आखिर क्यों गिराए जा रहे Twin Tower, कैसे मामला पहुंचा था कोर्ट, यहां जानें | Why Twin Tower is being demolished Know here | Patrika News

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आखिर क्यों गिराए जा रहे Twin Tower, कैसे मामला पहुंचा था कोर्ट, यहां जानें | Why Twin Tower is being demolished Know here | Patrika News

आखिर क्यों गिराए जा रहे Twin Tower, कैसे मामला पहुंचा था कोर्ट, यहां जानें | Why Twin Tower is being demolished Know here | Patrika News

जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किया था अवैध घोषित आपको बता दें कि ट्विन टावर को लेकर लड़ाई बड़ी लंबी चली। टावर के बगल में बनी सोसाइटी के दूसरे टावर के लोगों ने ट्विन टावर के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उनका मानना था कि इसे अवैध तरीके से बनाया जा रहा है। पहले ये लड़ाई नोएडा अथॉरिटी से शुरू हुई फिर हाईकोर्ट पहुंची और बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। आरडब्ल्यूए ने टावर को अवैध घोषित करने तक इस लड़ाई को लड़ा। जिसके बाद कोर्ट ने टावरों को अवैध घोषित कर दिया। हालांकि से अवैध घोषित करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ट्विन टावर को गिराने के लिए 3 महीने का समय दिया था लेकिन अब एक साल बाद जाकर 28 अगस्त को अवैध तरीके से बने ट्विन टावर को ढहा दिया जाएगा।

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जानें क्या है ट्विन टावर की पूरी कहानी साल 2004 में 23 नवंबर को नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर-93ए में ग्रुप हाउसिंग का प्लॉट नंबर 4 एमराल्ड कोर्ट को आवंटित किया। इस प्रोजेक्ट के तहत अथॉरिटी ने ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी को 14 टावर का नक्शा आवंटित किया जिसमें सभी टावर ग्राउंड फ्लोर के साथ 9 मंजिल तक पास किए गए। इसके बाद 29 दिसंबर साल 2006 को नोएडा अथॉरिटी ने ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के प्रोजेक्ट में पहला संशोधन किया और दो मंजिल और बनाने का नक्शा पास किया। जिसके तहत 14 टावर मिलाकर ग्राउंड फ्लोर के अलावा 9 मंजिल की जगह 11 मंजिल बनाने का नक्शा पास हो गया। इसके बाद टावर 15 का भी नक्शा पास किया गया।

संसोधन के बाद 40 मंजिल बनाने की मिली इजाजत इसके बाद नोएडा अथॉरिटी ने 16 टावर का नक्शा पास किया जिसके तहत अब कुल 16 टावर के लिए 11 मंजिल की इजाजत दी गई और इसकी ऊंचाई 37 मीटर की गई। 2009 में 26 नवंबर को अथॉरिटी ने टावर नंबर 17 का नक्शा पास किया। इसमें टावर नंबर 16 और 17 पर 24 मंजिल निर्माण का नक्शा बनाया गया और इसकी ऊंचाई 73 मीटर तय कर दी गई। हालांकि एक बार फिर टावर में संसोधन हुआ और 2 मार्च 2012 में टावर नंबर 16 और 17 के लिए एफएआर और बढ़ा दिया गया जिसके तहत इन दोनों टावर की ऊंचाई 40 मंजिल तक करने की इजाजत दे दी गई और ऊंचाई 121 मीटर तय की गई।

इसलिए लड़ाई लड़ने का फैसला लिया गया आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष उदय भान सिंह के मुताबिक, नेशनल बिल्डिंग कोड का नियम है कि किसी भी दो आवासीय टावर के बीच में कम से कम 16 मीटर की दूरी जरूर होनी चाहिए लेकिन इस प्रोजेक्ट में टावर नंबर 1 और ट्विन टावर में 9 मीटर से भी कम की दूरी है। उन्होंने बताया कि जहां पर टावर नंबर 16 और 17 बनाए गए हैं वहां पर बिल्डर ने लोगों को जब फ्लैट दिया थाण् तो उसे ओपन स्पेस दिखाया गया था। साल 2008 का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि बिल्डर ने एमराल्ड कोर्ट में टावर नंबर 1 से 15 पर कब्जा करना शुरू कर दिया। इसके बाद 2009 में फ्लैट बायर्स ने आरडब्लूए बनाई और इसके खिलाफ लड़ाई लड़ने का फैसला किया। जिसके बाद संशोधन नक्शे पर तो दिखाए गए लेकिन ऐसा नहीं हुआ और आरडब्ल्यूए और फ्लैट बायर्स के विरोध के बाद भी टावर नंबर 16 और 17 का अवैध तरीके से निर्माण हुआ जिसे आज ट्विन टावर कहते है।

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जांच रिपोर्ट में अधिकारियों को बताया जिम्मेदार बता दें कि ट्विन टावर के अवैध निर्माण के खिलाफ मामला पहले आरडब्लूए नोएडा अथॉरिटी को मिला। उदय भान सिंह ने बताया कि अथॉरिटी ने बिल्डर का साथ देते हुए इस मामले को हाईकोर्ट तक पहुंचाया। साल 2014 में इलाहाबाद कोर्ट ने अपने फैसले में टावर तोड़ने का आदेश दिया। जिसके बाद 1 सितंबर को एक कमेटी का गठन किया गया और 24 घंटे के अंदर टावर से जुड़ी जांच रिपोर्ट को मांगा गया। रिर्पोट में 12 से 15 अधिकारियों को इसके लिए जिम्मेदार बताया गया। साल 2021 में एक हाई लेवल एसआईटी का गठन हुआ जिसमें पूरी जांच करके शासन को अपनी रिपोर्ट सौंपी और फिर 4 अक्टूबर 2021 को इस रिपोर्ट के आधार पर नोएडा अथॉरिटी के 24 अधिकारी और कर्मचारियों पर एफआईआर की गई।

ट्विन टावर गिराने की कई बार बदली गईं तारीखें इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुपरटेक सुप्रीम कोर्ट पहुंचा लेकिन उसे राहत नहीं मिलीण् कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को आदेश जारी करते कहा कि इसे तीन महीने के अंदर गिराया जाए। इसके बाद इस तारीख को आगे बढ़ाकर 22 मई 2022 कर दिया गया लेकिन तैयारी पूरी नहीं होने के कारण इस दिन भी इसे ध्वस्त नहीं किया जा सकाण् बाद में सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित एजेंसियों को मोहलत दी। अब इसे रविवार दोपहर ढाई बजे गिरा दिया जाएगा।



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