आज का एक्सप्लेनर: क्या मुस्लिम भाईचारे के नाम पर पाकिस्तान को तुर्किये का साथ, कराची पहुंचा खतरनाक युद्धपोत; भारत से क्या दुश्मनी

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आज का एक्सप्लेनर:  क्या मुस्लिम भाईचारे के नाम पर पाकिस्तान को तुर्किये का साथ, कराची पहुंचा खतरनाक युद्धपोत; भारत से क्या दुश्मनी

आज का एक्सप्लेनर: क्या मुस्लिम भाईचारे के नाम पर पाकिस्तान को तुर्किये का साथ, कराची पहुंचा खतरनाक युद्धपोत; भारत से क्या दुश्मनी

भारत पहलगाम में हुए आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी में है, उधर तुर्किये ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर अपना सबसे खतरनाक युद्धपोत खड़ा कर दिया है। तुर्किये ने भले ही इसे रूटीन दौरा बताया हो, लेकिन इसकी टाइमिंग कई सवाल खड़े कर रही है।

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पिछले दिनों तुर्किये के 7 मिलिट्री कार्गो प्लेन के पाकिस्तान में उतरने की खबरें आई थीं, जिनमें हथियार और ड्रोन की सप्लाई का अंदेशा जताया गया। हालांकि तुर्किये ने इससे इनकार किया था।

क्या तुर्किये भारत के खिलाफ खुलकर आ गया है, राष्ट्रपति एर्दोगन के पाकिस्तान को सपोर्ट करने की क्या वजहें हो सकती हैं और भारत इससे कैसे निपटेगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…

सवाल-1: भारत-पाक तनाव के बीच तुर्किये की नेवी का युद्धपोत कराची क्यों पहुंचा? जवाबः 4 मई 2025 को तुर्किये नौसेना का युद्धपोत TCG बुयुकडा (F-512) पूरे बेड़े के साथ पाकिस्तान के कराची पोर्ट पर पहुंचा। पाकिस्तानी नौसेना ने कहा है कि इस पोर्ट टूर का मकसद दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग को मजबूत करना है। तुर्किये ने भी इसे तालमेल बढ़ाने वाला कदम बताया।

तुर्किये का वॉरशिप ऐसे समय में कराची पहुंचा, जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की सेनाएं किसी भी कार्रवाई के लिए अलर्ट पर हैं। TCG बुयुकडा उस बैठक के बाद कराची पहुंचा है, जिसमें तुर्किये के राजदूत डॉ. इरफान नेजीरोग्लू ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से एकजुटता का वादा किया था।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि जंग शुरू होने की कशमकश में पाकिस्तान ने तुर्किये का वॉरशिप मंगाया होगा, जिससे भारत को संदेश दिया जा सके। तुर्किये के इस जहाज के 7 मई तक कराची में ही खड़े रहने की संभावना है।

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ कहते हैं, ‘भारत के साथ तनातनी के माहौल के बीच तुर्किये पाकिस्तान को अपना समर्थन दिखाना चाहता है। इसीलिए उसने तुर्किये TCG बुयुकडा को पाकिस्तान भेजा है।’

सवाल-2: क्या तुर्किये ने पाकिस्तान को हथियार, गोला-बारूद और ड्रोन्स भी भेजे हैं? जवाबः 27 अप्रैल को तुर्किये के 7 C-130 हरक्यूलिस विमान पाकिस्तान में लैंड हुए। इनमें से 6 इस्लामाबाद और एक कराची के एयरफोर्स बेस ‘फैसल’ पर उतरा। इनमें बायरेक्टर TB2 ड्रोन, छोटे हथियार, स्मार्ट बम और गाइडेड मिसाइल सिस्टम होने का दावा किया गया। हालांकि तुर्किये ने इससे इनकार किया।

तुर्किये से कथित युद्ध सामग्री लेकर पाकिस्तान पहुंचा सैन्य विमान।

2018 में दोनों देशों के बीच MİLGEM प्रोजेक्ट का समझौता हुआ। इसके तहत तुर्किये ने पाकिस्तान के साथ चार Ada-क्लास कोरवेट युद्धपोत सप्लाई करने का करार किया। इनमें से दो जहाज तुर्किये में और दो पाकिस्तान में बनाए जा रहे हैं। 2023 में पहला जहाज PNS बाबर कमीशन हुआ था। TCG बुयुकडा इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा है।

2018 में तुर्किये और पाकिस्तान के बीच 30 T129 हेलिकॉप्टर का सौदा हुआ। इसके अलावा 4 मिल्जम-क्लास कोरवेट्स का भी सौदा हुआ, जिसकी डिलीवरी 2025 में होनी है।

इसके अलावा दोनों देशों के बीच पाकिस्तान और तुर्किये में संयुक्त सैन्य अभ्यास भी होते हैं।

सवाल-3: क्या जंग की स्थिति में तुर्किये पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के खिलाफ लड़ेगा? जवाबः तुर्किये और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सैन्य संबंध बहुत मजबूत हैं। दोनों देश इस्लामिक सहयोग संगठन यानी OIC के सदस्य हैं और कई मुद्दों पर एक-दूसरे का समर्थन करते हैं।

1971 के भारत-पाक युद्ध में भी तुर्किये ने पाकिस्तान को कूटनीतिक समर्थन दिया था। हालांकि सैन्य सहायता सीमित थी।

JNU के रिटायर्ड प्रोफेसर और विदेश मामलों के जानकार राजन कुमार कहते हैं,

तुर्किये पहले भी कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का सपोर्ट करता रहा है। 2019 और 2020 में यूनाइटेड नेशन्स यानी UN की जनरल असेंबली में तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन ने कश्मीर को ‘विवादित क्षेत्र’ बताया था। इसके अलावा 2019 में कश्मीर से ‘आर्टिकल 370’ को हटाने के भारत के फैसले का विरोध किया था।

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2019 में पाकिस्तान दौरे के दौरान पाकिस्तानी संसद में तुर्किये राष्ट्रपति एर्दोगन ने कहा कि कश्मीर पाकिस्तान के लिए जितना महत्वपूर्ण, हमारे लिए भी उतना ही अहम है।

प्रो. राजन कुमार के मुताबिक, ‘इसमें कोई शक नहीं कि अगर भारत से युद्ध हुआ तो तुर्किये पाकिस्तान का साथ देगा। तुर्किये अपने आप को इस्लामिक देशों के लीडर के रूप में देखता है। पाकिस्तान भी एक इस्लामिक देश है, इसलिए तुर्किये पाकिस्तान का साथ देने से पीछे नहीं हटेगा। इससे तुर्किये की ओर से वेस्ट एशिया में संदेश जाएगा कि वह यहां भी इस्लामिक देशों को लीड करने की ताकत रखता है।’

सवाल-4: भारत के खिलाफ जंग में तुर्किये पाकिस्तान की कैसे मदद कर सकता है?

जवाब: एक्सपर्ट्स मानते हैं कि जंग की स्थिति में तुर्किये 3 तरह से पाकिस्तान की मदद कर सकता है…

1. आर्टिलरी देकर: तुर्किये पाकिस्तान को हथियार, ड्रोन, युद्धपोत या खुफिया जानकारी दे सकता है। तुर्किये की ड्रोन टेक्नोलॉजी काफी बेहतर है। ऐसे में तुर्किये पाकिस्तान को ड्रोन्स देकर भारत में निगरानी या हमला करने में मदद कर सकता है। तुर्किये ने पहले भी पाकिस्तान को बायरेक्टर TB2 ड्रोन, MİLGEM कोरवेट युद्धपोत समेत कई हथियार सप्लाई किए हैं। PNS बाबर इसका मौजूदा उदाहरण है।

2. आर्थिक सहायता: तुर्किये पाकिस्तान को पैसे देकर आर्थिक मदद कर सकता है, लेकिन यह बहुत ज्यादा सीमित होगी, क्योंकि तुर्किये भी इकोनॉमिकली मजबूत नहीं है। तुर्किये की ओर से मदद सीमित हो सकती है। दूसरी तरफ तुर्किये यह भी देखेगा कि पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ कम नहीं है। पाकिस्तान पर इस समय 21.6 लाख करोड़ से ज्यादा कर्ज है, जिसे चुकाना बेहद मुश्किल हो रहा है।

3. कूटनीतिक मदद: तुर्किये UN या OIC जैसे ऑर्गनाइजेशन में भारत के खिलाफ प्रस्ताव लाकर या कश्मीर मुद्दे को उठाकर पाकिस्तान का समर्थन कर सकता है। तुर्किये का कश्मीर पर रुख पाकिस्तान के साथ जुड़ता है। ऐसे में तुर्किये की कूटनीतिक मदद की संभावना बढ़ जाती है।

प्रो. राजन कुमार कहते हैं, ‘तुर्किये अपने सैनिक भेजकर भारत जैसे बड़े और सैन्य रूप से शक्तिशाली देश के खिलाफ सीधे युद्ध में शामिल होने से बचेगा। भारत के INS विक्रांत और INS कुठार जैसे जहाज तुर्किये के TCG बुयुकाडा से ज्यादा ताकतवर हैं।’

4 मई को कराची पोर्ट पहुंचा तुर्किये का TCG बुयुकडा युद्धपोत।

राजन कुमार आगे कहते हैं,

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तुर्किये नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) का सदस्य है। अगर तुर्किये भारत के खिलाफ युद्ध में सीधे तौर पर शामिल होता है, तो उसे NATO और अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों का विरोध झेलना पड़ सकता है। इसके अलावा तुर्किये और भारत के बीच 4,565 किलोमीटर की दूरी है। तुर्किये की सेना भारत के खिलाफ युद्ध के लिए पाकिस्तान के रास्ते या समुद्र के रास्ते से लड़ने की स्थिति में नहीं है। यह रसद यानी लॉजिस्टिक्स के लिहाज से बहुत मुश्किल और महंगा होगा। इस वजह से तुर्किये सीधे लड़ने की जगह पाकिस्तान को बैक सपोर्ट करेगा।

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सवाल-5: तुर्किये पाकिस्तान के साथ और भारत के खिलाफ खुलकर क्यों खड़ा है? जवाबः प्रो. राजन कुमार कहते हैं…

  • तुर्किये मुस्लिम देशों को एकसाथ लाने की कोशिश कर रहा है। इनमें तुर्किये, फिलिस्तीन, सऊदी अरब, ईरान और पाकिस्तान शामिल हैं। यह पांचों देश OIC में अपने आप को लीडर के रूप में देखते हैं।
  • पाकिस्तान और तुर्किये की सबसे बड़ी कमजोरी इनकी इकोनॉमी है और इनके पास तेल नहीं है। कमजोर तुर्किये कमजोर पाकिस्तान के मिलकर मजबूत देश बनाना चाहता है।
  • तुर्किये ओटोमन एम्पायर को दोबारा खड़ा करना चाहता है। तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोगन कई मौकों पर इस बात का ऐलान कर चुके हैं।
  • पाकिस्तान बड़ा इस्लामिक देश है और हिंदुस्तान में हिंदुओं की संख्या ज्यादा है। पाकिस्तान की मदद करने से छोटे-छोटे इस्लामिक देशों में तुर्किये के लिए पॉजिटिव मैसेज जाएगा।
  • तुर्किये और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक रिश्ते भी हैं। 1947 में पाकिस्तान के बनने के बाद तुर्किये ने इसे फौरन मान्यता दी और UN में समर्थन किया।
  • दोनों देश 1950 के दशक में अमेरिका के सैन्य गठबंधन सेंट्रल ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन यानी CENTO के सदस्य थे, जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग मजबूत बना।
  • पाकिस्तान के लोग तुर्किये की ओटोमन एम्पायर और सूफी परम्पराओं का समर्थन करते हैं, जिससे तुर्किये को साउथ एशिया में भरोसेमंद दोस्त के रूप में पाकिस्तान नजर आता है।

तुर्किये और भारत के बीच पिछले कुछ वक्त से रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। 10 जुलाई 2024 को उसने भारत को सैन्य उपकरण बेचने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी क्योंकि वो कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानता।

सवाल-6: तुर्किये और पाकिस्तान की दोस्ती से भारत कैसे निपटेगा?

जवाबः तुर्किये पाकिस्तान की मदद कर जंग को लम्बा खींच सकता है, लेकिन भारत को हरा नहीं सकता। तुर्किये की कार्रवाई पर भारत पूरी ताकत से जवाब दे सकता है। भारत हिंद महासागर में तुर्किये के शिप ब्लॉक कर सकता है और जरूरत पड़ने पर सैन्य कार्रवाई भी कर सकता है। तुर्किये 3 बड़े हथियारों से पाकिस्तान की मदद कर सकता है। हालांकि भारत के पास इनका जवाब देने के लिए ज्यादा बेहतर हथियार हैं…

1. बायरेक्टर टीबी2 ड्रोन तुर्किये का बायरेक्टर टीबी2 ड्रोन दुनिया के सबसे बेहतरीन ड्रोन में से एक है, जो 27 घंटे तक उड़ान भर सकता है। यह 150 से 300 किमी की रेंज में सटीक हमले कर सकता है और लेजर-गाइडेड स्मार्ट म्यूनिशन ले जा सकता है।

भारत के पास मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम: यह ड्रोन स्टील्थ टेक्नोलॉजी और सटीकता की वजह से पहाड़ी इलाकों में भारत के लिए मुसीबत बन सकता है। हालांकि भारत के पास S-400 और आकाश जैसा एयर डिफेंस सिस्टम है, जो आमतौर पर ड्रोन के हमलों को रोकने में कामयाब होता है। लेकिन बायरेक्टर की स्पीड, सटीकता और छोटे आकार की वजह से चुनौती जरूर होगी।

टेस्टिंग के दौरान भारत S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम।

2. स्मार्ट बम और गाइडेड मिसाइल सिस्टम तुर्किये ने रॉकेटसन MAM-L, MAM-C और ATMACA जैसे एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम बनाए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 28 अप्रैल को तुर्किये ने C-130 विमान से पाकिस्तान को यह हथियार भेजे। यह पाकिस्तान के JF-17 फाइटर जेट या ड्रोन्स में लग सकते हैं, जिससे हमले की क्षमता बढ़ जाएगी।

भारत की हवा में मारने वाली मिसाइलें: भारत S-400, आकाश एयर डिफेंस सिस्टम, सतह से हवा में मारने वाली MR-SAM मिसाइल स्पाइस-2000 बमों से जवाब दे सकता है। भारत के ये हथियार तुर्किये के स्मार्ट बम और गाइडेड मिसाइलों को हवा में मार गिराने में सक्षम हैं।

3. युद्धपोत और ड्रोन कैरियर तुर्किये पाकिस्तान को TCG अनादोलु जैसे ड्रोन कैरियर और MILGEM कैटेगरी के फ्रिगेट और कोरवेट दे सकता है, जो भारतीय नौसेनिक ठिकानों पर हमला कर सकते हैं। TCG अनादोलु तुर्किये का पहला लाइट एयरक्राफ्ट कैरियर है, जिसे 2023 में कमीशन किया गया। इसके अलावा इस्तांबुल फ्रिगेट एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वाला जहाज है, जो बख्तरबंद गाड़ियों और बंकरों को भी तबाह कर सकता है।

भारत की नौसेना ज्यादा ताकतवर: भारत के पास 150 वॉरशिप और सबमरीन्स हैं, जो तुर्किये के जहाजों को जंग में हरा सकती हैं। भारत के INS विक्रांत, INS विक्रमादित्य, INS विशाखापट्टनम और पनडुब्बियां हैं, जो तुर्किये के हमलों को रोक सकती हैं और जवाबी कार्रवाई में तबाह कर सकती हैं।

इसके अलावा भारत तुर्किये को सबक सिखाने के लिए आर्मेनिया और इजराइल को सपोर्ट कर सकता है, क्योंकि इन दोनों पड़ोसी देशों की तुर्किये से अदावत है।

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