आईआईटी में पाथ-वे के लिए छांटे पेड़: प्रोफेसरों ने ‘सेव ट्री अभियान’ चलाकर रुकवाया काम – Indore News h3>
डायरेक्टर ने अनसुनी की तो चेयरमैन को किए ई-मेल, प्रबंधन ने कहा- छात्रों की सुविधा के लिए बनवा रहे पाथ वे
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इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), इंदौर के परिसर में हरे-भरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलने को लेकर प्रबंधन और प्रोफेसर आमने-सामने हो गए हैं। पेड़ों को बचाने के लिए प्रोफेसरों ने सेव ट्री कैंपेन चलाया। डायरेक्टर ने जब प्रतिनिधिमंडल की गुहार सुनने से इनकार कर दिया तो चेयरमैन को थोकबंद ई-मेल करते हुए शिकायत की गई। विवादों के चलते पाथ-वे बनाने का काम फिलहाल रुक गया है।
हरियाली सहेजने के लिए आईआईटी में कई योजनाएं चल रही हैं। आईआईटी, इंदौर एकमात्र ऐसा आईआईटी है जिसे पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कैम्पा (राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण) के तहत नगर वन परियोजना के लिए चुना है।
यहां वन वाटिका के लिए 1.98 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। दूसरी ओर, आईआईटी के ही एक प्रोजेक्ट के कारण हरियाली दांव पर लग गई है। दरअसल, बारिश और धूप से बचने के लिए कैंपस में कांक्रीट के पाथ-वे का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए यहां बड़ी संख्या में पेड़ काटे जाना हैं। कुछ पेड़ों की छंटाई शुरू होते ही संस्थान के प्रोफेसरों ने इसका विरोध शुरू कर दिया।
डायरेक्टर से मिलकर दर्ज कराया विरोध काम रुकवाने के लिए आईआईटी के फैकल्टी फोरम के मेंबर पहले डायरेक्टर प्रो. सुहास जोशी से मिले। सूत्रों के अनुसार डायरेक्टर ने पाथ-वे को लेकर मेंबर्स की बात सुनने से इनकार कर दिया। इस कारण भी फैकल्टी मेंबर्स में काफी नाराजगी है। बाद में उन्होंने आईआईटी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन को ई-मेल किए।
जहां जरूरी था सिर्फ वहीं की गई है छंटाई आईआईटी प्रबंधन का कहना है कि होस्टल्स, क्लास रूम्स, लैबोरेटरीज, मैस के बीच हर मौसम में आवागमन सुविधाजनक करने के लिए पाथ-वे का निर्माण कराया जा रहा है। हम आश्वस्त करते हैं कि इसके लिए किसी भी पेड़ को उखाड़ा या हटाया नहीं गया है। जहां बहुत जरूरी था, सिर्फ वहीं पर शाखाओं की थोड़ी-बहुत छंटाई की है।