आज का एक्सप्लेनर: क्या बिकेगा इंस्टाग्राम और वॉट्सएप, कैसे धोखाधड़ी के केस में फंसे मार्क जुकरबर्ग; आपके सोशल मीडिया अकाउंट्स पर कितना फर्क पड़ेगा?

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आज का एक्सप्लेनर:  क्या बिकेगा इंस्टाग्राम और वॉट्सएप, कैसे धोखाधड़ी के केस में फंसे मार्क जुकरबर्ग; आपके सोशल मीडिया अकाउंट्स पर कितना फर्क पड़ेगा?

आज का एक्सप्लेनर: क्या बिकेगा इंस्टाग्राम और वॉट्सएप, कैसे धोखाधड़ी के केस में फंसे मार्क जुकरबर्ग; आपके सोशल मीडिया अकाउंट्स पर कितना फर्क पड़ेगा?

फेसबुक, इंस्टाग्राम, वॉट्सएप जैसे एप्स की पेरेंट कंपनी मेटा के खिलाफ 14 अप्रैल को ट्रायल शुरू हो गया है। US फेडरल ट्रेड कमीशन यानी FTC ने मेटा और इसके फाउंडर मार्क जुकरबर्ग पर सोशल मीडिया में एकाधिकार यानी मोनोपॉली और इसके गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया

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आखिर मेटा पर सोशल मीडिया मोनोपॉली के आरोप क्यों लगे, इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का क्या रोल है और क्या इंस्टाग्राम, वॉट्सएप बिक जाएंगे; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में….

सवाल-1: मार्क जुकरबर्ग की कंपनी मेटा पर अवैध एकाधिकार का मामला क्या है? जवाब: 9 दिसंबर 2020 को अमेरिका की फेडरल ट्रेड कमीशन यानी FTC और 46 राज्यों ने वॉशिंगटन डीसी की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मेटा के खिलाफ दो अलग-अलग मुकदमे दायर किए, जिसमें कहा गया…

  • 2012 में मेटा (तब फेसबुक) ने इंस्टाग्राम को 1 बिलियन डॉलर में खरीदा था। उस समय इंस्टाग्राम तेजी से बढ़ रहा फोटो शेयरिंग एप था, जिसे मेटा ने अपने प्लेटफॉर्म के साथ जोड़ा।
  • 2014 में मेटा ने पॉपुलर मैसेजिंग एप ‘वॉट्सएप’ को 19 बिलियन डॉलर में खरीदा। इसके जरिए मेटा ने मैसेजिंग मार्केट में धाक जमाई। इस खरीद का मकसद कॉम्पिटिशन को कम करना था, न कि प्लेटफॉर्म को बेहतर करना।
  • मेटा ने गलत तरीकों से सोशल मीडिया और मैसेजिंग मार्केट पर कब्जा किया। साथ ही सोशल मीडिया पर अवैध एकाधिकार यानी मोनोपॉली कर अन्य छोटी कंपनियों को दबा दिया।

पहला मुकदमा FTC ने दायर किया जून 2021 में जज जेम्स बोसबर्ग ने FTC के मुकदमे को खारिज कर दिया था। तब FTC साबित नहीं कर पाई कि मेटा के पास सोशल नेटवर्किंग बाजार में एकाधिकार था। जज ने कहा, ‘FTC ने मार्केट शेयर के सही आंकड़े नहीं दिए।’

अगस्त 2021 में FTC ने फिर से केस दायर किया और सबूत दिया कि 2018 में मेटा का सोशल नेटवर्किंग मार्केट में 60% से ज्यादा हिस्सा था। मेटा ने जानबूझकर स्नैपचैट जैसे कॉम्पिटिटर्स को दबाया। इस मुकदमे को कोर्ट ने मंजूर कर आगे बढ़ा दिया। इसका पहला ट्रायल 14 अप्रैल 2025 को वॉशिंगटन डीसी की कोर्ट में हुआ।

दूसरा मुकदमा 46 राज्यों ने दायर किया वॉशिंगटन डीसी, गुआम, अलास्का और कैलिफोर्निया जैसे 46 राज्यों की ओर से न्यूयॉर्क की अटॉर्नी जनरल लेटिटिया जेम्स ने केस लड़ा। FTC की तरह, इन राज्यों ने भी कहा कि मेटा ने इंस्टाग्राम और वॉट्सएप की खरीद के जरिए अवैध एकाधिकार बनाया।

जून 2021 में जज बोसबर्ग ने इस मुकदमे को भी खारिज कर दिया। जज ने कहा कि राज्यों ने मुकदमा दायर करने में देर कर दी, जबकि इंस्टाग्राम और वॉट्सएप की खरीद को 8-10 साल गुजर चुके थे और कानूनी समय सीमा खत्म हो गई थी। राज्य यह साबित नहीं कर पाए कि मेटा की पॉलिसी से उनके नागरिकों को सीधा नुकसान हुआ या नहीं।

सवाल-2: FTC ने मेटा पर क्या आरोप लगाए और मांग क्या है? जवाब: FTC ने मेटा पर 4 बड़े आरोप लगाए हैं…

1. मेटा की Buy-or-Bury स्ट्रैटजी: मेटा ने अपनी कॉम्पिटिटर कंपनियों को खरीद लिया या उन्हें बाजार से बाहर कर दिया। मेटा को लगा कि इंस्टाग्राम फेसबुक के लिए खतरा बन सकता था, इसलिए इंस्टाग्राम को खरीदकर अपने प्लेटफॉर्म में शामिल कर लिया। FTC ने कहा कि मेटा के पास सोशल नेटवर्किंग मार्केट का बड़ा हिस्सा था। मेटा ने नई कंपनियों के लिए मुकाबला करना मुश्किल कर दिया।

2. कॉम्पिटिटर्स को बढ़ने से रोका: मेटा ने छोटी कंपनियों को बढ़ने से रोका। इससे यूजर्स को नए सोशल मीडिया एप्स के ऑप्शन नहीं मिले। मेटा ने स्नैपचैट जैसे कॉम्पिटिटर्स को कमजोर करने की कोशिश की और अन्य एप्स के फीचर्स कॉपी कर इंस्टाग्राम पर लॉन्च किए।

3. डेटा स्ट्रैटजी से मार्केट पर कंट्रोल: मेटा ने अपनी मर्जी से डेटा स्ट्रैटजी अपनाई और पर्सनल सोशल नेटवर्किंग पर कब्जा किया। इन एप्स पर यूजर्स अपने परिवार और दोस्तों के साथ कनेक्ट होते थे। 2018 में मेटा का सोशल नेटवर्किंग मार्केट पर 60% से ज्यादा कब्जा था।

4. ऐड-मार्केट में मोनोपॉली बनाई: मेटा ने ऐड-मार्केट यानी विज्ञापन बाजार पर कब्जा किया। साथ ही अपनी मर्जी से विज्ञापनों के रेट तय किए, जिससे विज्ञापन देने वाली कंपनियों को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ी। यह शर्मन एंटीट्रस्ट एक्ट और क्लेटन एक्ट के सेक्शन 7 का उल्लंघन है। ये नियम ऐसी खरीद को रोकता है, जिससे कॉम्पिटिशन कम हो।

इसके अलावा FTC ने मेटा के इंटरनल ई-मेल और डॉक्यूमेंट्स पेश किए। इनमें मार्क जुकरबर्ग के 2012 के वो ई-मेल भी शामिल थे, जिसमें इंस्टाग्राम को खरीदने की जरूरत बताई थी, ताकि यह फेसबुक के लिए खतरा न बने।

मुकदमे में FTC की 3 बड़ी मांगें…

  • कंपनियों को अलग करना: मेटा को इंस्टाग्राम और वॉट्सएप को बेचने या अलग कंपनियां बनाने का आदेश दिया जाए।
  • बिना इजाजत की खरीद पर रोक: मेटा को FTC की मंजूरी के बिना ऐसी खरीद करने से रोका जाए, जो कॉम्पिटिशन को कम करती हो।
  • स्ट्रैटजी में बदलाव: मेटा की उन स्ट्रैटजीज को खत्म किया जाए जो डेवलपर्स या छोटी कंपनियों को दबाती हैं।

दुनियाभर में वॉट्सएप के 17 हजार करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं।

सवाल-3: मार्क जुकरबर्ग ने मुकदमे पर सफाई में क्या कहा? जवाब: वॉशिंगटन डीसी की कोर्ट में मार्क जुकरबर्ग ने 14 अप्रैल को 7 घंटे जवाब दिए और अगले दिन भी ये जारी रहा। अपने पहले ट्रायल में जुकरबर्ग ने मेटा का बचाव करते हुए 5 बड़ी बातें कहीं…

  • मेटा ने 2012 में इंस्टाग्राम और 2014 में वॉट्सएप को खरीदकर उन्हें बेहतर बनाया। इन खरीदों से दोनों एप्स की पहुंच और फीचर्स बढ़े, जिससे यूजर्स को ज्यादा सुविधाएं मिलीं। इंस्टाग्राम में मेटा ने भारी निवेश किया, जिससे यह एक ग्लोबल प्लेटफॉर्म बना।
  • सोशल मीडिया मार्केट में टिकटॉक, यूट्यूब, X, स्नैपचैट, और iMessage जैसे एप्स की वजह से ज्यादा कॉम्पिटिशन है। सोशल मीडिया अब सिर्फ दोस्तों-परिवार से जुड़ने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एंटरटेनमेंट और रिसर्च प्लेटफॉर्म बन गया है, जहां मेटा को कई कंपनियों से मुकाबला करना पड़ता है। इसलिए एकाधिकार यानी मोनोपॉली का आरोप गलत है।
  • मेटा अपने यूजर्स को फ्री एप्स देती हैं। इन पर दिखाए जाने वाले विज्ञापन के जरिए यूजर्स को नए प्रोडक्ट्स की जानकारी मिलती है। यह कहना गलत है कि यूजर्स को एप पर कम सिक्योरिटी और ज्यादा विज्ञापन मिले।
  • उस समय इंस्टाग्राम तेजी से बढ़ रहा था, इसलिए टीम को हमेशा बेहतर करने की चुनौती दी जाती थी, न कि सिर्फ प्रतिद्वंद्वियों को खरीदने की। फेसबुक का फोकस समय के साथ बदल गया। अब यह ‘डिस्कवरी एंड एंटरटेनमेंट’ पर ज्यादा फोकस्ड है।
  • FTC के 2012 के ई-मेल के आरोप में जुकरबर्ग ने कहा, ‘ये बातें उस समय के लिए थीं और अब पुरानी हो चुकी हैं। इंस्टाग्राम को खरीदने का मकसद फेसबुक की मोबाइल स्ट्रैटजी को मजबूत करना था, क्योंकि 2010 के दशक में फेसबुक डेस्कटॉप पर ज्यादा मजबूत था और इंस्टाग्राम मोबाइल में।’

14 अप्रैल को ट्रायल के लिए कोर्ट के बाहर मार्क जुकरबर्ग।

सवाल-4: सोशल मीडिया पर एकाधिकार करना अवैध क्यों है? जवाब: सोशल मीडिया पर एकाधिकार यानी मोनोपॉली करना अवैध है क्योंकि यह कॉम्पिटिशन को सीमित करता है। यूजर्स को नुकसान पहुंचाता है और नए एप्स को बढ़ने से रोकता है। एकाधिकार की वजह से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यूजर्स के डेटा पर पूरा कंट्रोल कर सकते हैं, जिससे डेटा के लीक होने का खतरा रहता है।

  • एकाधिकार से सोशल मीडिया पर अन्य प्लेटफॉर्म्स के लिए एंट्री करना मुश्किल हो जाता है।
  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेज की कीमतें बढ़ा सकते हैं, जिससे यूजर्स को नुकसान हो सकता है।
  • नए और बेहतर प्रोडक्ट्स और सर्विसेज को लॉन्चिंग का मौका नहीं मिलता।

उदाहरण से समझें- किसी शहर में किराने की एक बड़ी दुकान है, जो सारी चीजें बेचती है। अगर वह दुकान छोटी दुकानों को खरीद ले या उन्हें बंद करवा दे, तो ग्राहकों के पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं बचेगा। वे उसी बड़ी दुकान से मनमाने दामों पर सामान खरीदने को मजबूर होंगे। FTC का कहना है कि मेटा ने सोशल मीडिया और मैसेजिंग बाजार में ऐसा ही किया।

सवाल-5: मेटा और जुकरबर्ग से जुड़े इस मामले में डोनाल्ड ट्रम्प का क्या रोल है? जवाब: ट्रम्प और मेटा के बीच विवाद कुछ नया नहीं है। 2020 में ट्रम्प के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव हारने के बाद उनके समर्थकों ने कैपिटॉल बिल्डिंग पर हमला कर दिया था। डोनाल्ड ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर इससे जुड़े कई पोस्ट किए। फेसबुक ने ट्रम्प के पोस्ट को कंपनी के नियमों का उल्लंघन बताते हुए उन्हें फेसबुक और इंस्टाग्राम से बैन कर दिया था। ये बैन 2023 में हटाया गया।

ट्रम्प के पहले टर्म के दौरान ही FTC ने मेटा पर केस कर दिया था। हालांकि जब ट्रम्प अपने दूसरे टर्म के लिए वापस आए तो उनके और जुकरबर्ग के रिश्ते बेहतर होते दिखे। इससे ये अंदाजा लगाया जा रहा था कि ट्रम्प FTC को यह केस वापस लेने को कहेंगे, लेकिन अभी तक उन्होंने ऐसा नहीं किया है।

ट्रम्प और जुकरबर्ग के रिश्ते के बारे में सिलसिलेवार पढ़िए…

  • मेटा ने डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ ग्रहण के लिए 1 मिलियन डॉलर यानी करीब 8.58 करोड़ रुपए का फंड दिया था।
  • डोनाल्ड ट्रम्प की सलाहकार डीना पॉवेल मैककॉर्मिक और ट्रम्प समर्थक डाना वाइट को मेटा के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल किया गया है।
  • जनवरी में मेटा ने कंटेंट मॉडरेशन की उस पॉलिसी को वापस ले लिया, जिसे रिपब्लिकन पार्टी ने सेंसरशिप के समान बताया था।
  • डोनाल्ड ट्रम्प के फेसबुक और इंस्टाग्राम से सस्पेंशन का केस कोर्ट में चल रहा था। मेटा ने इसे 25 मिलियन डॉलर (करीब 214 करोड़ रुपए) देकर सेटल कर लिया।
  • वॉल स्ट्रीट जनरल के मुताबिक मार्क जुकरबर्ग ने FTC के केस वापस लेने के लिए ट्रम्प के करीबियों से लॉबिंग भी की थी।

20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ समारोह में मार्क जुकरबर्ग।

सवाल-6: क्या मार्क जुकरबर्ग इंस्टाग्राम-वॉट्सएप बेच देंगे और आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा? जवाब: FTC और मेटा के केस का शुरुआती ट्रायल 37 दिनों तक जारी रह सकता है। अगर फैसला आता है तो पेनल्टी अगले साल तक तय होगी। फिर अगर कोई पक्ष फैसले के खिलाफ अपील करता है तो उसके निपटारे में भी और एक साल लगेगा। ऐसे में अभी मार्क जुकरबर्ग मेटा का बंटवारा कर इंस्टाग्राम और वॉट्सएप बेचने के बारे में नहीं सोचेंगे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मेटा कोर्ट में ये दावा कर सकती है कि मेटा के इंस्टाग्राम खरीदने के बाद से यूजर्स का अनुभव बेहतर हुआ है। कंपनी का दावा है कि उन्होंने इंस्टाग्राम और वॉट्सएप को बेहतर करने और फेसबुक के साथ ग्रो करने के लिए खरीदा था।

इसके अलावा जुकरबर्ग लगातार ट्रम्प से रिश्ते बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर ट्रम्प की इस मामले में एंट्री हो जाती है तो मेटा के लिए हालात बेहतर हो सकते हैं। ऐसे में जुकरबर्ग अभी ही इंस्टाग्राम और वॉट्सएप को बेचने के बारे में नहीं सोचेंगे। हालांकि अगर मेटा ये केस हार जाती है तो ये नौबत आ सकती है।

वहीं, एक्सपर्ट्स का कहना है, ‘इससे आम आदमी के अकाउंट्स पर खतरा नहीं है क्योंकि जुकरबर्ग पर धोखाधड़ी का केस है, न कि सोशल मीडिया अकाउंट्स पर। हालांकि, अगर वाॉट्सएप और इंस्टाग्राम बिकते हैं, तो फिर उसके खरीदार पर निर्भर करेगा कि वे एप्स को आगे किस तरह चलाता है। फिर भी आम लोगों के अकाउंट्स से छेड़छाड़ करना बेवकूफी भरा कदम होगा।’

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रिसर्च सहयोग- श्रेया नाकाड़े

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