: पाकिस्तान ने क्यों खेला पहलगाम अटैक का खतरनाक दांव, क्या हासिल करना चाहता था; कितना भारी पड़ेगा पाक आर्मी चीफ का ब्लंडर h3>
पहलगाम हमले के बाद शक की सुई सीधे पाकिस्तान की मिलिट्री और उसके चीफ असीम मुनीर की तरफ घूम गई है। हमले से ठीक 6 दिन पहले असीम ने कश्मीर को पाकिस्तान के ‘गले की नस’ कहा था। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि पाक आर्मी चीफ असीम मुनीर का दिया बयान कहीं न कहीं इस हम
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पाक सेना प्रमुख का भाषण सवालों में क्यों हैं, पाकिस्तान ने पहलगाम हमले का खूनी दांव क्यों खेला और इसकी कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर…
सवाल 1: पहलगाम आतंकी हमले से पहले दी गई पाक आर्मी चीफ असीम मुनीर की स्पीच सवालों में क्यों है? जवाबः 16 अप्रैल 2025 को इस्लामाबाद में ओवरसीज पाकिस्तानी कन्वेंशन में जनरल असीम मुनीर ने कहा कि कश्मीर पाकिस्तान के लिए ‘गले की नस’ है और इसे कभी नहीं भूला जाएगा। उन्होंने टू-नेशन थ्योरी का बचाव करते हुए हिंदुओं और मुसलमानों को अलग-अलग सभ्यताएं बताया और कहा कि पाकिस्तान का अस्तित्व इस विचारधारा पर टिका है। मुनीर ने बयान की 3 बातें गौर करने वाली हैं….
- पाकिस्तान की नींव कलमे (इस्लाम धर्म का मूल मंत्र) पर रखी गई। हम हर मामले में हिंदुओं से अलग हैं। हमारा धर्म अलग है, रीति-रिवाज अलग हैं, संस्कृति और सोच अलग है। यही टू-नेशन थ्योरी की नींव थी। इसी वजह से हम एक देश नहीं, दो देश हैं।
- आज तक सिर्फ दो रियासतों की बुनियाद कलमे पर पड़ी। पहली रियासत-ए-तैयबा, क्योंकि तैयबा को हमारे नबी (मोहम्मद साहब) ने नाम दिया था। आज उसे मदीना कहते हैं। वहीं, दूसरी रियासत 1300 साल बाद अल्लाह ने पाकिस्तान बनाई।
- कश्मीर हमारी ‘गले की नस’ था, है और रहेगा। हम इसे कभी नहीं भूलेंगे। हम अपने कश्मीरी भाइयों को उनके वीरतापूर्ण संघर्ष में अकेले नहीं छोड़ेंगे।
पाकिस्तान के सीनियर जर्नलिस्ट आदिल रजा ने असीम की स्पीच का कनेक्शन पहलगाम हमले से जोड़ा। उन्होंने X पर लिखा,
यह हमला फासीवादी असीम मुनीर और सेना में उसके साथियों ने अपने निजी हितों को पूरा करने के लिए कराया। इसलिए, पाकिस्तान को पाकिस्तानी आर्मी की हरकतों की वजह से गलत नहीं ठहराया जा सकता।
कई एक्सपर्ट्स असीम के बयान और पहलगाम हमले को संयोग से ज्यादा आतंकियों के लिए ‘इशारा’ मानते हैं। पहलगाम हमले में जिस तरह से हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया, उसमें असीम की बातों का असर साफ दिखता है।
अखिल भारत हिंदू महासभा और कुछ X यूजर्स ने सीधे मुनीर को हमले का जिम्मेदार ठहराया, दावा किया कि उनके बयानों ने आतंकियों को उकसाया। पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने भी मुनीर और ISI पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
BHU में यूनेस्को चेयर फॉर पीस प्रोफेसर प्रियंकर उपाध्याय मानते हैं, ‘आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF), जिसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का सहयोगी माना जाता है, ने हमले की जिम्मेदारी ली। इसे पाकिस्तानी सेना और ISI से मदद मिलती रहती है।’
सवाल-2: पाकिस्तान ने पहलगाम हमले का खतरनाक दांव क्यों खेला? जवाबः पाकिस्तान इस समय बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उसकी पूछ-परख नहीं हो रही, अफगानिस्तान अंदर घुसकर हमले कर रहा और तो और पाकिस्तानी अवाम भी महंगाई के चलते सरकार से परेशान है। पहलगाम हमले के पीछे 4 फैक्टर हो सकते हैं…
1. भारत सरकार ने आर्टिकल 370 हटाया, कश्मीरियों ने स्वीकारा पाकिस्तानी सेना के लिए कश्मीर मुद्दे पर अपनी पकड़ कम होना एक कड़वी गोली की तरह है। अगस्त 2019 में मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटा दिया। 10 साल बाद 2024 में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुए। नेशनल कॉन्फ्रेंस की अब्दुल्ला सरकार बनी। हालात सामान्य होने लगे। इस दौरान कश्मीर में टूरिज्म भी बढ़ा। दूसरे राज्यों से लोग काम के सिलसिले में भी कश्मीर आने लगे, जिससे पाकिस्तान की रणनीति बेकार हो गई।
2. अलगाववादी हमले, महंगाई, कर्ज… अंदरूनी मसलों से लड़ता देश इन दिनों पाकिस्तान की इंटरनल पॉलिटिक्स कई वजहों से गर्म है। बलूच अलगाववादियों ने हाल ही में एक पूरी ट्रेन को बंधक बना लिया। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) आदिवासी इलाकों में हावी होने लगी। देश पर कर्ज बढ़ता जा रहा है और लोग सरकार से इसका जवाब मांगने लगे हैं।
जब आंतरिक रूप से चीजें बिखर जाती हैं, तो सेना ऐसे किसी मुद्दे को उठाती है, जो देश को एकजुट कर सके। इसका सबसे अच्छा टूल है कश्मीर अस्थिर करके भारत को दुश्मन की तरफ पेश करना।
3. पूरी दुनिया में पाकिस्तान का अलग-थलग पड़ जाना असीम मुनीर ने कहा था- ‘पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिसकी अपनी पहचान है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।’ लेकिन बीते कुछ समय से पाकिस्तान को दुनियाभर के देश नजरअंदाज कर रहे हैं। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर आए, लेकिन उनकी लिस्ट में पाकिस्तान का नाम दूर-दूर तक नहीं है।
ईरान के साथ पाकिस्तान की बॉर्डर पर भी हालात खराब हैं। हाल ही में बलूच उग्रवादी संगठन ने 8 पाकिस्तानी प्रवासी मजदूरों की गोली मारकर हत्या कर दी। अफगानिस्तान तक भाव नहीं दे रहा है।
4. भारत की अन्य मुस्लिम देशों से बढ़ती नजदीकियां 1971 की जंग में सऊदी अरब ने पाकिस्तान का साथ दिया था। लेकिन अब सऊदी अरब समेत कई मुस्लिम देश पाकिस्तान से नाता तोड़ने लगे हैं। अफगानिस्तान ने भारत के साथ रिश्ते सुधारे, तो पाकिस्तान में अंदर घुसकर गोलीबारी की।
पाकिस्तान-तालिबान के बीच झड़प में टैंकों का भी इस्तेमाल हुआ। फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल है।
सवाल-3: पहलगाम आतंकी हमले से पाकिस्तान हासिल क्या करना चाहता था? जवाबः पहलगाम आतंकी हमले के पीछे 4 बड़े मकसद हो सकते हैं…
1. कश्मीर में पर्यटन और विकास रोकना: पहलगाम को मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है। 2023 में 2.11 करोड़ और 2024 में 2.35 करोड़ पर्यटक कश्मीर आए, जिससे स्थानीय कारोबार बढ़ा। हमले में पर्यटकों को निशाना बनाकर टूरिज्म को प्रभावित करना चाहता था।
2. हिंदू-मुसलमान के बीच नफरत फैलाना: आतंकियों ने टूरिस्ट्स से उनका नाम और धर्म पूछा, कलमा पढ़ने को कहा और हिंदू होने पर मार दिया। इस हमले से भारत में हिंदू-मुसलमान के बीच तनाव पैदा करने की कोशिश की। इससे भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंचा।
3. भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव डालना: यह हमला उस समय हुआ जब अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर थे। पाकिस्तान ने इस हमले से भारत को बदनाम करना चाहा और दिखाना चाहा कि कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
4. कश्मीर में आतंकी संगठनों को बढ़ावा देना: हमले की जिम्मेदारी TRF ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा का हिस्सा है। पाकिस्तान ने अपने समर्थन वाले आतंकी संगठनों के लड़ाकों को हमला करने के लिए मोटिवेट किया। कश्मीर में आतंकवाद को जिंदा रखने की कोशिश की, क्योंकि आर्टिकल 370 के बाद यह मुद्दा कमजोर हो गया था।
सवाल-4: क्या हमले की टाइमिंग और तरीका भी कुछ कहता है? जवाबः पहलगाम हमले की टाइमिंग और तरीका बताता है कि ये हमला एक बड़ी प्लानिंग के साथ हुआ है, जो बिना पाकिस्तानी सेना की मदद के संभव नहीं लगता। एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये टाइमिंग 3 बड़े संकेत दे रही है…
- पहलगाम हमले के वक्त अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस परिवार के साथ भारत में मौजूद थे। अमेरिकी उपराष्ट्रपति की सिक्योरिटी प्रोटोकॉल, इंटेलिजेंस इनपुट्स के बावजूद आतंकियों ने कश्मीर पर हमला करके ये मैसेज देने की कोशिश की- ‘हम कभी भी कुछ भी कर सकते हैं।‘
- 22 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब के जेद्दाह में थे। आतंकियों ने सऊदी अरब समेत मिडिल ईस्ट के मुस्लिम देशों और भारत सरकार को मैसेज देने की कोशिश की- ‘कश्मीर का मुद्दा अभी खत्म नहीं हुआ।’
- 3 जुलाई से अमरनाथ यात्रा शुरू होने जा रही है। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन यानी BRO ने यात्रा मार्ग से बर्फ हटाने के काम शुरू कर दिया और सुरक्षा के कड़े इंतजाम होने लगे। हमले की जगह यानी पहलगाम के बेस कैंप से ही अमरनाथ यात्रा शुरू होती है। ऐसे में पहलगाम में हमला कर आतंकियों ने अमरनाथ यात्रा के लिए धमकी दी।
22 अप्रैल को पहलगाम घाटी में हमले की जगह दिखाती पीड़िता।
सवाल-5: पाकिस्तान को कितना भारी पड़ेगा पहलगाम हमला? जवाबः 23 अप्रैल को PM मोदी ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी यानी CCS की बैठक की। इस मीटिंग में पाकिस्तान पर कार्रवाई करते हुए 5 बड़े फैसले लिए गए…
- पाकिस्तान के सीमा पार आतंकवाद का समर्थन रोकने तक सिंधु जल समझौता स्थगित।
- अटारी-वाघा चेक पोस्ट तुरंत बंद किया। कानूनी तौर पर जो लोग चेक पोस्ट पार कर चुके हैं, उन्हें 1 मई से पहले वापस जाने के आदेश दिए।
- पाकिस्तानी नागरिकों के पुराने और पहले से जारी वीजा रद्द होंगे। साथ ही नया वीजा नही मिलेगा। पहले से भारत आए पाकिस्तानियों को अगले 48 घंटे में देश छोड़ना होगा।
- दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात रक्षा सलाहकारों को एक हफ्ते में भारत छोड़ना होगा। इन पदों को अब खत्म माना जाएगा। भारत भी अपने रक्षा सलाहकारों को इस्लामाबाद से वापस बुलाएगा।
- भारत और पाकिस्तान उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 की जाएगी। ये कटौती 1 मई 2025 से लागू होगी।
23 अप्रैल को PM मोदी ने CCS की बैठक की।
भारत के पूर्व डिप्लोमैट और रिटायर्ड IFS अफसर जेके त्रिपाठी मानते हैं कि इन फैसलों में सबसे बड़ा फैसला है सिंधु जल समझौते पर रोक। वे कहते हैं,
सिंधु जल समझौते का सीधा असर आम पाकिस्तानियों पर पड़ेगा। इस समझौते के तहत पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भारत से पानी जाता था, जो अब रुक जाएगा। इससे वहां चीख-पुकार मच जाएगी।
लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ कहते हैं, ‘इससे पहले की जंगों में भी ये संधि नहीं टूटी, लेकिन जब टूरिस्ट्स पर हमला हुआ तो भारत ने सभी सख्त कदम उठाने का फैसला किया। अगर भारत ने अपने हिस्से का 20% पानी भी पूरी तरह इस्तेमाल कर लिया तो पाकिस्तानी पंजाब में पानी नहीं पहुंचेगा। पंजाब, पाकिस्तान का हार्टलैंड है। पंजाब का किसान तो तड़पेगा ही, आर्मी और नेताओं के लिए भी पंजाब सबसे जरूरी है।’
सतीश दुआ कहते हैं कि इस तरह के कायराना हमले के बाद सरकार को तीन स्तर पर कार्रवाई करनी चाहिए- डिप्लोमैटिक, इकोनॉमिक और मिलिट्री एक्शन। सरकार ने CCS की मीटिंग में डिप्लोमैटिक स्तर पर अटारी बॉर्डर बंद करने, दूतावास में ऑफिसर्स की संख्या घटाने जैसे कदम उठाने के अलावा सिंधु जल समझौते को रोकने का फैसला किया है इनका असर तो आएगा ही। साथ ही अब जल्द ही मिलिट्री एक्शन भी होने की संभावना है। मिलिट्री एक्शन पहले किया जाता है, बाद में उसकी घोषणा की जाती है।
सतीश दुआ कहते हैं, ‘पाकिस्तान के टारगेट्स पर हमले से वह बौखला सकता है, जंग जैसी स्थितियां भी बन सकती हैं, लेकिन पाकिस्तान आज आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य तीनों ही स्तर पर इस समय बहुत कमजोर है। वह जंग लड़ने की स्थिति में नहीं है। उनका सबसे लोकप्रिय नेता इमरान खान जेल में है। आर्मी चीफ खुद को सर्वेसर्वा साबित करना चाहता है। वहीं भारत का रुख है- ‘Enough is Enough’। वह अब आतंकवाद बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है, इसलिए वह पाकिस्तान के हर जवाब के लिए तैयार रहेगा। इस रुख से पाकिस्तान को भारी आर्थिक, कूटनीतिक और सैन्य नुकसान होगा।’
कुछ एक्सपर्ट्स इस मोमेंट की तुलना परवेज मुशर्रफ के कारगिल में घुसपैठ से करते हैं। उस समय पाकिस्तानी सेना प्रमुख मुशर्रफ ने कारगिल में घुसपैठ की योजना बनाई, जिसमें पाकिस्तानी सैनिकों ने LoC पार कर भारतीय क्षेत्र में रणनीतिक चौकियों पर कब्जा किया। इसका उद्देश्य कश्मीर में भारत की स्थिति को कमजोर करना और अंतरराष्ट्रीय ध्यान खींचना था। मुशर्रफ जंग तो हारे ही, बाद के सालों में अपना देश छोड़कर भी भागना पड़ा था।
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