आखिर कर्मचारियों पर इतना क्यों मेहरबान हो रहे गहलोत, पहले पेंशन ओल्ड स्कीम, अब DA , क्या यहीं है सत्ता की चाबी h3>
जयपुर:केंद्र सरकार के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता (DA) 3 फीसदी बढ़ाने (DA increase news) की घोषणा के राजस्थान सरकार ने भी कर्मचारियों के लिए बड़ा ऐलान कर दिया। गहलोत सरकार ने भी छह घंटे बाद ही डीए बढ़ाने (DA hike) की मंजूरी दे दी है। CM अशोक गहलोत की ओर से सरकारी कर्मचारियों (Govt employees) और पेंशनर्स (pensioners) का DA तीन फीसदी बढ़ाने के बाद अब इसे लेकर सियासी चर्चा भी शुरू हो गई है। कर्मचारियों को सौगात देने वाले फैसलों में अब सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। वहीं गहलोत सरकार (Ashok gehlot government) की ओर से यह दूसरा मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है।
पहले ओल्ड पेंशन स्कीम और अब बढ़ाया डीए
बता दें कि गहलोत सरकार की ओर से राजस्थान बजट में जो बड़े फैसले लिए गए, उनमें ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करना सबसे बड़ा फैसला माना गया। इस फैसले के बाद पूरे देश में राजस्थान सरकार की चर्चा हुई। बता दें कि साल 2005 में अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने केंद्र सरकार ने नियुक्तियों के लिए पुरानी पेंशन को बंद कर दिया था। इसकी जगह नई पेंशन योजना लागू की गई थी। गहलोत के फैसले के बाद केंद्रीय कर्मचारी भी ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग कर रहे है। वहीं राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने भी इसे लागू कर दिया है। अन्य राज्यों में भी इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है। वहीं अब यह भी माना जा रहा है कि केंद्र की बराबर राज्य सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स का डीए बढ़ाकर गहलोत ने मोदी सरकार को एक और टक्कर दे दी है।
1 जनवरी 2022 से बढ़ा हुआ डीए मिलेगा
राजस्थान में अब राज्य कर्मचारियों और पेंशनर्स को 1 जनवरी 2022 से 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलेगा। बढ़े हुए महंगाई भत्ते का फायदा 8 लाख अफसर-कर्मचारियों के साथ ही 4 लाख 40 हजार पेंशनर्स को मिलेगा। पंचायत समिति और जिला परिषद के वर्कचार्ज कर्मचारियों को भी बढ़ा हुआ DA मिलेगा। कर्मचारियों की 1 जनवरी, 2022 से 31 मार्च, 2022 तक का तीन महीने का बढ़ा हुए DA उनके जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) खाते या सामान्य प्रावधायी निधि (SB) खाते में जमा की जाएगी। अप्रैल महीने के वेतन से बढे़ हुए DA का नकद भुगतान होगा। इस फैसले के बाद राज्य सरकार पर 1435 करोड़ का सालाना भार आएगा।
गहलोत के कर्मचारी हित में लिए फैसले माने जा रहे हैं ‘सत्ता की चाबी’
उल्लेखनीय है कि एक अप्रैल से गहलोत ने पुरानी पेंशन लागू करने की भी बजट में घोषणा की थी। न्यू पेंशन स्कीम के लिए मूल वेतन का कटने वाला 10 फीसदी पैसा भी नहीं कटेगा। ऐसे में राजस्थान में कर्मचारियों को गहलोत के फैसले से बड़ा लाभ होगा। राजनीति के जानकारों का कहना है गहलोत कर्मचारी हित में लिए जाने वाले अपने फैसलों को सत्ता की चाबी के रूप में देख रहे हैं। साथ ही इसी तरह फैसले दोबारा सरकार बनाने और मुख्यमंत्री बनने की सीढ़ी मानी जा रही है।
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पहले ओल्ड पेंशन स्कीम और अब बढ़ाया डीए
बता दें कि गहलोत सरकार की ओर से राजस्थान बजट में जो बड़े फैसले लिए गए, उनमें ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करना सबसे बड़ा फैसला माना गया। इस फैसले के बाद पूरे देश में राजस्थान सरकार की चर्चा हुई। बता दें कि साल 2005 में अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने केंद्र सरकार ने नियुक्तियों के लिए पुरानी पेंशन को बंद कर दिया था। इसकी जगह नई पेंशन योजना लागू की गई थी। गहलोत के फैसले के बाद केंद्रीय कर्मचारी भी ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग कर रहे है। वहीं राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने भी इसे लागू कर दिया है। अन्य राज्यों में भी इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है। वहीं अब यह भी माना जा रहा है कि केंद्र की बराबर राज्य सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स का डीए बढ़ाकर गहलोत ने मोदी सरकार को एक और टक्कर दे दी है।
1 जनवरी 2022 से बढ़ा हुआ डीए मिलेगा
राजस्थान में अब राज्य कर्मचारियों और पेंशनर्स को 1 जनवरी 2022 से 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलेगा। बढ़े हुए महंगाई भत्ते का फायदा 8 लाख अफसर-कर्मचारियों के साथ ही 4 लाख 40 हजार पेंशनर्स को मिलेगा। पंचायत समिति और जिला परिषद के वर्कचार्ज कर्मचारियों को भी बढ़ा हुआ DA मिलेगा। कर्मचारियों की 1 जनवरी, 2022 से 31 मार्च, 2022 तक का तीन महीने का बढ़ा हुए DA उनके जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) खाते या सामान्य प्रावधायी निधि (SB) खाते में जमा की जाएगी। अप्रैल महीने के वेतन से बढे़ हुए DA का नकद भुगतान होगा। इस फैसले के बाद राज्य सरकार पर 1435 करोड़ का सालाना भार आएगा।
गहलोत के कर्मचारी हित में लिए फैसले माने जा रहे हैं ‘सत्ता की चाबी’
उल्लेखनीय है कि एक अप्रैल से गहलोत ने पुरानी पेंशन लागू करने की भी बजट में घोषणा की थी। न्यू पेंशन स्कीम के लिए मूल वेतन का कटने वाला 10 फीसदी पैसा भी नहीं कटेगा। ऐसे में राजस्थान में कर्मचारियों को गहलोत के फैसले से बड़ा लाभ होगा। राजनीति के जानकारों का कहना है गहलोत कर्मचारी हित में लिए जाने वाले अपने फैसलों को सत्ता की चाबी के रूप में देख रहे हैं। साथ ही इसी तरह फैसले दोबारा सरकार बनाने और मुख्यमंत्री बनने की सीढ़ी मानी जा रही है।