आचार्य सुधांशु महाराज बोले – बिना परिश्रम के सफलता संभव नहीं, जो भी करे मन से करे | Acharya Sudhanshu said – Success is not possible without hard work | News 4 Social

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आचार्य सुधांशु महाराज बोले – बिना परिश्रम के सफलता संभव नहीं, जो भी करे मन से करे | Acharya Sudhanshu said – Success is not possible without hard work | News 4 Social

आचार्य सुधांशु महाराज बोले – बिना परिश्रम के सफलता संभव नहीं, जो भी करे मन से करे | Acharya Sudhanshu said – Success is not possible without hard work | News 4 Social

भेल के दशहरा मैदान में चल रही शिव गीता कथा में आचार्य सुधांशु ने शिव भक्ति के माध्यम से जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिव नाम ही तारक ब्रह्म है। मुक्ति ,भक्ति,सफलता, आरोग्य ,सौभाग्य एवं समृद्धि शिव कृपा से ही प्राप्त होती है। भगवान भोलेनाथ परिश्रम का संदेश देते है। शिव भक्ति के माध्यम से उन्होंने बताया कि चाहे कोई भी काम करना हो बिना परिश्रम के सफलता नहीं मिलती। अगर बिना परिश्रम के सफलता मिल भी गई तो वह टिकती नही। इसलिए बार-बार रोना न पड़े, पछताना न पड़े, दुखी न होना पड़े तो परिश्रम करे, सफलता अवश्य मिलेगी। भगवान की कृपा भी उसी पर होती है जो सच्चे मन से परिश्रम करता है।

राज्य अतिथि का सम्मान, हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालु आचार्य सुधांशु दोपहर 4 बजे दिल्ली से भोपाल पहुंचे। इस दौरान एयरपोर्ट पर उनका स्वागत सत्कार किया गया। सरकार की ओर से उन्हें राज्य अतिथि का दर्जा दिया गया है। कथा के पहले दिन दशहरा मैदान में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। इस मौके पर मंत्री विश्वास सारंग, महापौर मालती राय, रघुनंदन शर्मा सहित अनेक लोग पहुंचे थे। विश्व जागृति मिशन भोपाल मंडल के एमपी उपाध्याय ने बताया कि कथा में युवा वर्ग की संख्या बढ़े इसके लिए पहल की जा रही है। कई युवा भी इस आयोजन में भागीदारी निभा रहे हैं।

बेइमानी से कमाए हुए धन से दूर रहे, जीवन में मर्यादाओं का उल्लंघन न करे: अनिरूद्धाचार्य केंद्रीय जेल में चल रही संगीतमय भागवत कथा के दूसरे दिन प्रसिद्ध कथावाचक अनिरूद्धाचार्य ने भागवत कथा के विभिन्न प्रसंगों पर प्रकाश डालने के साथ जीवन में मर्यादा रखने और मन के विकारों को दूर करने का संदेश दिया। इसके साथ ही चोरी, बेइमानी से कमाए हुए धन से दूर रहने का संदेश दिया। उन्होंने बंदियों से कहा कि जीवन में मर्यादा का उल्लंघन कभी नहीं करना चाहिए। जब-जब मर्यादाओं का उल्लंघन होता है तो दंड मिलता है। जीवन में संकट भी तभी आता है, जब हम मर्यादाओं को तोड़ते है। हमारी पांच ज्ञानेंद्रिया ओर पांच कर्म इंद्रिया है। इन 10 इंद्रियों को मन चलाता है। इंद्रियों को आज्ञा भी मन ही देता है। मन अगर अनुकूल है तो सुख देता है और प्रतिकुल है तो दुख देता है। आपकों कैदी भी मन ने ही बनाया। इसलिए मन के गुलाम मत बनो, मन को गुलाम बनाओ। जो व्यक्ति मन को अपना गुलाम बना लेता है, वही महापुरुष बन जाता है।

संगीतमय भजनों पर भक्ति नृत्य कथा के साथ-साथ संगीतमय भजनों की प्रस्तुति दी गई, जिस पर मौजूद श्रोताओं ने भक्ति नृत्य किया। इस मौके पर अनेक कृष्ण भजनों की प्रस्तुति हुई। इस आयोजन में महत्वपूर्ण भागीदारी बंदियों द्वारा निभाई जा रही है। कथा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।

प्रेरक संदेश – जो भी कार्य करो पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करो – सफलता के लिए लगातार परिश्रम करे- बार-बार अभ्यास करते रहे – तनाव को अपने ऊपर हावी न होने दे- रोजाना ध्यान, मनन करे, खुद को पहचाने

– सफलता पाने के लिए शार्ट कट न अपनाए- अपने माता पिता, गुरुजनों का सम्मान करे – अहंकार का त्याग करे, सरल और सहज रहे

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